Gender Equality in Kerala Schools | केरल के स्कूलों में लैंगिक समानता
Gender Equality in Kerala Schools | स्कूल की यूनिफार्म में अंतर रहता है – लडकियां सलवार या स्कर्ट पहनती हैं जबकि लडके निक्कर या ट्राउजर्स पहनते हैं| वर्षों से लैंगिक समानता (gender equality) पर काम करने वाले समाजसेवी बताते रहे हैं कि इस तरह यूनिफार्म की लैंगिक असमानता से कहीं न कहीं बच्चों के मन में लैंगिक भेदभाव उत्पन्न होता है, जो आजीवन उनके साथ ही रहता है|
महेंद्र पाण्डेय की टिपण्णी
Gender Equality in Kerala Schools | स्कूल की यूनिफार्म में अंतर रहता है – लडकियां सलवार या स्कर्ट पहनती हैं जबकि लडके निक्कर या ट्राउजर्स पहनते हैं| वर्षों से लैंगिक समानता (gender equality) पर काम करने वाले समाजसेवी बताते रहे हैं कि इस तरह यूनिफार्म की लैंगिक असमानता से कहीं न कहीं बच्चों के मन में लैंगिक भेदभाव उत्पन्न होता है, जो आजीवन उनके साथ ही रहता है| इसे दूर करने के लिए केरल के स्कूलों में सार्थक पहल की जा रही है|
केरल के एर्नाकुलम के वालायांचिरंगारा में स्थित 107 वर्ष पुराने गवर्नमेंट लोअर प्राइमरी स्कूल (Government Lower Primary School at Valayanchirangara) ने इस तरह की पहल सबसे पहले वर्ष 2018 में शुरू की गयी थी, और अब यह केरल के अनेक स्कूलों में किया जा रहा है| केरल सरकार के शिक्षा मंत्री (V, Sivankully, Education Minister of Kerala) ने भी इस पहल का स्वागत किया है और सरकार की तरफ से भरपूर मदद का वादा किया है| वालायांचिरंगारा स्कूल में यूनिफार्म में शर्ट के साथ घुटने से नीचे तक की पेंट है| इस कदम का अनेक सामाईक संगठनों ने भी भरपूर स्वागत किया है और इस पहल को एक आन्दोलन की तरह केरल के दूसरे स्कूलों में भी ले जा रहे हैं|
वालायांचिरंगारा स्कूल जे बच्चों में लैंगिक समानता को बढ़ावा देवे के लिए छोटे पर अत्यंत महत्वपूर्ण दूसरे कदम भी उठाये हैं| इस स्कूल के पहले के लोगो में एक लडके को दिखाया गया था, जिसे बदल कर अब एक लड़का और एक लड़की को दिखाया गया है| इस स्कूल ने बहुत अध्ययन कर यह पाया की बाजार में जितनी भी टेक्स्ट बुक हैं, वे सभी कहीं न कहीं लैंगिक असमानता को बढ़ावा देने वाली हैं और इनमें पुरुष और महिला को परम्परावादी भूमिकाओं में की दिखाया गया है – जैसे ड्राइविंग पुरुष कर रहे हैं और रसोई में महिलायें काम कर रही हैं| स्कूल की पिछली प्रधानाचार्य राजी सी (Former Headmistress Raji C) ने अपने और आसपास के स्कूलों के अध्यापकों को टेक्स्टबुक नए सिरे से लिखने को कहा, और कुछ रेखांकन के छात्रों से नए सिरे से रेखाचित्र तैयार करवाए| अब इस स्कूल में नई टेक्स्टबुक से पढाई होती है, जिसमें पिता रसोई में बच्चे के लिए टिफ़िन तैयार करते दिखते हैं और मां बच्चे के साथ चार चलाती दिखती हैं|
केरल देश का सबसे शिक्षित राज्य है, फिर भी पुरुषों में शिक्षादर महिलाओं से अधिक है और समाज पैतृक सत्ता में विश्वास करता है| पिछले कुछ वर्षों से केरल में समाज और सरकार के स्तर पर लैंगिक समानता को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है| वालायांचिरंगारा स्कूल के यूनिफार्म से सम्बंधित एक अनदेखा सा आन्दोलन शुरू हो गया है और अब केरल के 15 से अधिक स्कूल इसे अपना चुके हैं| वालायांचिरंगारा स्कूल अपने संस्थान में सोशल ऑडिट भी कराता है, जिससे एक तथ्य उभर का आया है कि नई यूनिफार्म से लड़किया बहुत खुश है, और अब खेलों में लड़कों को पीछे छोड़ रही हैं – पहले स्कर्ट के कारण उनके खेलने की क्षमता बाधित होती थी|
हालां कि इस बदलाव का अधिकतर लोगों ने स्वागत किया है, पर कुछ मुस्लिम संगठन इसका विरोध भी कर रहे हैं| केरल की 26 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है, पर केवल कुछ कट्टरवादी संगठन ही इसका विरोध कर रहे हैं| कुछ विरोध राजनैतिक मंशा से भी किया जा रहा है| हाल में ही बलुस्सेरी में एक विद्यालय द्वारा जब ऐसा कदम उठाया गया तब अभिभावक विरोध में सडकों पर उतर गए| हालां कि विरोध का स्वर अब कमजोर हो रहा है और सरकार इस कदम को बढ़ावा दे रही है|