पैंगोंग झील और डेपसांग से अभी तक पीछे नहीं हटे चीनी सैनिक

कोर कमांडरों के बीच हुए समझौते के अनुसार, वास्तविक नियंत्रण रेखा के दोनों ओर कम से कम 1.5 किमी. का एक बफर क्षेत्र बनाया जाना है....

Update: 2020-07-08 01:30 GMT

सुमित कुमार सिंह की रिपोर्ट

नई दिल्ली। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिक अभी तक पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील और डेपसांग से पीछे नहीं हटे हैं। सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि भारतीय सेना ने यह पाया है कि अपने तमाम सामान सहित चीनी सैनिक पैंगोंग झील और डेपसांग क्षेत्र से वापस नहीं लौटे हैं।

भारतीय और चीनी सैनिकों के हटने की प्रक्रिया लद्दाख सेक्टर में गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा पोस्ट में शुरू हुई है। हालांकि यह अभी तक सत्यापित नहीं किया गया है। दो पक्षों की ओर से सेनाओं को हटाने की प्रक्रिया दो महीने के सैन्य गतिरोध के बाद 'कॉर्प्स कमांडर स्तर की बैठकों में तय शर्त के अनुसार' हो रही है।

सूत्रों ने कहा कि चीनी सैनिकों को गलवान घाटी में गश्त बिंदु 14 पर टेंट और संरचनाओं को हटाते हुए देखा गया था, जहां 15 जून की रात भारतीय और पीएलए के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। चार दशकों में दोनों सेनाओं के बीच हुई इस सबसे भीषण झड़प में कुल 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। वहीं चीन के भी कुछ सैनिक मारे जाने की खबर है, मगर चीन ने अभी तक अपने हताहत हुए सैनिकों का आंकड़ा स्पष्ट नहीं किया है।

कोर कमांडरों के बीच हुए समझौते के अनुसार, वास्तविक नियंत्रण रेखा के दोनों ओर कम से कम 1.5 किमी. का एक बफर क्षेत्र बनाया जाना है। सूत्रों ने कहा कि गलवान घाटी में बर्फ पिघलने से गलवान नदी का जल स्तर अचानक बढ़ गया है, जिससे चीनियों को क्षेत्र से तेजी से हटने के लिए मजबूर होना पड़ा होगा। बताया जा रहा है कि भारतीय सेना चीनी सैनिकों पर नजर बनाए रखने के लिए ड्रोन का उपयोग कर रही है, क्योंकि गलवान नदी के बढ़ते पानी की वजह से वहां जाकर स्थिति का आकलन करने में बाधा उत्पन्न हुई है।

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सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच सबसे विवादास्पद मुद्दा पैंगोंग झील के फिंगर-4 क्षेत्र और डेपसांग में चीनी सैनिकों का पीछे हटना लगभग नगण्य है। पैंगोंग झील के पास चीनी सैनिक फिंगर-4 तक डेरा डाले हुए हैं, जहां वे 120 से अधिक वाहन और एक दर्जन नाव लेकर आए हुए हैं। इसके अलावा चीनी सेना ने भी गलवान के उत्तर में पठार डेपसांग बुल के पास के क्षेत्र में एक नया मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने शिविर स्थापित करने के साथ ही वाहनों और सैनिकों को तैनात किया है।

हालांकि गतिरोध खत्म करने के लिए दोनों देशों के ओर के सैन्य कमांडर एक-दूसरे के लगातार संपर्क में हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने सोमवार को कहा था कि दोनों पक्ष सीमा पर गतिरोध को कम करने के लिए प्रभावी उपाय कर रहे हैं। हालांकि, भारत पूरी तरह से सतर्क है और उसकी सेना और वायु सेना हाई अलर्ट पर है।

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