दिल्ली हिंसा को पुलिस ने चार्जशीट में बताया आतंकवादी गतिविधि और JNU के पूर्व छात्र उमर खालिद को देशद्रोह का सरगना
दिल्ली पुलिस ने अपने आरोपपत्र में कहा, यह इसलिए किया गया, ताकि केंद्र सरकार सीएए और एनआरसी को वापस लेने पर मजबूर हो, जो कि स्पष्ट रूप से आतंकवादी गतिविधि की परिभाषा में आती है....
आकांक्षा खजूरिया
नई दिल्ली। 'राष्ट्रीय राजधानी में फरवरी में हुई व्यापक हिंसा के दौरान घातक हथियारों का इस्तेमाल हुआ, जिसके परिणामस्वरूप एक पुलिसकर्मी शहीद हो गया और 50 से अधिक नागरिक मारे गए, जो एक 'आतंकवादी गतिविधि' की परिभाषा में आता है।' दिल्ली पुलिस ने यह बात सांप्रदायिक हिंसा में कथित बड़ी साजिश से जुड़े एक मामले में दायर अपने पूरक आरोपपत्र (चार्जशीट) में कही है।
पूर्व जेएनयू छात्र उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में पूरक आरोपपत्र दायर किया गया है। मामला हिंसा को उकसाने की साजिश से संबंधित है, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और 748 लोग घायल हुए थे।
पुलिस ने आरोपपत्र में कहा, "इस मामले में, ड्यूटी पर तैनात पुलिस अधिकारियों पर आग्नेयास्त्रों, पेट्रोल बमों, एसिड हमलों और घातक हथियारों का उपयोग करने से एक पुलिसकर्मी शहीद हो जाता है और कुल 208 पुलिसकर्मियों को चोटें आती हैं।"
पुलिस ने आरोपपत्र में कहा कि यह इसलिए किया गया, ताकि केंद्र सरकार सीएए और एनआरसी को वापस लेने पर मजबूर हो, जो कि स्पष्ट रूप से आतंकवादी गतिविधि की परिभाषा में आती है।
इसमें कहा गया है, "50 से अधिक लोगों की मौत और आगजनी और अन्य साधनों से सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने के अलावा 500 से अधिक सार्वजनिक व्यक्तियों के गंभीर रूप से घायल होने की वजह से भी यह आतंकवादी गतिविधि की परिभाषा में स्पष्ट रूप से आता है।"
दिल्ली पुलिस ने आगे कहा कि समुदाय के जीवन के लिए आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं का व्यवधान भी इन हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था, क्योंकि सार्वजनिक परिवहन बंद थे, आवश्यक वस्तुओं तक पहुंच बंद हो गई थी, बोर्ड परीक्षाएं स्थगित कर दी गई थीं और अस्पताल व मेडिकल स्टोर तक पहुंचा नहीं जा सकता था।
पुलिस ने आरोपपत्र में कहा, "समुदाय के जीवन के लिए आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं का यह व्यवधान आतंकवादी अधिनियम के दायरे में आता है।"
पुलिस ने जोर देते हुए कहा, "इस मामले में, भारत की एकता को खतरे में डालने, लोगों में आतंक फैलाने के लिए कार्य किए गए थे। स्पष्ट रूप से गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के प्रावधानों के तहत दंडनीय अपराध किए गए हैं।"
पुलिस ने कहा कि फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में सांप्रदायिक हिंसा होने की तुलना में भारत सरकार के लिए और अधिक अंतर्राष्ट्रीय शर्मिंदगी नहीं हो सकती थी।
पुलिस ने यह भी अंदेशा जताया है कि अगर षड्यंत्रकारी पूरी तरह से सफल हो गए होते, तो सरकार की जड़ें हिल जातीं, जिससे भारतीय लोगों के मन में अनिश्चितता और अराजकता घर कर जाती।
930 पृष्ठों में दायर की गई चार्जशीट में कड़े गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, भारतीय दंड संहिता, शस्त्र अधिनियम और सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान जैसी धाराओं को जोड़ा गया है। चार्जशीट में पुलिस ने JNU के पूर्व छात्र उमर खालिद को 'देशद्रोह' का सरगना कहा है।
मंगलवार 24 नवंबर को दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने पूरक आरोपपत्र को स्वीकार कर लिया। अदालत ने तीनों आरोपियों के खिलाफ कठोर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत अपराधों को लेकर आगे बढ़ने का फैसला किया, लेकिन राजद्रोह, आपराधिक साजिश और भारतीय दंड संहिता के तहत कुछ अन्य आरोपों पर संज्ञान नहीं लिया, क्योंकि आवश्यक मंजूरी की प्रतीक्षा है।