असम के नए उग्रवादी संगठन 'नेशनल लिब्रेशन फ्रंट ऑफ बोडोलैंड' के 23 कैडरों ने किया सरेंडर

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एम बाथा के ऊपर 10 लाख रुपये के ईनाम की घोषणा की थी जो अपने कैडरों के साथ अरुणाचल प्रदेश में छिपा हुआ था....

Update: 2021-07-22 17:40 GMT

(नेशनल लिब्रेशन फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के कैडरों ने हथियारों के साथ किया सरेंडर)

जनज्वार डेस्क। असम में नवगठित बोडो उग्रवादी संगठन नेशनल लिब्रेशन फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनएलएफबी) के 23 सदस्यों ने गुरुवार को सरेंडर कर दिया। सरेंडर करने वालों में एनएलएफबी के चीफ कमांडर बिनोद मुशाहेरी का सहयोगी एम बाथा भी शामिल है।

'हिंदुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट के मुताबिक, संसदीय कार्यमंत्री पीजुष हजारिका, बीटीआर (बोडोलैंड टेरीटोरल रीजन) के मुख्य कार्यकारी सदस्य प्रमोद बोडो और पुलिस-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में एनएलएफबी के कैडरों ने उडालगुरी जिले के मजबत में हथियारों के साथ सरेंडर किया।

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने गुरुवार को ट्वीट में कहा, ''लोगों का विश्वास सरकार पर है। एनएलएफबी का मुख्यधारा में लौटने का फैसला सरकार की नीतियों को दिखाता है। मैं उनकी घर वापसी का स्वागत करता हूं।''

उन्होंने आगे कहा, ''हम बोडोलैंड के हर तरह के विकास और बोडो़ लोगों की खास सामाजिक-सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।''

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एम बाथा के ऊपर 10 लाख रुपये के ईनाम की घोषणा की थी जो अपने कैडरों के साथ अरुणाचल प्रदेश में छिपा हुआ था। 

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