उत्तराखंड में बेरोजगार खा रहे धक्के तो अग्निशमन विभाग के 36 प्रतिशत खाली, पहाड़ के जिलों में CFO ही तैनात नहीं-रामभरोसे चल रही है सुरक्षा

सुरक्षा से जुड़े अग्निशमन विभाग जैसे संवेदनशील विभाग में बेरोजगारों की लंबी चौड़ी फौज होने के बाद भी इतने व्यापक पैमाने पर कर्मचारियों के खाली पड़े पद जहां बेरोजगारों के जख्मों पर नमक छिड़क रहे हैं, वहीं यह बताने के लिए भी पर्याप्त है कि धामी सरकार द्वारा किये जा रहे सुरक्षा के दावे हैं कितने खोखले...

Update: 2022-11-24 12:03 GMT

उत्तराखंड में बेरोजगार खा रहे धक्के तो अग्निशमन विभाग के 36 प्रतिशत खाली, पहाड़ के जिलों में CFO ही तैनात नहीं-रामभरोसे चल रही है सुरक्षा

Dehradun : राज्य में जहां युवाओं की बेरोजगारी एक बड़ी और विकराल समस्या बनी हुई है तो प्रदेश के एक इमरजेंसी महकमे के एक तिहाई से भी अधिक खाली पड़े पद बेरोजगारों को मुंह चिढ़ा रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि जिस महकमे में इतनी बड़ी तादात में पद खाली पड़े हैं, उस पर लोगों की सुरक्षा का महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी है।

बात हो रही है प्रदेश के अग्निशमन विभाग की। जहां अग्निशमन एवं आपात सेवा के फायरमैन के 45 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त पड़े हुए हैं। यह रिक्तियां कर्मचारी स्तर पर भी नहीं बल्कि अधिकारी स्तर पर भी बनी हुई हैं, जिस वजह से पहाड़ के जिले तो मुख्य अग्निशमन अधिकारी (सीएफओ) विहीन चल रहे हैं।

पुलिस मुख्यालय सूचना अधिकार में काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता को उपलब्ध करायी गयी इन जानकारियों से यह खुलासा हुआ है। जिससे सरकार द्वारा इमरजेंसी सेवा मजबूत होने के दावों की पोल खुल रही है।


काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय से प्रदेश में फायर सर्विस के कार्मिकों के स्वीकृत, कार्यरत व रिक्त पदों की सूचना मांगी। इसके उत्तर में लोक सूचना अधिकारी/उपनिदेशक (तकनीकी) अग्नि शमन एवं आपात सेवा, उत्तराखंड ने अपने जवाब में सम्बन्धित विवरण की प्रति उपलब्ध करायी है। श्री नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार प्रदेश में उपनिदेशक (तकनीकी) का एक पद स्वीकृत है जो उपलब्ध है, जबकि प्रदेश में मुख्य अग्नि शमन अधिकारी (सीएफओ) के 9 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से वर्तमान में केवल 4 सीएफओ ही उपलब्ध हैं। 5 जिलों के सीएफओ के पद खाली ही चल रहे हैं। जो सीएफओ उपलब्ध भी हैं, वह भी केवल देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल व उधमसिंह नगर जैसे मैदानी जिलों में तैनात है। जबकि चमोली, पौड़ी गढ़वाल, टिहरी गढ़वाल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ जैसे पर्वतीय जिले बिना सीएफओ के ही चल रहे हैं।

सबसे विचित्र स्थिति फायर स्टेशन आफिसर (एफएसओ) की है। प्रदेश में फायर स्टेशन आफिसर के 35 पद स्वीकृत है लेकिन केवल 7 फायर स्टेशनों पर ही एफएसओ तैनात हैं। 28 फायर स्टेशनों में इन दिनों बिना किसी एफएसओ के चल रहे हैं। फायर स्टेशन में एफएसओ के बाद काम काज संभालने वाले सेकेंड आफिसर के पदों की भी यही स्थिति है। सेकेंड ऑफिसर के कुल स्वीकृत 50 में से आधे से अधिक 26 पद खाली पड़े हैं।

लीडिंग फायर मैन के 162 स्वीकृत पदों में से भी 15 पद खाली चल रहे हैं तो फायर सर्विस चालकों के 205 पदों में से केवल 4 पद रिक्त हैं, लेकिन 19 ड्राइवर उपनल के कार्यरत हैं। प्रदेश में फायर मैन के 998 पद स्वीकृत हैं, जबकि 34 प्रतिशत से अधिक 455 पद रिक्त है और केवल 543 फायरमैन ही कार्यरत है।

नदीम को मिली जिलावार सूूचना के अनुसार गढ़वाल मण्डल में चमोली जिले में अग्निशमन एवं आपात सेवा के 99 कार्मिकों के स्वीकृत पदों में से केवल 48 कर्मचारी कार्यरत हैं, 52 प्रतिशत 51 पद रिक्त हैं। जबकि रूद्रप्रयाग जिले में 38 में से केवल 22 कर्मचारी कार्यरत और 42 प्रतिशत 16 पद रिक्त हैं। पौड़ी गढ़वाल जिले में 96 में से 49 कार्यरत हैं तो यहां 49 प्रतिशत 47 पद खाली पड़े हैं। उत्तरकाशी में 81 में से 61 कार्यरत हैं तथा 25 प्रतिशत 20 पद रिक्त हैं। टिहरी गढ़वाल में 86 में से 58 कार्यरत हैं तथा 33 प्रतिशत 28 पद रिक्त हैं। बात प्रदेश की राजधानी की करें तो देहरादून में भी 267 में से 147 पद कार्यरत हैं। यहां भी 45 प्रतिशत 120 पद खाली ही चल रहे हैं। हरिद्वार जिले में 160 में से 105 पद कार्यरत हैं तो 34 प्रतिशत 55 पद खाली पड़े हैं।

कुछ ऐसी ही स्थिति प्रदेश के कुमाउं मण्डल की भी है। कुमाउं के अल्मोड़ा जिले में 76 में से 47 पद कार्यरत हैं जबकि 38 प्रतिशत 29 पद रिक्त हैं। बागेश्वर जिले में 61 में से 49 पद कार्यरत है तथा 20 प्रतिशत 12 पद रिक्त हैं। चम्पावत जिले में 72 में से 67 पद पर कर्मचारी कार्यरत हैं तथा 7 प्रतिशत 5 पद रिक्त हैं। पिथौरागढ़ जिले में 61 में से 37 पद कार्यरत हैं तथा 39 प्रतिशत 24 पद रिक्त हैं। नैनीताल जिले में 112 में से 104 पद कार्यरत है तथा 7 प्रतिशत 8 पद खाली हैं। जबकि उधमसिंह नगर जिले में कुल 245 स्वीकृत पदों में से 129 पदों पर कर्मचारी, अधिकारी ही कार्यरत हैं। यहां पर भी 47 प्रतिशत 116 पद कर्मचारियों के अभाव में खाली पड़े हैं।


प्रदेश की सुरक्षा से जुड़े अग्निशमन विभाग जैसे संवेदनशील विभाग में बेरोजगारों की लंबी चौड़ी फौज होने के बाद भी इतने व्यापक पैमाने पर कर्मचारियों के खाली पड़े पद जहां बेरोजगारों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं, वहीं यह बताने के लिए भी पर्याप्त है कि प्रदेश सरकार द्वारा लोगों की सुरक्षा और आपातकालीन सेवाओं के किए जा रहे दावे कितने खोखले हैं।

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