अपने पूंजीपति आकाओं को फायदा पहुंचाने के लिए कहीं मोदी सरकार कोरोना वैक्सीन का इस्तेमाल तो नहीं करने वाली है?
दुनिया के जिन देशों में जन हितैषी सरकारें हैं वे निःशुल्क ही अपने नागरिकों को वैक्सीन देने की तैयारी कर रही हैं लेकिन भारत में जनता का खून निचोड़ने में विश्वास रखने वाली मोदी सरकार से मुफ्त वैक्सीन की उम्मीद नहीं की जा सकती.....
वरिष्ठ पत्रकार दिनकर कुमार का विश्लेषण
कोरोना वायरस की कई वैक्सीटन अब आखिरी दौर में पहुंच चुकी हैं। फाइजर, मॉडर्ना, ऑक्सनफर्ड-एस्ट्रासजेनेका, स्पुतनिक वी जैसी वैक्सीन का एफेकसी डेटा भी आया है। दुनियाभर में वैक्सीन लगाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसके साथ ही भारत में कोरोना वैक्सीन को लेकर मोदी सरकार किस तरह की नीति अपनाने वाली है, इसको लेकर एक तरफ गोदी मीडिया मोदी को प्रजावत्सल शासक के रूप में प्रचारित करती हुई नजर आ रही है, दूसरी तरफ इस बात की प्रबल आशंका दिखाई दे रही है कि मोदी कोरोना वैक्सीन का इस्तेमाल भी अपने पूंजीपति आकाओं को फायदा पहुंचाने के लिए करने वाले हैं।
अब तक का अनुभव यही साबित करता है कि मोदी सरकार को आम लोगों के जीवन-मरण से कोई मतलब नहीं है। लॉकडाउन की घोषणा करते हुए मोदी जिस तरह की बर्बरता का परिचय दे चुके हैं और करोड़ों लोगों का रोजगार छीन चुके हैं, उसे देखते हुए उनसे किसी तरह की उदारता की उम्मीद नहीं की जा सकती। कोरोना के नाम पर पूरे देश के नागरिकों को घर में कैद कर मोदी रेलवे सहित तमाम राष्ट्रीय सम्पत्तियों को बेचने या किसान बिल लाकर किसानों के जीवन को नरक बनाने की साजिश को अंजाम देते रहे हैं। अब कोरोना वैक्सीन के नाम पर मोदी जहां अंबानी की तिजौरी भरने का अभियान शुरू कर सकते हैं वहीं प्रत्येक नागरिक की निगरानी करने के अपने इरादे को अमली जामा पहना सकते हैं।
मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मुख्यमंत्रियों संग बैठक में कोरोना वैक्सीन पर विस्तारर से बात की। उन्होंने कहा कि वैक्सीन कब आएगी, यह वैज्ञानिकों के हाथ में है। मोदी ने साफ किया कि कोरोना टीकाकरण का अभियान लंबा चलने वाला है। वैक्सीन को लेकर जो प्रमुख बातें कहीं, वो इस प्रकार हैं: कौन सी वैक्सीन कितनी कीमत में आएगी, यह तय नहीं है। भारत अपने नागरिकों को जो भी वैक्सीन देगा, वह हर वैज्ञानिक कसौटी पर खरी होगी। वैक्सीन के डिस्ट्रीब्यूशन के लिए राज्यों के साथ मिलकर की तैयारी जा रही है। वैक्सीन का एक विस्तृत प्लान जल्द ही राज्यों से साझा कर दिया जाएगा।
चार महीने पहले यानी 15 जुलाई की एक खबर पर गौर करने की जरूरत है। उस दिन रिलायंस के इतिहास में पहली बार नीता अंबानी ने ऐनुअल जनरल मीटिंग को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से अभी जंग बाकी है। इस जंग में रिलायंस फाउंडेशन सरकार और लोकल म्युनिसिपल अथॉरिटी के साथ मिलकर काम कर रही है।
नीता अंबानी ने कहा कि रिलायंस फाउंडेशन लोकल प्रशासन के साथ मिलकर कोरोना टेस्टिंग की दिशा में बहुत तेजी से काम कर रहा है। इस काम में जियो के डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर से बहुत ज्यादा मदद मिल रही है। बता दें के नीति अंबानी रिलायंस फाउंडेशन की चेयरपर्सन हैं।
कोरोना वैक्सीन पर नीता अंबानी ने कहा कि हम आप लोगों को विश्वास दिलाना चाहते हैं कि जब यह वैक्सीन आएगी, तब देश के हर शख्स तक इसकी पहुंच के लिए रिलायंस फाउंडेशन इसी तरह जियो के डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करेगा और काम को जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश की जाएगी। सप्लाई चेन सिस्टम को ज्यादा कारगर बनाया जाएगा, ताकि जल्द से जल्द लोगों को इस बीमारी से सुरक्षित किया जा सके। यानी वैक्सीन के आने से चार महीने पहले ही नीता अंबानी ने ऐलान कर दिया था कि अंबानी घराने की तरफ से वैक्सीन लोगों तक पहुंचाने की तैयारी हो चुकी है। आपदा में अवसर की रूपरेखा बनाई जा चुकी है।
कोरोना वायरस की कई वैक्सीन अब आखिरी दौर में पहुंच चुकी हैं। फाइजर, मॉडर्ना, ऑक्सनफर्ड-एस्ट्रायजेनेका, स्प तनिक वी जैसी वैक्सी्न का एफेकसी डेटा भी आया है। दुनियाभर में वैक्सीन लगाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। हालांकि अभी तक किसी भी वैक्सीन के चलते बेहद गंभीर साइड इफेक्ट्स की बात सामने नहीं आई है लेकिन जिस तेजी से वैक्सीन तैयार की गई हैं, उसे देखते हुए इसकी संभावना से वैज्ञानिक इनकार नहीं कर रहे हैं।
रूसी वैक्सीसन को छोड़कर बाकी सभी वैक्सीन अब रेगुलेटर्स के पास इमर्जेंसी अप्रूवल के लिए जाएंगी। वैक्सीन के अगले साल की शुरुआत में उपलब्धअ होने की संभावना प्रबल हो गई है। भारत सरकार ने टीकाकरण कार्यक्रम की रूपरेखा लगभग बना ली है। प्राथमिकता के आधार पर टीका किन्हें और कैसे दिया जाए, इसका पूरा खाका खींचा जा रहा है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार भारत में प्राथमिकता के आधार पर सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और सीनियर सिटिजंस को वैक्सीन देने की तैयारी है। इस हाई प्रॉयरिटी ग्रुप में जो भी लोग शामिल होंगे, उन्हें एसएमएस के जरिए टीकाकरण की तारीख, समय और जगह बता दी जाएगी। मेसेज में टीका देने वाली संस्था/हेल्थ वर्कर का नाम भी होगा।
पहली डोज दिए जाने के बाद, दूसरी डोज के लिए एसएमएस भेजा जाएगा। जब टीकाकरण पूरा हो जाएगा तो डिजिटल क्यू आर आधारित एक सर्टिफिकेकट भी जेनरेट होगा तो वैक्सीजन लगने का सबूत होगा। एक डिजिटल प्लेटफार्म बनाया जा रहा है जिसके जरिए कोविड टीकों के स्टॉकऔर डिस्ट्रीटब्यूशन/वैक्सीनेशन को ट्रैक किया जाएगा। कोरोना वैक्सीन लग जाने के बाद सरकार लोगों की मॉनिटरिंग करेगी। यानी जिस सर्विलेंस स्टेट की स्थापना मोदी-शाह करना चाहते हैं उस दिशा में वैक्सीन के बहाने कदम उठाने की तैयारी कर ली गई है। इससे पहले आरोग्य सेतु एप भी इसी तरह का उपक्रम था जिसको लेकर कई तरह के विवाद सामने आ चुके हैं।
रूसी कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक वी का एफेकसी डेटा मंगलवार को जारी कर दिया गया। वैक्सीन 95% तक असरदार मिली है। यह वैक्सीन करीब 20 डॉलर में उपलब्ध होगी जो अमेरिकी कंपनियों के मुकाबले कम कीमत है। वैक्सीन दो तरह के तापमान पर रखी जा सकती है। लिक्विड वैक्सीन को -18 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत पड़ती है जबकि फ्रीज-ड्राई वैक्सीन को 2 से -8 डिग्री के बीच रखना पड़ता है। कई भारतीय कंपनियां इस वैक्सीन की डोज बनाएंगी। रिसर्चर्स के अनुसार, यह वैक्सीन इंसानी एडेनोवायरस के दो अलग-अलग वेक्टलर्स का इस्तेरमाल करती है जिसके चलते इसे मजबूत और लंबा इम्युनन रेस्पांस देने की काबिलियत मिलती है।
आमतौर पर वैक्सीन तैयार होने में सालों लगते हैं मगर कोरोना के केस में महज कुछ महीनों में वैक्सीन तैयार की गई है। इस जल्दबाजी में भी सुरक्षा संबंधी पहलुओं का ध्यान रखा गया है लेकिन हर एक पर वैक्सीन का कैसा असर होगा, यह परखने में काफी वक्त लगता है।
दुनिया के जिन देशों में जन हितैषी सरकारें हैं वे निःशुल्क ही अपने नागरिकों को वैक्सीन देने की तैयारी कर रही हैं। लेकिन भारत में जनता का खून निचोड़ने में विश्वास रखने वाली मोदी सरकार से मुफ्त वैक्सीन की उम्मीद नहीं की जा सकती। गोदी मीडिया ने तो अभी से अलग अलग वैक्सीन की कीमत का तुलनात्मक अध्ययन भी दिखलाना शुरू कर दिया है।