रक्षा मंत्रालय ने माना कि चीन ने लद्दाख के कई इलाकों में किया अतिक्रमण, मई से लगाार बढ रही है ड्रैगन की सीनाजोरी

राजनीति के बड़बोले बयानों ने इतर रक्षा मंत्रालय ने अपने डाॅक्यूमेंट में यह स्वीकार किया है कि चीन की आक्रमकता पांच मई के बाद बढी है और उसने कई इलाकों में घुसपैठ की है...

Update: 2020-08-06 06:54 GMT

प्रतीकात्मक फोटो।

जनज्वार। रक्षा मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर लोड किए गए डाॅक्यूमेंट में यह कहा है कि लद्दाख के कई इलाकों में चीन की सेना के अतिक्रमण की घटनाएं बढी हैं। वेबसाइट पर अपलोड किए गए डाॅक्यूमेंट के अनुसर, मई महीने से ही लगातार चीन अपना अतिक्रमण बढा रहा है। खास कर गलवान घाटी पैंगोंग त्सो, गोगरा हाॅट स्प्रिंग जैसे इलाकों में। गलवान घाटी ही वह जगह थी जहां 15 जून को भारत व चीन के सैनिकों की बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।

रक्षा मंत्रालय के डाॅक्यूमेंट के अनुसार, चीन ने 17 से 18 मई के बीच लद्दाख में कुंगरांग नाला, गोगरा और पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर अतिक्रमण किया है। डाक्यूमेंट के अनुसार, पांच मई के बाद से चीन का वास्तविक नियंत्रण रेखा पर आक्रामक रूप नजर आ रहा है। पांच व छह मई को पैंगोंग त्सो में भारत और चीन की सेना के बीच झड़प हुई थी।

भारत और चीन के बीच गलवान घाटी झड़प के बाद हालात को सामान्य करने के लिए कूटनीतिक व सैन्य वार्ताओं का सिलसिला शुरू हुआ। सैन्य वार्ताओं का क्रम लगातार जारी है। रविवार को लेफ्टिनेंट रैंक के अधिकारियों के बीच पांचवें दौर की सैन्य वार्ता हुई जो बेनतीजा रही। उस पर चीन भारत पर ही भारतीय जमीन से हटने का दबाव बना रहा है। वह भारत पर पैंगोंग त्सो से पीछे हटने का दबाव बना रहा है, जिसे भारत ने खारिज कर दिया है।

भारत फिंगर आठ तक पेट्रोलिंग करता रहा है, लेकिन अब चीन भारत पर फिंगर चार से भी पीछे हटने का दबाव बना रहा है। भारत फिंगर आठ को एलएसी मानता है। चीन की सेना पिछले कुछ दिनों से फिंगर चार तक आ पहुंची थी, लेकिन बातचीत के बाद वह फिंगर पांच पर चली गई। वह भारतीय सेना को पेट्रोलिंग के लिए फिंगर आठ तक जाने से रोक रही है। 

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