Fact Finding Report : आदिवासी कार्यकर्ताओं पर सिलसिलेवार पुलिसिया जुल्म क्या एक व्यापक दमन का इशारा है?

Fact Finding Report : झारखंड जनसंघर्ष मोर्चा के द्वारा गठित फैक्ट फाइंडिंग टीम भगवान के परिजनों और ग्रामवासियों से मिलने आज चतरो गांव पहुंची, इस दौरान गांववालों में काफी आक्रोश देखने को मिला...

Update: 2022-02-26 16:04 GMT

(आदिवासी कार्यकर्ता भगवान दास किस्कू की गिरफ्तारी पर फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट)

Fact Finding Report : झारखंड जनसंघर्ष मोर्चा (Jharkhand Jansangharsh Morcha) के द्वारा गठित फैक्ट फाइंडिंग टीम ने एक अंतरिम रिपोर्ट जारी की है जिसमें आदिवासी कार्यकर्ता भगवान दास किस्कू (Bhagwan Das Kiskoo) की गिरफ्तारी को पूरी तरह से फर्जी पाया गया है और पुलिस (Police) के बयानों को मनगढ़ंत बताया गया है। 

पुलिस व मीडिया के मुताबिक भगवान दास किस्कू 22 तारीख को जंगल से पकड़े गये थे और उनपर छह मुकदमे दर्ज किये गए हैं। इन 6 मुकदमों की पुष्टि तो कोर्ट में होगी लेकिन पुलिस का पहला बयान ही झूठा पाया गया है।

भगवान के छोटे भाई लालचंद किस्कू के अनुसार, 20 तारीख को उनके ओरमांझी (रांची) स्थित किराये के मकान में रात के डेढ़ बजे करीब सात लोग जबरदस्ती घुसकर मारपीट करके व पिस्तोल दिखाकर लालचंद, भगवान और लालचंद के सहपाठी कान्हो मुर्मू को जबरदस्ती गाड़ी में बैठाकर अगवा कर लिया। उन लोगों ने कोई पहचान पत्र नहीं दिखाया और कहा कि वो पुलिस से हैं। अरेस्ट वारंट नहीं दिखाया गया और विरोध करने पर बेल्ट से मारा और पिस्तोल दिखाकर गाड़ी में बिठा लिया।

लालचंद के अनुसार, उन लोगों को सुबह तक गिरीडीह के किसी अज्ञात जगह पर ले आया गया। भगवान के साथ मारपीट जारी रही और बाकी दोनों छात्रों को भगवान से अलग कर दिया गया। दोनों छात्रों को अवैध तरीके से तीन दिन तक सीआरपीएफ कैंप कल्याण निकेतन में रखा गया। अंततः 23 फरवरी रात को पुलिस के जारी बयान में सिर्फ भगवान का जिक्र किया गया और 24 तारीख को सुबह आखिरकार बाकी दोनों छात्रों को रिहा किया गया। भगवान को फर्जी मुकदमा लगाते हुए जेल भेज दिया गया है, यह सूचना उनके परिवारों को अब तक अखबारों के जरिए ही मिली है। भगवान के परिजनों को अभी तक कोई अधिकारिक सूचना अब तक नहीं है।

झारखंड जनसंघर्ष मोर्चा के द्वारा गठित फैक्ट फाइंडिंग टीम भगवान के परिजनों और ग्रामवासियों से मिलने आज चतरो गांव पहुंची। इस दौरान गांववालों में काफी आक्रोश देखने को मिला। इस फैक्ट फाइंडिंग टीम में जेकेएमयू से अजीत राय, द्वारिका राय, त्रिवेणी रवानी, थानू राम महतो, पवन यादव, बिनोद मारीक, राजेंद्र दास, आदिवासी मूलवासी विकास मंच से अर्जुन मुर्म, बालदेव मुर्मू, झारखंड जन संघर्ष मोर्चा से बच्चा सिंह, दामोदर तुरी, रिषित, अंजनी शिशु, लोमेश, अनिल किस्कू, शिवाजी सिंह अधिवक्ता, स्वतंत्र पत्रकार रूपेश सिंह, दीपनारायण अधिवक्ता, ब्रजेश्वर प्रसाद रिटायर शिक्षक, रजनी मुर्मू गोड्डा महाविद्यालय व अमित शामिल थे,

भगवान दास किस्कू गांव के सबसे शिक्षित होने के अलावा ग्रामवासियों को प्राथमिक उपचार भी उपलब्ध करवाते थे। सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय भगवान - धर्म गढ़ रक्षा समिति, विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन व झारखंड जन संघर्ष मोर्चा के संयोजक मंडली में शामिल हैं।

ज्ञात हो कि भगवान दास किस्कू 2017 में मोतीलाल बास्के की सीआरपीएफ द्वारा हत्या के विरोध आंदोलन, 2019-20 में पर्वतपुरा सीआरपीएफ कैंप के विरोध में आंदोलन, दिसंबर 2020 में स्थानीय विधायक सुदीप कुमार सोनू के साथ हेमंत सोरेन को आदिवासी जल, जंगल, जमीन अधिकार एवं अस्मिता के विषय पर ज्ञापन देनेवाली टीम में सक्रिय थे।

बार-बार जल, जंगल, जमीन के सवालों पर आवाज उठानेवाले आदिवासी कार्यकर्ताओं पर राजकीय दमन कहीं इस बात की तरफ तो इशारा नहीं कर रहा है कि कॉरपोरेट- पूंजीवादी मॉडल को लागू करवाने में हेमंत सरकार भी पिछले भाजपा सरकार रघुवर दास की भांति तत्पर है। ऐसा होने पर जन आंदोलन तीव्र होगा।

फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट के मुताबिक मानवाधिकार के मामले में झारखंड की स्थिति बद से बदतर होते जा रही है। भगवान पर 6 फर्जी मुकदमें डालने का मतलब है कि साक्ष्य के अभाव में भी उसे लंबे समय के लिए विचाराधीन कैदी बनाके रखना। हजारों बेकसूर आदिवासी आज भी झारखंड के जेलों में कैद है। पुलिस द्वारा बिना वारंट की गिरफ्तारी और अवैध हिरासत में मारपीट व विभिन्न किस्म का टॉर्चर झारखंड में आम बात हो गई है।

Tags:    

Similar News