बाराबंकी हादसा : 20 मजदूरों की जान लेने वाली बस का 32 बार कट चुका था चालान, 85 की जगह जबरन बिठायीं 150 सवारियां

क्षमता से अधिक सवारियां ढोने वाली बसों से वसूली के लिए प्रत्येक जिले में अलग-अलग जगहों पर प्वाइंट होते हैं, मगर एआरटीओ के दलाल बजाय अपनी ड्यूटी के घूस लेकर ऐसे हादसों को आमंत्रित करते हैं...

Update: 2021-07-29 03:46 GMT

(उत्तरप्रदेश के अयोध्या में हुई बस दुर्घटना में 20 लोगों की मौत हो गई है)

जनज्वार। बाराबंकी में मंगलवार 27 जुलाई की रात हुए भयावह हादसे में दर्जनों लोगों ने अपनों को खोया। अभी तक की जानकारी के मुताबिक 20 लोगों की जान जा चुकी है और कई जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं।

जिस डबल डेकर बस संख्या यूपी 22 टी 7918 में बैठी सवारियों की जान गयी, वह साफतौर पर बस संचालकों की गड़बड़ी से हुआ हादसा नजर आ रहा है। जानकारी के मुताबिक 85 की जगह पर डरा-धमकाकर 150 से भी ज्यादा लोगों को बिठाने वाले बस संचालकों के बारे में बड़ा खुलासा यह हुआ है कि इस बस का अब तक 32 बार चालान हो चुका था।

हादसे में बचे मजदूरों ने पुलिस प्रशासन को दी गयी जानकारी में बताया कि हादसे से पहले तीन बसों की सवारी एक में ही जबरन लाठी-डंडे के बल पर बैठाकर भेजा गया। स्लीपर डबल डेकर बस की क्षमता 85 सवारियों की थी, मगर मारपीट कर उसमें 150 से भी ज्यादा लोगों को बैठा दिया गया।

4 सालों में 32 बार चालान होने और अंतरराज्यीय बसों में कोरोना काल के दौरान प्रतिबंध होने के बावजूद बस का संचालन बेरोकटोक किया जा रहा था। हादसे वाले दिन भी यह बस पंजाब वाया यूपी बिहार के लिए जा रही थी, जिसमें बैठी सभी सवारियां मजदूर वर्ग से थीं।

गौरतलब है कि कोविड महामारी के इस दौर में फिलहाल सिर्फ दिल्ली और उत्तराखंड के बीच बस संचालन को अनुमति सरकार द्वारा दी गयी है, बाकी राज्यों में अंतरराज्यीय बसों के आवागमन को इजाजत नहीं दी गयी है। बाराबंकी के पास हुए हादसे में बस पंजाब से मजदूर लेकर बिहार जा रही थी, जबकि इन दोनों राज्यों के बीच भी बस सेवा प्रतिबंधित है।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकार द्वारा बसों के संचालन पर रोक के बावजूद प्राइवेट बसों का संचालन किस तरह बेरोकटोक जारी है। इजाजत न होने के बावजूद यह बस कई राज्यों को क्रॉस करके बिहार के लिए कैसे रवाना हो गयी। आखिर परिवहन विभाग आंखें मूंदे बैठा था या फिर इतने बड़े हादसे का इंतजार कर रहा था। योगी सरकार के परिवहन विभाग की लापरवाही का नजीता है कि प्रतिबंध के बाद भी डग्गामार बसों का संचालन बदस्तूर जारी है, जबकि उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों का संचालन कोरोनाकाल में पूर्ण रूप से बंद है।

गौरतलब है कि बाराबंकी से 40 किमी दूर लखनऊ-अयोध्या नेशनल हाईवे पर मंगलवार 27 जुलाई की रात 12 बजे तेज रफ्तार अनियंत्रित ट्रक ने सड़क किनारे खराब हालत में खड़ी मजदूरों से भरी बस को जोरदार टक्कर मारी थी और मौके पर ही दर्जनों यात्रियों की जान चली गयी।

जो यात्री हादसे का शिकार होने से बच गये उन्होंने पुलिस को बताया, जिस सीट पर सिर्फ चार सवारी बैठ सकती है उसमें सात-सात लोग बैठकर आ रहे थे। इसी के चलते जहां पहले बस का टायर पंक्चर हुआ, वहीं उसके कुछ देर बाद ही एक्सल टूटने के बाद यह हादसा हुआ।

गौर करने वाली बात तो यह है कि क्षमता से अधिक सवारियां ढोने वाली बसों और अधिक भार लेकर चलने वाले ट्रकों से वसूली के लिए प्रत्येक जिले में अलग-अलग जगहों पर प्वाइंट होते हैं, मगर एआरटीओ के दलाल बजाय अपनी ड्यूटी कर ऐसे हादसों को आमंत्रण दे संदिग्ध वाहन चालकों से वसूली करने का काम करते हैं। इसी का नतीजा है कि किसी भी बस व ओवरलोड ट्रक को रात के समय कहीं चेक ही नहीं किया जाता है। यदि परिवहन विभाग और पुलिस गंभीरता से काम करती तो शायद ऐसे हादसे नहीं होते।

अब इस मामले में एआरटीओ प्रशासन पंकज सिंह का बयान भी आया है कि जो बस हादसे का शिकार हुई है उसकी क्षमता 85 सवारियां बैठाने की है। बस में अधिक सवारी बैठाने के मामले की जांच कराई जा रही है।

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