दुनियाभर में तापमान और बिजली गिरने के टूटते रिकॉर्ड | Record shattering Temperatures across the Globe
Record shattering Temperatures across the Globe | वर्ष 2021 में दुनियाभर के 400 से अधिक मौसम आकलन केन्द्रों (Weather Stations) ने ऐसा तापमान रिकॉर्ड किया है, जो उस स्थान के लिए अभूतपूर्व था, यानि ऐसा तापमान पहले नहीं देखा गया था|
महेंद्र पाण्डेय की रिपोर्ट
Record shattering Temperatures across the Globe | वर्ष 2021 में दुनियाभर के 400 से अधिक मौसम आकलन केन्द्रों (Weather Stations) ने ऐसा तापमान रिकॉर्ड किया है, जो उस स्थान के लिए अभूतपूर्व था, यानि ऐसा तापमान पहले नहीं देखा गया था| पिछले वर्ष ही पृथ्वी पर मापा गया अब तक का सबसे अधिक तापमान भी रिकॉर्ड किया गया| मैक्सीमिलियनो हेरेरा (Maximiliano Herrera) नामक संस्था पिछले 30 वर्षों से हरेक वर्ष ऐसे स्थानों का आकलन करती है जहां सामान्य से कम या अधिक तापमान मापा जाता है| इस संस्था द्वारा हाल में प्रकाशित बुलेटिन के अनुसार इतने अधिक मौसम आकलन केन्द्रों पर तापमान के रिकॉर्ड टूटने की घटना पहले कभी नहीं दर्ज की गयी|
गर्मी के तापमान का रिकॉर्ड ध्वस्त होना जलवायु परिवर्तन और तापमान बृद्धि के इस दौर में एकदम सामान्य हो चला है, और यह सिलसिला पूरी दुनिया में चल रहा है| पिछले वर्ष 10 देशों – ओमान, यूनाइटेड अरब एमिरात, कनाडा, अमेरिका, मोरक्को, टर्की, ताइवान, इटली, तुनिशिया और डॉमिनिका – में ऐसे तापमान मापे गए, जो उस देश में कभी नहीं मापे गए थे| दुनिया के 107 देशों में वर्ष 2021 के किसी न किसी महीने में उस महीने का औसत तापमान ध्वस्त हुआ और 5 देश ऐसे हैं जहां ठंडक का रिकॉर्ड ध्वस्त हो गया| अमेरिका के फर्नेस क्रीक (Furnace Creek, USA) में 9 जुलाई को तापमान 54.4 डिग्री सेल्सियस था, जो पृथ्वी पर तापमान का जब से वैज्ञानिक आकलन किया जा रहा है, उन सबसे अधिक था, यानि पूरी दुनिया में यह तापमान कभी मापा नहीं गया था|
तापमान के नए रिकॉर्ड के कुछ उदाहरण हैं – 6 जून को यूनाइटेड अरब एमिरात के स्विएहन में 51.8 डिग्री सेल्सियस, 16 जून को ओमान के जोबा में 51.6 डिग्री सेल्सियस, 11 अगस्त को तुनिशिया के कैरोवन में 50.3 डिग्री सेल्सियस, 29 जून को कनाडा के लिट्तों में 49.6 डिग्री सेल्सियस, 10 जुलाई को मोरक्को के सीडी शिनाने में 49.6 डिग्री सेल्सियस, 20 जुलाई को टर्की के सिज्रे में 49.4 डिग्री सेल्सियस, 20 जुलाई को इटली के सायराक्यूज में 48.8 डिग्री सेल्सियस, 1 अगस्त को ताइवान के तन्नाली में 40.6 डिग्री सेल्सियस और 12 अगस्त को डॉमिनिका के केनफील्ड में 35.8 डिग्री सेल्सियस| यह सभी तापमान इन देशों में अब तक नहीं मापे गए थे, और इटली में मापा गया 48.8 डिग्री सेल्सियस तापमान पूरे यूरोप के लिए एक नया रिकॉर्ड है|
पिछले वर्ष केवल तापमान के ही नहीं बल्कि चरम मौसम (Extreme Weather) के अनेक रिकॉर्ड ध्वस्त हुए थे| चीन के लिए वर्ष 2021 सबसे गर्म वर्ष रहा था, पर गर्मी से अधिक चर्चा बारिश की की गयी थी| चीन के हनान प्रांत में केवल तीन दिनों के भीतर ही इतनी बारिश दर्ज की गयी थी, जितनी पूरे वर्ष के दौरान होती है – इसके बाद चीन के बड़े हिस्से को बाढ़ की विभीषिका झेलनी पडी थी और जान-माल की अभूतपूर्व तबाही देखी गयी| जून और सितम्बर के महीनों में अफ्रीका के अनेक देशों में तापमान के मासिक औसत तापमान के रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए| अलास्का और साइबेरिया में भी तापमान के नए रिकॉर्ड स्थापित होते रहे तो दूसरी तरफ फरवरी के महीने में अमेरिका के टेक्सास में सर्दी ने नए रिकॉर्ड स्थापित किये|
वैज्ञानिकों के अनुसार इस तरह लगातार बढ़ती चरम मौसम की घटनाएं जलवायु परिवर्तन और तापमान बृद्धि का नतीजा हैं, और यदि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती नहीं की गयी तो इस तरह की घटनाएं पूरी दुनिया में बढ़ती रहेंगीं| हालां कि वैज्ञानिकों का आकलन है कि वर्ष 2021 इतिहास का सबसे गर्म वर्ष नहीं रहेगा, पर इतना जरूर है यह सबसे गर्म वर्ष के सन्दर्भ में 5वें या 6ठे स्थान पर रहेगा| इतना तो तय है कि तापमान बृद्धि का सिलसिला आगे भी चलता रहेगा| वर्ष 2020 से पीछे के 6 वर्ष हमारे इतिहास के सबसे गर्म 6 वर्ष रहे हैं|
तापमान बृद्धि का असर केवल तापमान पर ही नहीं बढ़ रहा है बल्कि आसमान से बिजली गिरने की घटनाएं (Lightning) भी बढ़ रही हैं| उत्तरी ध्रुव (Arctic) के ऊँचे इलाकों में बिजली गिरने की घटनाएं बहुत कम दर्ज की जाती थीं, क्योंकि वहां चारों तरफ बर्फ के मोटे आवरण के कारण हवा में नमी कम रहती थी| पर, पिछले कुछ वर्षों से पृथ्वी के गर्म होने की औसत दर की तुलना में उत्तरी ध्रुव के गर्म होने की दर तीनगुना अधिक हो गयी है, और वहां के बर्फ का आवरण तेजी से पिघलने लगा है| इससे वाष्पीकरण की दर बढ़ गयी है और अब हवा में भरपूर नमी का समावेश हो गया है और तापमान भी बढ़ने लगा है इससे बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ गईं हैं| वर्ष 2021 के दौरान उत्तरी ध्रुव के ऊँचे इलाकों में बिजली गिरने की 7278 घटनाएं दर्ज की गईं हैं, जिनकी संख्या इससे पहले के 9 वर्षों के दौरान सम्मिलित तौर पर बिजली गिरने की कुल संख्या के दुगुने से भी अधिक है|
दुनियाभर में बिजली गिरने की घटनाओं का आकलन फ़िनलैंड की संस्था, वैसाला (Vaisala's Annual Lightning Report), द्वारा प्रकाशित एनुअल लाईटनिंग रिपोर्ट में प्रस्तुत किया जाता है| दुनियाभर में बिजली गिराने की घटनाएं साल दर साल बढ़ती जा रहीं हैं| भारत में भी प्रतिवर्ष 100 से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु बिजली गिरने से होने लगी है| उत्तरी अमेरिका, यूरोप और दक्षिणी अमेरिका में भी बिजली गिराने की घटनाएं अभूतपूर्व दर से बढ़ रही हैं, और इसका कारण तापमान बृद्धि है| वर्ष 2014 में ही वैज्ञानिकों ने बता दिया था कि तापमान जब 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ता है तब बिजली गिरने की घटनाओं में 12 प्रतिशत की बृद्धि हो जाती है|
बिजली गिरने के कारण जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं| पिछले कुछ वर्षों से यूरोप, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं| इनमें से 15 प्रतिशत से अधिक घटनाओं का कारण आसमान से गिरी बिजली होती है| वैसे तो यह प्रतिशत कम लगता है, पर वैज्ञानिकों के अनुसार बिजली गिराने के कारण जंगलों में आग लगाने की घटना में जंगलों का अपेक्षाकृत बड़ा हिस्सा प्रभावित होता है|
तापमान बृद्धि हरेक तरीके से धरती के जीवन को प्रभावित कर रहा है, पर कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कटौती की कोई आशा नजर नहीं आ रही है| जाहिर है, मनुष्य सही मायने में आत्मघात की तरफ बढ़ रहा है|