अस्पताल का वार्ड या सेमिनार हॉल, मोदी की यात्रा में घायल सैनिकों की क्या है सच्चाई?
पीएम मोदी द्वारा लेह में घायल सैनिकों से मुलाकात का मुद्दा चर्चाओं में आ गया है, सोशल मीडिया पर यूजर्स पूछ रहे हैं, यह कॉन्फ्रेंस रूम था या अस्पताल का वार्ड?....
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपनी लद्दाख यात्रा के हिस्से के रूप में लेह के अस्पताल में भर्ती हुए भारतीय सेना के सैनिकों से मुलाकात की। ये सभी सैनिक 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प के बाद घायल हो गए थे।
प्रधानमंत्री द्वारा मरीजों से छोटी-छोटी बातेंकरने का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर जारी किया गया। इसके बाद से विपक्ष की ओर से यह सवाल उठने लगे कि क्या प्रधानमंत्री मोदी का दौरा सैनिकों के साथ केवल तस्वीरें खिंचाने वाला था।
चूंकि फोटो और वीडियो में घायल सैनिकों को बिस्तरों पर बैठे हुए दिखाया गया था जो कि अस्पताल के वार्ड की बजाय एक बड़ा कॉन्फ्रेंस रूम नजर आ रहा है। इसके तुरंत पर यह अटकलें तेज हो गईं हैं कि मोदी कैमरों के लिए एक और घटना को इवेंट बनाने के लिए स्टेज मैनेज करने में कामयाब हो गए।
तथ्य यह है कि भारतीय जनता पार्टी ने इस वीडियो को अपने आधिकारिक अकाउंट से ट्वीट किया। जिसके बाद वॉल स्ट्रीट जर्नल और मिंट के पूर्व संपादक राजू नरिसेट्टी ने अपने अपने ट्वीट में लिखा, ऐसा नहीं दिखता कि किसी भी भारतीय सैनिक को किसी भी पट्टी की जरूरत के लिए बाहरी चोटें नहीं लगी हों, वे सभी सभी सीधे बैठने में सक्षम हैं (कोई आंतरिक चोट नहीं है?)। अस्पताल के वार्ड में कोई भी मेडिकल उपकरम के कोई सोता हुआ नहीं दिकता है। यह क्या हो रहा है?
This photo opp is fascinating. Not one Indian soldier seems to have external injuries needing any bandages...they are all able to sit straight up (no internal injuries?), the pristine hospital ward with beds that look un-slept on...zero medical equipment. What is going on here? https://t.co/QMANMLBKWz
— Raju Narisetti (@raju) July 3, 2020
इस बहस में फिर विपक्षी कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक दत्ता भी ट्वीट कर मैदान में कूद पड़े। उन्होंने ट्वीट किया कि यह बिल्कुल अस्पताल जैसा नहीं लगता है। डॉक्टरों के बजाय वहां फोटोग्राफर हैं। बगल में बिस्तर, पानी की बोतल, दवा कुछ भी नहीं है। कांग्रेस के अन्य नेता ने भी इसे फोटो के लिए अवसर बताया है।
पर यह हॉस्पिटल लग कहा से रहा हैं - ना कोई ड्रिप , डॉक्टर के जगह फोटोग्राफर ,बेड के साथ कोई दवाई नहीं , पानी की बोतल नहीं ? पर भगवान का शुक्रिया की हमारे सारे वीर सैनिक एक दम स्वस्त हैं ।।।।। भारत माता की जय ।।।। pic.twitter.com/rLY7aoC4Hu
— Abhishek Dutt (अभिषेक दत्त) (@duttabhishek) July 3, 2020
4 जुलाई को भारतीय सेना ने एक स्पष्टीकरण जारी किया जिसमें कहा गया था कि मोदी जिस कमरे में गए थे, वह वास्तव में सैन्य अस्पताल का हिस्सा है लेकिन स्पेस की कमी के कारण अस्पताल को कोविड आइसोलेशन सेंटर के रूप में तैयार किया गया था।
इन आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और निराधार बताते हुए सेना ने कहा, कोविड 19 के प्रोटोकॉल की आवश्यकता को देखते हुए अस्पताल के कुछ वार्डों को आइसोलेशन की सुविधाओं में परिवर्तित किया गया था। इसलिए यह हॉल आमतौर पर प्रशिक्षण के लिए ऑडियो-वीडियो हॉल के रूप में उपयोग किया जाता था। चूंकि अस्पताल कोविड उपचार अस्पताल के रूप में नामित किया गया था इसलिए यह वार्ड में परिवर्तित किया गया था।
द वायर ने भारतीय सेना के अधिकारियों से सोशल मीडिया पर घूम रहे सवालों को लेकर प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने भी यही बात कही। उनसे जब पूछा गया कि यह अस्पताल का वार्ड है या एक कॉन्फ्रेंस रूम? तो उन्होंने कहा कि यह कमरा वास्तव में लेह के सैन्य अस्पताल में एक कॉन्फ्रेंस रूम है लेकिन इसे कोविड 19 के रोगियों के इलाज के लिए अस्थायी रूप से वार्ड में बदल दिया गया था।
उन्होंने सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवाने की यात्रा के वीडियो और तस्वीरों की ओर इशारा किया कि 23 जून को उसी नरवाने इसी कॉन्फ्रेंस रूम/ वार्ड में पहुंचे थे। तथ्य यह है कि कमरा सिर्फ मोदी की यात्रा के लिए स्थापित नहीं किया गया था।
वहीं अब सवाल उठने लगे हैं कि यदि सैनिक अभी भी अस्पताल में उपचार प्राप्त कर रहे हैं तो नर्सिंग स्टेशन, ड्रिप्स आदि कहां हैं? उनमें किसी को भी बाहरी चोटों के लिए पट्टी आदि की आवश्यकता क्यों नहीं है? तथ्य यह है कि सभी रोगियों ने बैठने के लिए एक ही मुद्रा बनाई हुई है, उनका कहना है कि उन्हें उसी तरह बैठने के निर्देश दिए गए हैं।
वहीं कुछ आलोचकों ने मनमोहन सिंह के घायल सैनिकों से मिलने की तस्वीरों को पोस्ट किया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मनमहोन सिंह के बीच के अंतर को दर्शाया गया है। मनमोहन सिंह की साल 2013 की तस्वीरों को उदाहरण के रूप में बताया गया है।
हालांकि डॉ. मनमोहन सिंह की उन तस्वीरों को भी देखा जा सकता है जिसमें वह सैनिको से मिल रहे हैं और सैनिक उसी मुद्रा में बैठे हुए हैं जैसे मोदी के दौरे के वक्त बैठे हुए थे। नीचे की तस्वीर उसका एक उदाहरण है।