बुलडोज़र अन्याय पर एमनेस्टी की रिपोर्ट ने किये चौंकाने वाले खुलासे, बेकसूरों के पुलिस एनकाउंटर का भी मीडिया में होता महिमामंडन
भारत में एक धर्म विशेष के नागरिकों की आवाज और आकांक्षाओं को कुचलने के लिए बुलडोज़रों का हथियारों की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है और इनके घरों, दुकानों और प्रार्थना स्थानों को बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किये ही बुलडोज़र से ढहाया जा रहा है। यह एक अघोषित सरकारी नीति बन गयी है और क़ानून के दायरे से बाहर विरोध की आवाजों को कुचलने का एक नया तरीका बन गया है....
महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
Amnesty International has published two new reports on bulldozer injustice in India, which is called bulldozer justice by mainstream media and right-wing politicians. वर्ष 2014 के बाद से देश की क़ानून व्यवस्था में दो नए अघोषित बदलाव किये गए हैं – कहीं भी आन्दोलन/धरना/प्रदर्शन शब्द सुनते ही सरकारी तौर पर इन्टरनेट और अनेक मामलों में मोबाइल कनेक्टिविटी को बाधिक किया जाना और दूसरा सत्ता और प्रशासनिक स्तर पर एक धर्म विशेष के लोगों के विरोध की आवाजों को दबाने के लिए बिना कानूनी प्रक्रिया पूरी किये ही घरों, दुकानों और प्रार्थनास्थलों को बुलडोज़र द्वारा जमीन्दोज़ कर देना।
सत्ता भवनों को अवैध तरीके से गिराती है, और देश की पूंजीवाद में डूबी नंगी मीडिया दिनभर उसका महिमामंडन करती है और ऐसे आदेशों के लिए कुख्यात एक मुख्यमंत्री को “बुलडोज़र बाबा” का ताज पहनाती है। जनता को कुचलने वाली सत्ता की ऐसी हरकत को भारत को छोड़कर दुनिया के किसी भी देश का, भले ही वह तानाशाही हो, पर मीडिया महिमामंडित नहीं करता, न्याय नहीं बताता। इस देश का मीडिया तो निहत्थे और बेक़सूर व्यक्ति के पुलिस द्वारा किये गए “तथाकथित” एनकाउंटर का भी महिमामंडन करता है।
हाल में ही एमनेस्टी इन्टरनेशनल ने भारत में विशेष तौर पर बीजेपी शासित राज्यों में बुलडोज़र की मदद से मकानों को धराशाई कर सत्ता और मीडिया द्वारा प्रचारित तथाकथित न्याय पर दो रिपोर्ट प्रकाशित की है। पहली रिपोर्ट अप्रैल 2022 से जून 2022 के बीच भारत के पांच राज्यों में किये गए कुल 128 बुलडोज़र कार्यवाही में से 62 का विस्तृत ब्यौरा है, जिसमें पीड़ितों से साक्षात्कार भी शामिल हैं। ये पांच राज्य हैं – मध्यप्रदेश, गुजरात, दिल्ली, असम और उत्तर प्रदेश – हरेक राज्य में क़ानून व्यवस्था बीजेपी सरकारों की है।
इन कार्यवाहियों से कम से कम 617 परिवार स्पष्ट तौर पर प्रभावित हुए हैं। दूसरी रिपोर्ट के अनुसार ऐसे अधिकतर मामलो में JCB के बुलडोज़र का स्पष्ट तौर पर उपयोग किया गया है, और ऐसी अवैध कार्यवाहियों के साथ जेसीबी का नाम जुड़ रहा है, इसलिए जेसीबी कंपनी को इन मामलों का संज्ञान लेकर मानवाधिकार की रक्षा के लिए अपनी जिम्मेदारी तय करनी चाहिए।
इन दोनों रिपोर्टों के अनुसार भारत में एक धर्म विशेष के नागरिकों की आवाज और आकांक्षाओं को कुचलने के लिए बुलडोज़रों का हथियारों की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है और इनके घरों, दुकानों और प्रार्थना स्थानों को बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किये ही बुलडोज़र से ढहाया जा रहा है। यह एक अघोषित सरकारी नीति बन गयी है और क़ानून के दायरे से बाहर विरोध की आवाजों को कुचलने का एक नया तरीका बन गया है। एमनेस्टी इन्टरनेशनल के सेक्रेटरी जनरल अगनेस कोलामार्ड (Agnes Collamard, Secretary General) के अनुसार यह सब क्रूर और घिनौना कृत्य है। यह पूरी तरीके से अमानवीय, गैरकानूनी और पक्षपातपूर्ण है।
इस रिपोर्ट के अनुसार ऐसी कार्यवाही में अध्ययन किये गए 62 मामलों में कम से कम स्थानीय पुलिस ने 14 लोगों पर बल प्रयोग किया या उन्हें घरों से घसीटकर निकाला। इनमें से अधिकतर का कसूर यह था कि उनके पास घरों के वैध कागज़ थे, जिसे वे पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को दिखाना चाहते थे। इन सभी अवैध कार्यवाहियों के बीच सोशल मीडिया और मेनस्ट्रीम मीडिया में हेटस्पीच के मामले 14 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं, और देश का मेनस्ट्रीम मीडिया इसे लगातार बढ़ावा देता है और सामाजिक ध्रुवीकरण की साजिश रचता है।
एमनेस्टी द्वारा जिन 63 मामलों का गहराई से अध्ययन किया गया है, उनमें से कम से कम 33 मामलों में जेसीबी के बुलडोज़र के उपयोग के स्पष्ट प्रमाण हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को तो मीडिया ने बुलडोज़र बाबा का तमगा देकर ऐसी हरेक कार्यवाही का महिमामंडन किया है और इसे त्वरित इन्साफ बताती है। दक्षिणपंथी नेता और नंगी मीडिया ने जेसीबी को “जिहाद कंट्रोल बोर्ड” बताना शुरू कर दिया है। एमनेस्टी ने अपनी रिपोर्ट में सरकार से ऐसी कार्यवाहियों को तत्काल रोकने की मांग की है और जेसीबी को इस मामले में दखल करने को कहा है।
सन्दर्भ:
1. If you speak up, your house will be demolished: Bulldozer Injustice in India, Amnesty International (2024): Index No. ASA20/7613/2024
2. Unearthing Accountability: JCB’s Role & Responsibility in Bulldozer Injustice in India, Amnesty International (2024): Index No. ASA20/7614/2024