UP में 8 माह की गर्भवती की 8 अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद हुई थी मौत, महिला आयोग ने बताया शर्मनाक

राष्ट्रीय महिला आयोग ने कहा अस्पतालों में बेड की कमी के कारण सड़क पर किसी भी गर्भवती महिला की डिलीवरी होना बेहद शर्मनाक और चिंताजनक...

Update: 2020-06-09 14:16 GMT
अस्पतालों की असंवेदनशीलता से जान गंवाने वाली 8 माह की गर्भवती नीलम और पत्नी को अपने सामने तड़पता देखकर भी कुछ न कर पाया पति बिजेंद्र, बच्चे और बीवी दोनों की गयी जान

जनज्वार। गाजियाबाद स्थित खोड़ा की रहने वाली एक गर्भवती महिला को नोएडा के अस्पतालों में 13 घंटे तक इलाज न मिलने की वजह से हुई मौत के मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने संज्ञान लिया है और राज्य सरकारों को अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं के लिए बेड सुनिश्चित करने लिए कहा है।

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने ट्वीट कर कहा, "राज्य सरकारों को सभी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं के इलाज और बेड की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि अस्पतालों में बेड की कमी के कारण सड़क पर किसी भी गर्भवती महिला की डिलीवरी होना बेहद शर्मनाक और चिंताजनक स्थिति है।"

इस मामले पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने केन्द्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को भी पत्र लिखा है। सभी अस्पतालों को इस संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी होने चाहिए, इसको भी सुनिश्चित करने को कहा है।

नोएडा जिलाधिकारी सुहास एल वाई ने शनिवार 6 जून की सुबह करीब 11 बजे इस मामले को लेकर एक जांच समिति बनाई थी।

दरअसल गाजियाबाद के खोड़ा की रहने वाली नीलम कुमारी 8 महीने की गर्भवती थी। शुक्रवार 5 जून को सुबह 6 बजे उन्हें प्रसव पीड़ा हुई और सांस लेने में समस्या हो रही थी। इसके बाद महिला को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन 13 घंटे तक उस महिला ने एम्बुलेंस में सरकारी और प्राइवेट 8 अस्पतालों के चक्कर लगाए, लेकिन उसे किसी भी अस्पताल में इलाज नहीं मिला। शुक्रवार शाम करीब 6 बजे महिला और उसके पेट में पल रहे बच्चे ने दम तोड़ दिया था।

नीलम का इलाज शिवालिक हॉस्पिटल में चल रहा था। शुक्रवार 5 जून को नीलम को अचानक सांस लेने में दिक्कत होने लगी, तो घर वाले उन्‍हें लेकर शिवालिक अस्पताल गए, लेकिन किसी ने भर्ती नहीं किया।

पीड़ित परिवार के मुताबिक, वे लोग 12 घंटे के अंदर नीलम को लेकर नोएडा के शारदा हॉस्पिटल, ईएसआई हॉस्पिटल, जिला अस्पताल, जिम्स, नोएडा फोर्टिस अस्पताल, वैशाली मैक्स हॉस्पिटल और शिवालिक हॉस्पिटल में इलाज के लिए गए, लेकिन इन सभी अस्पतालों ने महिला को एडमिट करने से मना कर दिया। ऐसे में समय पर इलाज न मिलने पर शाम को महिला की एम्बुलेंस में ही मौत हो गई। 

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