पीएम मोदी ने सही कहा विस्तारवाद मानवता का दुश्मन, मगर विकास से भी कम नहीं है खतरा

विकास और विस्तार भले ही दो अलग मतलब वाले शब्द हों, पर आज की दुनिया में दोनों का मतलब एक ही है और यह सभी जानते हैं...

Update: 2020-07-04 09:43 GMT
file photo

वरिष्ठ लेखक महेंद्र पाण्डेय का विश्लेषण

प्रधानमंत्री ने 3 जुलाई को लेह में सेना के जवानों को संबोधित करते हुए बिलकुल सही कहा कि विस्तारवाद ही मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है। पर इसके आगे जो कहा यानि, आज विकासवाद का दौर है, सही की कसौटी पर शायद खरा नहीं उतरता है, क्योंकि आज का विकास ही विस्तारवाद है।

आज के दौर में विकास, बाजार के विस्तार का नाम है – जिसका बाजार जितना अधिक विस्तार करेगा, उसे हम उतना ही विकसित कहते हैं। भले ही ट्रम्प जैसा व्यक्ति राष्ट्रपति हो, देश में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा डेढ़ लाख के पास हो, और समाज नस्लवाद और असमानता से बजबजा रहा हो – पर अमेरिका आज भी सबसे विकसित देश माना जाता है।

यह विकास नहीं विस्तारवाद है जो हमारे प्रधानमंत्री को ह्यूस्टन की रैली में "अबकी बार ट्रम्प सरकार" कहने को बाध्य करता है। विस्तारवाद का उदाहरण तो नमस्ते ट्रम्प भी था। दरअसल प्रधानमंत्री जी को यह स्पष्ट करना चाहिए था आज के दौर में विकास और विस्तार पर्यायवाची शब्द हैं, और दोनों से मानवता को खतरा है।

हमारे देश में तो तथाकथित विस्तार की एक लम्बी परंपरा रही है। देवता और दानवों का युद्ध किसी विकास के लिए नहीं चलता था बल्कि साम्राज्य विस्तार का ही युद्ध था, जिसमें हमारे पूजनीय देवता हमेशा छल से युद्ध जीतते थे और साम्राज्य का विस्तार करते थे।

राम के बारे में कोई नहीं कहता कि उन्होंने अयोध्या में कोई विकास कार्य किया, यह जरूर बताया जाता है कि उन्होंने अश्वमेध यज्ञ करवाया, जिसका मकसद की साम्राज्य का विस्तार था। कृष्ण की अगुवाई में जिस महाभारत के युद्ध की बात की जाती है वह भी कौरवों और पांडवों के साम्राज्य विस्तार की ललक के कारण लड़ा गया।

इतिहास के दौर में भी महान सम्राट अशोक को भले ही शान्ति का प्रतीक और बौद्ध धर्म के प्रचारक के तौर पर याद किया जाता हो, पर यह विस्तारवाद ही था जिसके कारण कलिंग युद्ध में हजारों सैनिकों को मारा गया था। बाद के भी जितने शासकों को इतिहास महान सम्राट बताता है, उनमें से किसी को भी विकास के कारण महान नहीं कहा जाता, बल्कि राज्य के विस्तार के लिए किये गए युद्धों के कारण महान सम्राट या चक्रवर्ती सम्राट कहा जाता है। इन्हीं आपसी विस्तारवाद के कारण किये जा रहे युद्धों को एक के बाद एक आक्रमण करते विदेशी शासकों ने खूब भड़काया, और हमपर लम्बे समय तक राज किया।

विस्तारवाद केवल अंतरराष्ट्रीय नहीं होता, बल्कि देश के अन्दर भी यह होता है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने अगले दो दशकों तक अपनी कुर्सी का विस्तार कर लिया और हमारे प्रधानमंत्री जी ने उन्हें बधाई भी दी। पुतिन के दौर में रूस से किसी विकास की खबर शायद ही कभी आई हो। अपने देश में भी देखें तो बस विस्तार ही विस्तार नजर आता है।

बीजेपी ने उतार-पूर्व के राज्यों में बहुत विकास किया हो ऐसा नहीं है, पर अपने शासन का विस्तार कर लिया। गोवा, कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी विकास नहीं बस साम्राज्य का विस्तार ही किया गया है। कोरोना काल में भी विधायकों को खरीदना और दूसरी सरकारें गिराने की साजिश, संभव है कुछ लोगों को विकास लगता होगा पर सामान्य भाषा में यह केवल विस्तार है।

दूसरी तरफ, जब प्रधानमंत्री स्वयं डंका पीटते हैं कि कोई घुसपैठ नहीं हुई, तो फिर विस्तार का सवाल ही कहाँ उठता है? हमारे जवानों का मनोबल तो उसी दिन बढ़ गया होगा, जिस दिन प्रधानमंत्री ने कोई घुसपैठ नहीं हुई है का वक्तव्य दिया था। इस एक वक्तव्य के सन्दर्भ में देखें तो जवानों के सामने खड़े होकर दिया गया पूरा भाषण ही निरर्थक नजर आएगा।

विकास और विस्तार भले ही दो अलग मतलब वाले शब्द हों, पर आज की दुनिया में दोनों का मतलब एक ही है और यह सभी जानते हैं। 

Tags:    

Similar News