सुहागरात पर खून के धब्बों से दुल्हन का कौमार्य परीक्षण करने वाले कंजरभाट समुदाय को मानवाधिकार आयोग ने थमाया नोटिस
सुहागरात के दौरान अगर लड़की की योनि से खून निकला, तो लड़की टेस्ट में पास मानी जाती है और उसे चरित्रवान का सर्टिफिकेट मिल जाता है, मगर सेक्स के दौरान लड़की की योनि से खून नहीं निकला तो उसे चरित्रहीन ठहरा दिया जाता है, एक रात बिताने के बाद उसे उसके मायके वापिस भेज दिया जाता है....
जनज्वार। आज जब महिलायें चांद पर छू रही हैं, किसी भी मामले में पुरुषों से कमतर नहीं हैं, ऐसे में अभी भी हमारे शादी में समाज के ऐसे ठेकेदार मौजूद हैं जो शादी से पहले ये चैक करते हैं कि लड़की वर्जिन है या नहीं और कौमार्य भंग होने की दिशा में सख्त सजा का प्रावधान भी करते हैं। दूसरी तरफ लड़कों के कौमार्य परीक्षण का क्या पैमाना है, यह किसी समाज विशेष तो छोड़िये पूरी दुनियाभर में कहीं नजर नहीं आता। महाराष्ट्र में कंजरभाट समुदाय में लड़कियों की शादी से पहले उनके कौमार्य का टेस्ट लिया जाता है।
मगर अब इस समुदाय पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की निगाह टेढ़ी हुयी है और ठीक महिला दिवस से पहले 6 मार्च को इसे लेर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव अजोय मेहता को जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। एनएचआरसी ने इस तरह के रिवाज का पालन करने से रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के संबंध में एक रिपोर्ट भी पेश करने के लिए कहा है। एनएचआरसी ने यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के वकील राधाकांत त्रिपाठी की एक शिकायत के बाद दिया है।
कंजरभाट समुदाय द्वारा लड़कियों का वर्जिनिटी टेस्ट करवाने के खिलाफ वकील राधाकांत त्रिपाठी ने कहा था कि राज्य में कंजरभाट समुदाय में लड़कियों को शादी से पहले वर्जिनिटी टेस्ट से गुजरना पड़ता है। अगर लड़की शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाई रहती है तो उसे बेरहमी से पीटा जाता है। इसे रोकने के लिए एक व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया गया है। हालांकि ग्रुप के एक सदस्य ने एक घटना जिक्र करते हुए कहा था कि पंचायत के सदस्यों ने वर्जिनिटी टेस्ट में पास करने के लिए एक जोड़े से रिश्वत ली।"
राधाकांत त्रिपाठी ने अपनी शिकायत में कहा, अधिकारियों को उक्त अभ्यास के बारे में पता होने के बावजूद, वे इसके खिलाफ कोई कार्रवाई करने में विफल रहे हैं।
एनएचआरसी के नोटिस के अनुसार राज्य अधिकारियों ने कहा है कि वर्जिनिटी टेस्ट की सूचना मिलने के बाद प्रशासन ने स्वयंसेवकों और गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) समूह के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की।
मगर अभी भी राज्य द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में वर्जिनिटी टेस्ट को रोकने और कंजरभट समुदाय के लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख नहीं किया गया है। रिपोर्ट में उन मीटिंगों का भी जिक्र नहीं है, जो इसके खिलाफ लड़ाई लड़ रहे लोगों के साथ की गई हो।
एनएचआरसी ने मुख्य सचिव और पुणे के पुलिस उपायुक्त से कहा है कि बैठक के चार सप्ताह के भीतर कार्यकर्ताओं के साथ बैठक और राज्य सरकार द्वारा इस अभ्यास पर अंकुश लगाने के लिए किए गए प्रयासों से अवगत कराये।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के ठाणे जिले में कंजरभाट समुदाय जब भी किसी के घर नई दुल्हन आती है तो सबसे पहले उसे एक टेस्ट देना होता है। इस टेस्ट में फेल होने या फिर इसका विरोध करने पर नई दुल्हन और उसके परिवार को सजा मिलती है। जो भी परिवार या दुल्हन महिलाओं के कौमार्य परीक्षण की प्रथा का विरोध करते हैं उनके साथ समुदाय उतनी ही सख्ती से पेश आता है। अगर कोई लड़की वर्जिनिटी टेस्ट में फेल हो जाती है तो उसे वापस उसके घर भेज दिया जाता है और फिर दोबारा उसकी कभी भी शादी नहीं होती है।
कंजरभाट बेसिकली एक कबीला है और ये लोग मूलत: राजस्थान से आकर महाराष्ट्र और गुजरात के इलाकों में आकर बस गए। पुरानी परंपराओं का पोषक यह कबीला अपने मामले कानून की शरण में जाकर नहीं बल्कि अपनी पंचायतों में तय करता है।
इस कबीले मेंलड़कियों को शादी वाली रात अपने कौमार्य का सबूत देना पड़ता है। उनके कुंआरेपन की जांच होती है। कुंवारेपन की जांच के दौरान यह पता किया जाता है कि लड़की ने पहले कभी किसी के साथ सेक्स किया है या नहीं। इस जांच के लिए बिस्तर पर सफ़ेद चादर बिछाई जाती है। पहली रात यानी सुहागरात के दौरान अगर लड़की का हायमन फटा और उसकी योनि से खून निकला, तो लड़की टेस्ट में पास मानी जाती है और कहा जाता है कि माल खरा है और अगर सेक्स के दौरान लड़की की योनि से खून नहीं निकला तो उसे चरित्रहीन ठहरा दिया जाता है और कहा जाता है कि यह माल खोटा है। एक रात बिताने के बाद उसे उसके मायके वापिस भेज दिया जाता है। कई मामलों में मारने—पीटने और लड़की के परिजनों से अभद्रता के मामले भी सामने आये हैं। इतना ही नहीं फिर दोबारा 'खोटा माल' ठहरा दी गयी लड़की शादी भी नहीं कर सकती, ताउम्र उसे अकेले रहना पड़ता है।