फिल्म 'आंखें' के अंदाज में बैंक खाता लूटने वाले अंधे साइबर क्रिमिनल को देख आप भी रह जायेंगे दंग
तौफीक फिल्म नहीं, रियल लाइफ में अंधा है, लेकिन बैंक लूटने के लिए इसे किसी पिस्टल की जरूरत नहीं, न ही बैंक जाने की जरूरत है, बस एक मोबाइल फोन और हुनर की जरूरत है, फिर सामने वाला का बैंक खाता खाली...
साइबर जर्नलिस्ट सुनील मौर्य की रिपोर्ट
जनज्वार। कहते हैं आंखों देखी घटना कभी झूठ नहीं होती। वाकई, सुनी-सुनाई बात गलत हो सकती है, लेकिन आंखों देखी नहीं। अब इन सज्जन को देखिए। ये बचपन से कुछ देख नहीं सकते हैं। नेत्रहीन हैं। चेहरा मासूम है, तभी तो गांव वाले भी इनकी मासूमियत पर तरस खाते हैं। जब भी इन्हें देखते हैं... दुआ देते हैं, लेकिन आज जब पुलिस ने इस शख्स को गिरफ्तार किया तो लोग हैरान हो गए। दंग रह गए। सवाल पूछने लगे। इस बेचारे का जुर्म क्या है। ये तो आंखों से अंधा है। भला इसने कौन सा क्राइम कर दिया।
पहले तो पुलिसवालों को भी भरोसा नहीं था, लेकिन जब उसकी असलियत देखी, उसका शातिर दिमाग देखा तो पुलिस वाले भी चकरा गए। ये सोचने को मजबूर हो गए कि कई साल पहले बॉलीवुड की फिल्म आंखें बनाने वाले आज इसे देखेंगे तो चक्कर खा जाएंगे। उस फिल्म के डायरेक्टर और सुपर स्टार अमिताभ बच्चन भी इसके बैंक खातों को लूटने का तरीका जानेंगे तो अपना माथा पीट लेंगे। और कहेंगे कि ये तो आंखें फिल्म के बैंक लुटेरों से भी ज्यादा खतरनाक है।
फिल्म में अंधे बने अक्षय कुमार और परेश रावल को बैंक लूटने के लिए तो बैंक में जाना भी पड़ा था। खतरा भी उठाना पड़ा था, लेकिन ये शातिर तो घर बैठे-बैठे ही न जाने कितने लोगों के बैंक खाते लूट लिए होंगे। हम घर बैठे सोच भी नहीं पाएंगे। ऐसे में तो इस बंदे के लिए 21 तोपों की सलामी जरूर बनती है।
अब एक नजर आंखें फिल्म के इस सीन को भी देख लीजिए। देखा आपने.... कैसे बैंक लूटने के लिए अक्षय कुमार और इनके साथी पिस्टल का सहारा लेते हैं। पूरी प्लानिंग के साथ अंधे होते हुए भी बैंक लूट लेते हैं, लेकिन ये शख्स जिसका नाम तौफीक है। ये रियल लाइफ में अंधा है। लेकिन बैंक लूटने के लिए इसे किसी पिस्टल की जरूरत नहीं, न ही बैंक जाने की जरूरत है। बस एक मोबाइल फोन और हुनर की जरूरत है। फिर सामने वाला का बैंक खाता खाली।
ये अपने बड़े भाई शहजाद के साथ गैंग बनाकर ठगी करता है। ऐसी ठगी के बारे में शायद आपने सुना भी होगा। या फिर हो सकता है कि आपके या आपके किसी पहचान वाले के साथ ऐसी घटना हो चुकी हो, जिसमें कोई अजनबी अचानक फोन करता है। और कहता है कि नमस्कार... कैसे हो। पहचाना नहीं क्या..।
इसके बाद जिसे फोन किया जाता है, वो शख्स अंदाजा लगाते हुए कोई ना कोई नाम ले ही लेता है। फिर क्या...नाम लेते ही इस जनाब की मुराद पूरी हो जाती है। और फिर ये तौफीक की जगह वही नाम वाला बनकर चूना लगा देते हैं। कभी उसी के खाते में पैसे भेजने के नाम पर तो कभी इमरजेंसी बताकर ठगी करते हैं।
अब जब पुलिस ने तौफीक को पकड़ा तो ये उन्हें भी यकीन नहीं हुआ। भरोसा नहीं हुआ कि अंधा होकर ये नंबर कैसे डायल करता होगा। क्या इसको नंबर याद रहते होंगे। इस पर पुलिस ने लाइव ट्रायल करने का सोचा। इसलिए तौफीक से कहा कि तुम कोई भी नंबर मिलाकर फ्रॉड करने का एक डेमो दो। फिर क्या था। तौफीक ने तुरंत मोबाइल उठाया और एक नंबर को डायल करने लगता है। और फिर आसान और साधारण भाषा में बोलते हुए सामने वाले को झांसे में ले लेता है। आपको भी शायद सुनी बात पर यकीन ना हो तो। खुद आंखों से देख लीजिए।
देखा आपने। अगर यही पुलिस के सामने ये ट्रायल नहीं होता तो आज तौफीक का एक और शिकार मिलना तय था। अब बताते हैं पूरा मामला।
उत्तर प्रदेश की आगरा साइबर पुलिस ने तौफीक और इसके भाई शहजाद को 4 मार्च को गिरफ्तार किया। ये गृह मंत्रालय के एक अधिकारी को भी ठगी का शिकार बना चुके हैं। पिछले कुछ सालों में सैकड़ों लोगों से लाखों रुपये की ठगी को अंजाम दे चुके हैं। ये OLX पर लोगों से सामान खरीदने के बहाने तो कभी नौकरी दिलाने तो कभी पहचान वाले बनकर ठगी का शिकार बनाते रहे हैं।
पुलिस का कहना है कि इनके गैंग में अभी कई लोग हैं, जिनके बारे में पता लगाया जा रहा है, लेकिन जिस तरह से तौफीक किसी को भी फोन पर...नमस्कार..पहचाना नहीं क्या....जैसी बात कहकर जाल में फंसाता है। ऐसे में ये जरूरी है कि जब भी किसी नंबर से फोन आए और पहचानने की बात कहे तो आप सीधे बोल दीजिए कि हां... नहीं पहचाने। बताओ अपना नाम। कौन हो...कहां से। तब ये साइबर क्रिमिनल खुद ही फंस जाएंगे और पोल खुल जाएगी। इसलिए आप खुद सजग रहिए और दूसरों को भी जागरूक बनाइए। ताकी साइबर क्राइम को रोका जा सके।