चीन की नौ सेना दुनिया में हो गई सबसे बड़ी, भारत के लिए बढ गई चुनौतियां

चीन की नौसेना ने संख्या बल के हिसाब से अमेरिका पर बढत बना ली है, हालांकि अमेरिका के पास सबसे उन्नत नेवी है। चीन अब भारत के आसपास के देशों में बेस बनाना चाहता है....

Update: 2020-09-03 06:08 GMT

जनज्वार। चीन की नेवी दुनिया में सबसे बड़ी हो गई है। इसके साथ ही उसकी नजर हिंद-प्रशांत क्षेत्र मे एक प्रभावकारी व आक्रामक लाॅजिस्टिक बेस तैयार करने की है। इसके साथ ही अगले एक दशक में वह अपने परमाणु हथियारों की क्षमता को दोगुना करना चाहता है। चीन की ये कोशिशों भारत के लिए चुनौती हैं।

चीन ने अपनी नौ सेना को लंबी दूरी के मिसाइलों व न्यूक्लियर हथियारों से भी लैस करने की योजना पर काम किया है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने इस संबंध में मंगलवार को अमेरिकी कांग्रेस में एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की है। इसमें चीन की विस्तारित सैन्य ताकत का आकलन पेश किया गया है। इसमें उसकी लंबी दूरी की मिसाइलों, पनडुब्बियों, एकीकृत वायु रक्षा तंत्र, अंतरिक्ष व इलेक्ट्रानिक युद्ध क्षमता का जिक्र है।

चीन ने अपने नौसेना बेड़े में 350 युद्धक नौपोत शामिल कर लिया है, जबकि अमेरिका के पास 293 पोत हैं। चीन के 350 युद्धक नौपोत में 130 बड़े व अधिक उन्नत युद्धक पोत हैं।

भारत को ऐसे में चीन की बढती सैन्य ताकत पर गंभीरता से ध्यान देना होगा। चीन ने हिंद महासागर क्षेत्र में जिस तरह अपनी नौसेना का विस्तार किया है वह कई तरह की चुनौतियां खड़ा करेगा। चीन ने 2017 में अफ्रीका के जिबूती में अपना पहला विदेशी नौ सैनिक बेस स्थापित किया था और अब वह पाकिस्तान के ग्वादर व कराची बंदरगाहों का भी बेरोक-टोक उपयोग कर सकता है।

पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन म्यांमार, थाईलैंड, सिंगापुर, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, श्रीलंका, यूएई, केन्या, सेशेल्स, तंजानिया, अंगोला व ताजिकिस्तान में सैन्य व लाॅजिस्टिक बेस तैयार करने पर विचार कर रहा है।

हालांकि तकनीक के स्तर पर अमेरिकी नौसेना अभी भी चीन से बहुत आगे है। चीन के पास 11 सुपर विमान वाहक हैं, जिनकी क्षमता एक लाख टन विमान वाहक की है, जबकि चीन के पास ऐसे दो सुपर नौवहन पोता हैं। इन सुपर नौपोत की क्षमता 80 से 90 एयरक्राफ्ट के वहन की होती है। रिपोर्ट में यह कहा गया है कि चीन की हिंद महासागर क्षेत्र में पाकिस्तान के साथ साझेदारी भारत के चिंता का कारण है। हालांकि भारत अभी हिंद महासागर क्षेत्र में बेहतर स्थिति में है।

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