UP : फर्जी दस्तावेजों पर 14 साल से नौकरी कर रहा था PAC सिपाही, ऐसे हुआ एक्सपोज

मनीष कुमार सिंह ने उनके फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी कर रहे सिपाही के खिलाफ विभूतिखंड कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई, जब एसटीएफ के डिप्टी एसपी ने मामले की जांच की तो पता चला कि मनीष के दोस्त ने ही यह फर्जीवाड़ा किया है...

Update: 2021-03-22 14:37 GMT

जनज्वार, लखनऊ। यूपी जुर्म, धोखाधड़ी, जालसाजी समेत तमाम अपराधों का पर्याय बनते जा रहा है, ये बात अलग है कि माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि पिछले 4 साल में अपराध यहां बहुत कम हुआ है। धोखाधड़ी जनता में से कोई करे तो समझ में आता है, मगर प्रशासन से जुड़े लोग ही इसमें महारत हासिल किये हुए हों तो समझा जा सकता है कि प्रदेश का क्या हाल होगा। हालांकि तमाम सरकारी नियुक्तियों में कई घोटाले यहां उजागर हो चुके हैं। पिछले साल एक डिग्री पर 4 नियुक्तियों का मामला भी एक्सपोज हुआ था।

अब धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े की एक घटना लखनऊ में सामने आयी है, जहां एक सिपाही किसी अन्य के दस्तावेजों पर पिछले 14 साल से नौकरी कर रहा था। यह मामला तब उजागर हुआ जब एसटीएफ में तैनात सिपाही मनीष कुमार सिंह के पास एलआईसी हाउसिंग से फोन आया कि लोन के लिये दस्तावेज की कापी जमा करें, जबकि मनीष बहुत पहले ही लोन ले चुके थे।

इस बारे में जब मनीष ने तहकीकात की तो पता चला कि उनके नाम से लोन के लिये आवेदन किया गया है। हिंदुस्तान में प्रकाशित खबर के मुताबिक मनीष एलआईसी के दफ्तर गये तो खुलासा हुआ कि उनके नाम और आधार कार्ड पर ही एक अन्य सिपाही पीएसी में नौकरी कर रहा है। जब मामले की जांच की गयी तो वह सिपाही फर्जी निकला। मनीष कुमार सिंह ने उनके फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी कर रहे सिपाही के खिलाफ विभूतिखंड कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई है। जब एसटीएफ के डिप्टी एसपी ने मामले की जांच की तो पता चला कि मनीष के दोस्त अमित ने ही उनके साथ यह फर्जीवाड़ा किया है।

इस मामले में विभूतिखंड के सब इंस्पेक्टर अमरेन्द्र कुमार यादव ने मीडिया को बताया कि पीएसी में तैनात सिपाही के जो दस्तावेज लगे हैं, वह वर्ष 2006 बैच के सिपाही बलिया निवासी मनीष के ही हैं। उनके पिता का नाम, पैन कार्ड, जन्मतिथि और गृहजनपद भी मनीष का ही लिखा हुआ है।

वहीं पीड़ित सिपाही मनीष कुमार सिंह का कहना है कि उन्होंने अपने और पीएसी में डयूटी कर रहे सिपाही के पिता का नाम यूपी पुलिस के ऑनलाइन रोल पर चेक किया तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।

मामले की जांच कर रहे एसटीएफ के डिप्टी एसपी अवनीश्वर श्रीवास्तव ने पीएसी के फर्जी सिपाही को जांच के लिए बुलाया तो पता चला कि उसका असली नाम अमित है। अमित बंदायू और मनीष बरेली से भर्ती हुआ थे। अमित को एसटीएफ मुख्यालय बुलाकर पूछताछ की गई तो उसने अपना जुर्म कुबूल कर लिया। इस मामले की जांच अभी जारी है, मगर इस तरह के फर्जीवाड़े हमारे देश में आम हो चुके हैं।

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