दक्षिणी अमेरिकी देशों की राजनीति में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी | South America - Participation of women in politics |

South America - Participation of women in politics | कुछ दशक पहले तक दक्षिण अमेरिकी (South America) देश सैर-सपाटा, निरंकुश सरकारों और महिलाओं पर हिंसा के लिए कुख्यात थे, पर अब वहां कुछ देशों में जीवंत लोकतंत्र पनपने लगा है और राजनीति के शीर्ष पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ने लगी है|

Update: 2022-01-24 16:03 GMT

महेंद्र पाण्डेय की रिपोर्ट

South America - Participation of women in politics | कुछ दशक पहले तक दक्षिण अमेरिकी (South America) देश सैर-सपाटा, निरंकुश सरकारों और महिलाओं पर हिंसा के लिए कुख्यात थे, पर अब वहां कुछ देशों में जीवंत लोकतंत्र पनपने लगा है और राजनीति के शीर्ष पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ने लगी है| दूसरी तरफ, यूरोप के कुछ देश और भारत जैसे जीवंत लोकतंत्र के लिए प्रसिद्ध देशों में लोकतंत्र का अंत हो रहा है और राजनीति में महिलायें हाशिये पर पहुँच रही हैं|

चिली (Chile) में अभी हाल में ही हुए राष्ट्रपति चुनावों में वामपंथी विचारधारा वाले पूर्व छात्र नेता 35 वर्षीय गैब्रियल बोरिक (Gabrial Boric) भारी मतों से विजयी हुए हैं और 11 मार्च को अपने पद की शपथ लेंगें| चिली के इतिहास में ये सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति होंगे| गैब्रियल बोरिक ने इसी सप्ताह अपने मंत्रिमंडल का ऐलान किया है, जिसमें 14 महिलायें और 11 पुरुष हैं| पूरे मंत्रिमंडल की औसत उम्र 49 वर्ष है| दक्षिण अमेरिकी देशों के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा, जब किसी देश के मंत्रिमंडल में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक होगी|

चिली में 11 मार्च से घुर दक्षिणपंथी और अरबपति सेबेस्टियन पिनेरा (Sebastian Pinera) का शासन ख़त्म हो जाएगा और समाजवादी और वामपंथी विचारधारा के मेलजोल वाले सरकार का नया दौर शुरू होगा| गैब्रियल बोरिक का मंत्रिमंडल अनुभवी समाजवादियों और युवा आन्दोलनकारी छात्र नेताओं का एक मिलाजुला स्वरुप है| नवनिर्वाचित राष्ट्रपति पूरी तरह प्रतिबद्ध है कि देश के पर्यावरणीय अनुकूल विकास और सामाजिक समानता के लिए सभी आवश्यक बदलाव जल्द से जल्द किया जाएगा| गैब्रियल बोरिक के अनुसार नया मंत्रिमंडल नयी विचारधारा वाला है, और सभी मंत्री आत्मविश्वास से लबरेज हैं और अपने क्षेत्रों को अच्छी तरह जानते हैं| महिला मंत्रियों के जिम्मे रक्षा, गृह, लैंगिक समानता और क़ानून और न्याय जैसे मंत्रालय हैं| सबसे कम उम्र की मंत्री 32 वर्षीया अंतोनियो ओरेल्लाना (Antonio Orellana) हैं, जिनके जिम्मे महिला मामले और लैंगिक समानता है|


चिली में इस समय जो संविधान है, उसे 1980 में तानाशाह पिनोचेट (Dictator Augusto Pinochet) के शासन में लिखा गया था| इसमें तानाशाही, सामाजिक उपेक्षा और पून्जीवाद की भरपूर झलक थी| इस संविधान में महिलाओं, श्रमिकों और मानवाधिकारों की पूरी तरह से उपेक्षा की गयी थी| इसके बाद समय-समय पर चिली में बड़े आन्दोलन होते रहे, पर वर्ष 2019 में पहली बार सभी वर्ग एकसाथ आन्दोलन में शामिल हो गए| इसके बाद ही पूरी राजनैतिक व्यवस्था और संविधान को बदलने की चर्चा शुरू हुई थी| वर्ष 2020 के अक्टूबर में एक जनमत संग्रह कराया, जिसमें 79 प्रतिशत लोगों ने नए संविधान का समर्थन किया| इस जनमत संग्रह में लोगों ने केवल नए संविधान का समर्थन ही नहीं किया था, बल्कि इस काम के लिए एक एलेक्टेड सिटीजन असेंबली की सिफारिश भी की थी, जिसके 155 सदस्यों में से महिला और पुरुषों की संख्या बराबर होगी|

इसके बाद वर्ष 2021 में 15-16 मई को सिटीजन असेंबली के 155 सदस्यों के लिए चुनाव आयोजित किये गए| जिसके नतीजों के अनुसार इसमें अधिकतर युवाओं की जीत हुई है, जो मानवाधिकार कार्यकर्ता, श्रमिकों के प्रतिनिधि, जनजातियों के प्रतिनिधि या फिर लैंगिक समानता की आवाज उठा रहे थे| इन चुनावों में दक्षिणपंथी विचारधारा वाले राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा का समर्थन लिए उम्मीदवार भी थे, पर महज 37 ऐसे सदस्य चुने गए हैं, जो दक्षिणपंथी राजनीति से जुड़े हैं और जिनकी विचारधारा रुढीवादी है| पर, इन रुढ़िवादी सदस्यों के असेम्बली में रहने से भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि चिली के क़ानून के हिसाब से संविधान की हरेक धारा को शामिल करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की ही आवश्यकता है| नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गैब्रियल बोरिक ने नए संविधान के काम में तेजी लाने का आश्वासन भी दिया है|

एक दूसरे दक्षिण अमेरिकी देश होंडुरस (Honduras) में हाल में ही राष्ट्रपति चुनाव हुए थे, और नतीजों के अनुसार इस बार देश में पहली महिला और वामपंथी, जिओमारा कास्त्रो (Xiomara Castro), राष्ट्रपति निर्वाचित हुई हैं| 12 वर्ष पहले जिओमारा कास्त्रो के पति मनुएल ज़ेलाया (Manuel Zelaya) राष्ट्रपति थे, पर उद्योगपतियों और सेना के विरोध के कारण उन्हें अपने पद से हटाना पड़ा था| इसके बाद से लगातार निरंकुश शासन का दौर चलता रहा| पिछले 2 बार से जुआन ऑर्लैंडो (Juan Orlando) राष्ट्रपति चुने जा रहे थे, जिनपर भ्रष्टाचार और ड्रग तस्करों के साथ देने के अनेक आरोप लगे हैं| इनके पूरे शासनकाल में जनता भ्रष्टाचार, महंगाई और निरंकुश शासन से परेशान रही है| 27 जनवरी के दिन जिओमारा कास्त्रो राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगीं और इस समारोह में अमेरिका की उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस के भी मौजूद रहने की संभावना है|

जिओमारा कास्त्रो ने कहा है कि राष्ट्रपति बनाने के बाद वे देश के नए संविधान पर काम करेंगीं, मानवाधिकार बहाल करेंगीं, गर्भपात के कानून को सरल करेंगीं और देश के भ्रष्ट न्यायतंत्र को दुरुस्त करेंगी| कास्त्रो की सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती बेरोजगारी दर को नियंत्रित करना, दो बड़े चक्रवातों से प्रभावित आबादी की तेजी से मदद करना और हिंसा और पैसा-उगाही की वारदातों पर अंकुश लगाना है| दूसरी सबसे बडी समस्या है, होंडुरस की 74 प्रतिशत आबादी गरीब है और नई सरकार को इन्हें गरीबी से बाहर करना होगा|

सूरीनाम (Suriname) की प्रथम महिला मेलिसा संतोखी सीनाचेरी (First Lady Mellisa Santokhi Seenacherry) पेशे से वकील हैं, पर अपने देश में महिला सशक्तीकरण और मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत काम कर रही हैं| इसी तरह गुयाना (Guyana) की प्रथम महिला आर्य अली (First Lady Arya Ali) महिला सशक्तीकरण, बच्चों का विकास, घरेलु हिंसा और बलात्कार के साथ ही विकलांगों के मामलों की स्वयं निगरानी करती हैं| गुयाना की पर्यावरण कार्यकर्ता अनेट अर्जुन (Annette Arjoon) ने वन्य जीवों के संरक्षण के लिए देश के पहले नेशनल पार्क की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया है| दक्षिण अमेरिकी देशों त्रिनिदाद एंड टोबागो (Trinidad & Tobago) और जमैका (Jamaica) में राजनीति में महिलायें बड़ी संख्या में हैं, पर इन देशों की विशेषता यह है कि इनमें अधिकतर बड़ी कंपनियों का स्वामित्व या फिर उच्च पद महिलाओं के अधीन हैं| हाल में एक अध्ययन के अनुसार इन देशों में जितनी कंपनियों में महिला सीईओ हैं, उतनी अमेरिका में भी नहीं हैं|

कैरिबियन द्वीप समूह (Caribbean Island) में स्थित बारबाडोस (Barbados) 29 नवम्बर 2021 को ब्रिटिश राजशाही से बाहर आ गया इस काम को आने में बारबाडोस को 396 वर्ष लगे| राजशाही से अलग होने का फैसला नवम्बर 2020 में प्रधानमंत्री मिया मोटले (Mia Mottley) ने आधिकारिक तौर पर लिया था और 29 नवम्बर के कार्यक्रम का संचालन भी उन्होंने ही किया| उन्होंने कहा कि, यह गर्व की बात है कि आज यह देश ब्रिटिश उपनिवेश की दास्ताँ से मुक्त हो गया| ब्रिटिश राजशाही के चंगुल से मुक्त होने की मांग वर्ष 1966 से शुरू हुई थी, पर इसका परिणाम 29 नवम्बर को निकला|

56 वर्षीय महिला प्रधानमंत्री मिया मोटले को जो लोग ठीक से जानते हैं, उन्हें इन सब में कुछ आश्चर्यजनक नहीं लगा| वे इस देश की पहली महिला प्रधानमंत्री हैं और मानवाधिकार, रंगभेद और सामाजिक न्याय के लिए सक्रिय रहती हैं और कुछ जानकारों के अनुसार अपने वक्तव्यों और वादों को पूरा करने के लिए तत्पर रहती हैं| वे यह भी प्रयास करती हैं कि उनके कामों को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिले| एक राजनैतिक परिवार से आने के बाद भी राजनीति और समाज सेवा में मिया मोटले ने अपना रास्ता तैयार किया है| उनके दादा राजधानी ब्रिजटाउन के मेयर थे और उनके पिता संसद सदस्य थे| मिया मोटले को जनता और कामगारों से संवाद करने और उनकी आकांक्षाओं को परखने का महारथी माना जाता है| उन्होंने प्रधानमंत्री रहते पैन-अफ्रीकन आन्दोलन, प्रगतिशील आन्दोलन और सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में काम कर रहे संगठनों के साथ तालमेल बिठाया|

वर्ष 2018 में उनकी बारबाडोस लेबर पार्टी प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई थी| सत्ता में आते ही उन्होंने उच्च शिक्षा को मुफ्त किया था, जिससे उनकी लोकप्रियता पहले से भी अधिक बढ़ गयी| वर्ष 2020 में अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लाएड की हत्या के बाद जब ब्लैक लाइव्स मैटर नामक आन्दोलन की शुरुआत की गयी तब मिया मोटले ने बारबाडोस में इस आन्दोलन की स्वयं अगुवाई की थी और उनके नेतृत्व में नागरिकों को गुलामी की तरफ धकेलने वाले एडमिरल होराटियो नेसम की 200 वर्ष पुरानी प्रतिमा को धराशाई किया था, उस दिन भी मिया मोटले ने अपने भाषण में ब्रिटिश उपनिवेशवाद से अलग होने का नारा दिया था| हाल में स्कॉटलैंड के ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए आयोजित कांफ्रेंस ऑफ़ पार्टीज के 26वें अधिवेशन में सबसे प्रभावी भाषणों में एक मिया मोटले का भाषण भी था| उनके भाषण के प्रभाव का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि इसके बाद से अनेक राजनेता और मानवाधिकार संगठन मानने लगे हैं कि उनमें संयुक्त राष्ट्र के पहली कैरेबियन और पहली महिला महासचिव होने के सारे गुण हैं| बारबाडोस का समाज सामाजिक तौर पर पुरातनपंथी और धर्मभीरु है, और ऐसे समाज में भी मिया मोटले की नई सोच और विचारधारा कारगर हो रही है, इससे ही उनकी क्षमता और कुशलता का अंदाजा लगाया जा सकता है|

दक्षिण अमेरिका के अनेक देशों में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है और इस बदलाव में सबसे बड़ी भुमिका महिलाओं की हैं| महिलायें इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था सुधार रही हैं, महामारी से निपटने के मूलमंत्र दे रही हैं, सामाजिक न्याय का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से अपने देशों को बचाने का सार्थक प्रयास कर रही हैं|

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