मृतक के स्पर्म पर पत्नी का अधिकार, पिता को दावे का अधिकार नहीं : कलकत्ता हाइकोर्ट
पिता ने याचिका दायर कर अपने मृत बेटे के स्पर्म को स्पर्म बैंक से निकलवाने की अनुमति मांगी थी, जिस पर अदालत ने उक्त अपील को ठुकरा दिया और कहा कि यह अधिकार मृतक की पत्नी को है...
जनज्वार। कलकत्ता हाइकोर्ट ने गुरुवार को एक मृत व्यक्ति के पिता पर अधिकार को लेकर उसके पिता की याचिका पर महत्वपूर्ण फैसला दिया। कलकत्ता हाइकोर्ट ने याचिका की सुनवाई के बाद अपने फैसले में कहा कि मृत व्यक्ति के स्पर्म पर सिर्फ उसकी पत्नी का अधिकार हो सकता है और पिता को इस तरह के दावे का अधिकार नहीं है।
कलकत्ता हाइकोर्ट ने मृत व्यक्ति के पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि उस व्यक्ति के स्पर्म को दिल्ली के जिस स्पर्म बैंक में संरक्षित किया गया है, उस पर सिर्फ उसकी विधवा पत्नी का अधिकार हो सकता है। अदालत से मृतक के पिता ने अपील की थी कि उन्हें बेटे का स्पर्म स्पर्म बैंक से निकलवाने का अधिकार दिया जाए, क्योंकि ऐसा नहीं होता है तो करार की एक तय अवधि के बाद वह स्पर्म बेकार हो जाएगा।
कलकत्ता हाइकोर्ट के जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य की पीठ ने इस पर कहा कि याचिकाकर्ता के पास इस तरह की अनुमति लेने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है। अदालत ने कहा कि मृतक की मौत हो चुकी है और उसका स्पर्म दिल्ली के स्पर्म बैंक में स्टोर किया गया है, इसलिए उस पर उसकी पत्नी का पहला अधिकार है।
उक्त व्यक्ति की मौत 2018 में हो गयी थी। साल 2019 में दिल्ली के स्पर्म बैंक ने मृतक के पिता को पत्र लिख कर कहा था कि जिस शख्स का स्पर्म उसकी पत्नी के गर्भाधान के लिए यहां स्टोर किया गया है, उसके इस्तेमाल का फैसला भी उक्त व्यक्ति की पत्नी को ही करना होगा। जिसके बाद मृतक के पिता ने इसके खिलाफ हाइकोर्ट में याचिका दायर की।
मृतक के पिता ने मार्च 2020 में याचिका दायर की थी और अदलात से अपने दावे पर विचार करते हुए खुद के पक्ष में फैसला देने का आग्रह किया था।