Taj Mahal में संत परमहंसाचार्य को नहीं मिली एंट्री, शिष्य भी धकियाए गए, बोले तेजोमहालय देखने गया था..
Taj Mahal : परमहंसाचार्य के मुताबिक ताज महल पहले शिव जी का मंदिर था, मुगलों ने आक्रमण के बाद शिवजी की उस पिंडी का गलत इतिहास बताया गया, यही देखने गए थे तेजोमहालय, वहां एंट्री के दौरान भगवा रंग और धर्मदंड को लेकर आपत्ति जताई गई.....
Taj Mahal : उत्तर प्रदेश के अयोध्या से आगरा के ताज महल (Taj Mahal) को देखने पहुंचे जगदगुरु परमहंसाचार्य (Jagadguru Paramhansacharya) को प्रवेश नही मिल सका। परमहंसाचार्य ने आरोप लगाया कि उन्हें भगवा कपड़ो और धर्मदंड की वजह से अंदर नहीं जाने दिया गया जबकि उनके शिष्यों को पुलिस ने वहां से धकिया कर निकालने की कोशिश की।
प्रवेश न मिलने और इस तरह का सलूक होने पर उन्होंने कहा कि वह इस मामले को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के सामने रखेंगे क्योंकि यह एक तरह से भगवा का मजाक है। हालांकि पुरातत्व विघा के कर्मचारी के ओर से कहा कि उन्हें भगवा रंग के वस्त्र की वजह नहीं बल्कि कथित तौर पर लोहे के उस धर्म दंड की वजह से रोका जो वह उस वक्त लिए थे। हालांकि विवाद बढ़ने के अगले दिन कर्मचारी ने संत से माफी मांगी और आगे से इस तरह की घटना न होने का आश्वासन दिया।
परमहंसाचार्य ने इस घटना को लेकर न समाचार चैनल एबीपी न्यूज को फोन पर बताया, मैं पहली बार वहां गया था। पर मुझे वहां के लोगों का व्यवहार देखकर बड़ा खराब लगा। आखिरकार ऐसा क्यों हो रहा है और किसके इशारे पर हो रहा है? उन्होंने बताया कि उनसे टिकट भी खरीदवाया गया था जिसके बाद भी एंट्री नहीं दी गई। आरोप है कि वहां उनसे कहा गया कि भगवा वस्त्र और लोहे की धर्म दंड की वजह से उन्हें अंदर जाने नहीं दिया गया। पमरहंसाचार्य ने कहा, ताज महल परिसर में जो हमारे साथ हुआ, उसे देखकर वहां मौजूद लोग भी नाराज हो गए थे।
संत के मुताबिक, ताज महल पहले शिव जी का मंदिर था। मुगलों ने आक्रमण के बाद शिवजी की उस पिंडी का गलत इतिहास बताया गया। यही देखने गए थे तेजोमहालय। वहां एंट्री के दौरान भगवा रंग और धर्मदंड को लेकर आपत्ति जताई गई। मैंने ऐसा करने से मना कर दिया। मैंने कहा अगर भगवा से दिक्कत है तो बोर्ड भी लगा दें। वहां इस दौरान एक मजहब विशेष के लोग हंस रहे थे।
खबरों के मुताबिक यह मामला शाम साढ़े पांज बजे के आसपास का है। पुलिस ने उन्हें ताज के एंट्री गेट तक जाने वाली गोल्फ कार्ट में बैठाया था, पर ताज के बाहर सीआईएसएफ (CISF) के जवानों ने उनके साथ कथित पर कठोर रवैया अपनाया। महंत के साथ इस दौरान सरकारी गनर भी था। जो टिकट खरीदवाया गया था उसके पैसे लौटा दिए गए जबकि दावा है कि शिष्य ने वहां फोटो क्लिक करने की कोशिश की लेकिन मोबाइल छीन लिया गया और तस्वीर भी डिलीट कर दी गई।
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