गुजरात की तरफ तेजी से बढ़ता तौकते तूफान, 21 साल पहले के विनाशकारी मंजर को याद कर सहमे लोग

कच्छ के तट वर्तीय इलाकों में रहने वाले मछुआरों के गांवों को आज 16 मई की शाम चार बजे से खाली करवाया जा रहा है, खासकर कांडला, मांडवी, मुंद्रा, भद्रेश्वर जैसे तमाम क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजा जा रहा है...

Update: 2021-05-16 13:14 GMT

जनज्वार, गुजरात ब्यूरो। गुजरात में तौकते तूफान के 18 तारीख को आने की संभावना के चलते पूरा प्रशासन हाई अलर्ट पर है, मगर यह जिस तेजी से बढ़ रहा है उससे इसके और जल्दी पहुंचने की आशंका है। यह तूफान आने वाले दो दिनों में गुजरात के तटवर्तीय विस्तार में 150 से 160 किमी की तेज हवाओं के साथ आने की संभावना जताई जा रही थी। गुजरात के अंदाजन 1600 किमी के तटीय विस्तार में से 800 किमी का तटीय विस्तार कच्छ जिल्ले का है, इसलिए कच्छ जिले में भी जिला प्रशासन हाई एलर्ट पर है। यह खबर लिखते समय मिली जानकारी के अनुसार अभी गुजरात के तटों से 850 किमी दूर है और आने वाले 36 से 48 घंटे में गुजरात की सीमावर्ती क्षेत्र में तबाही मचा सकता है।

तौकत तूफान के चलते समग्र गुजरात में 79 NDRF की टीमों को तैनात किया गया है 22 और टीमों को स्टैंडबाय रखा गया है। गुजरात के मुख्यमंत्री ने तटवर्ती जिले के जिला अधिकारियों से मीटिंग कर के हालात के बारे में पूरी जानकारी ली है और आर्मी, नेवी और कॉस्ट गार्ड को टीमों को भी हाई एलर्ट रखा गया है।

कच्छ के तट वर्तीय विस्तार में से मछुआरों के गांवों को आज 16 मई की शाम चार बजे से खाली करवाया जा रहा है, खासकर कांडला, मांडवी, मुंद्रा, भद्रेश्वर, जखौ जैसे विस्तारों से मछुआरों को सुरक्षित जगहों पर भेजा जा रहा है। साथ ही निचले स्थानों पर रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजा रहा है, ताकि कम से कम जानमाल का नुकसान हो।

कच्छ ​जिले में करीब 1900 बोट को समंदर से बाहर निकल दिया गया है। तटीय क्षेत्र के गांवों को भी NDRF, BSF और SDRF की टीमों द्वारा सुरक्षित रहेने की सूचनाएं दी गई हैं और आज 16 मई की शाम 4 बजे से कई गांवों को खाली करने की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की गई है।

गौरतलब है कि इससे पहले वर्ष 1998 में कच्छ के कंडला बंदरगाह पर बहुत बड़ा तूफान आया था। तब हजारों लोगो ने अपनी जान गवां दी थी और अरबों रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ था। यह तूफान 13 जून की सुबह 21 साल पहले आया था। जब तकरीबन 10 हजार लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। 30 हजार से ज्यादा लोग बेघर हो गए। गुजरात के तटीय हिस्सों में 3 हजार करोड़ का नुकसान हुआ। 150 किलोमीटर की रफ्तार उसे चली हवाओं वाले उस तूफान से कांडला बंदरगाह पूरा तबाह हो गया था। बंदरगाह पर लोहे की क्रेनें तक पलट गयी थीं। तूफान की तीव्रता इतनी कि वहां काम कर रहे श्रमिक समुद्र की लहरों में न जाने कहां खो गए। कई गर्भवती महिलाओं के गर्भ समुद्र में ही गिर गये थे।

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