तो एमसीडी में पार्षदों की इस सोच की वजह से AAP से मात खा गई BJP!

MCD Election Result 2022 : राजनीति में जमीनी हकीकत को टटोलने का सबसे बेहतर पैरामीटर मतदाता का मत होता है। एमसीडी चुनाव परिणाम उसी का प्रतीक है। जो जमीन पर दिखा और सक्रिय रहा वो 15 साल बाद ही सही एमसीडी में भाजपा का झाड़ू लगाने में सफल हुआ।

Update: 2022-12-07 08:07 GMT

तो एमसीडी में पार्षदों की इस सोच की वजह से आप से मात खा गई भाजपा!

MCD Election Result 2022 : ठीक पांच साल पहले केजरीवाल के करिश्मे के बावजूद दिल्ली ( Delhi ) के तीनों एमसीडी ( MCD ) में भाजपा ( BJP ) ने दो तिहाई बहुमत से जीत हासिल की थी और तीनों एमसीडी में भाजपा के मेयर चुने गए थे। पांच साल बाद सियासी हालात बिल्कुल उलट हैं। आप आदमी पार्टी ( AAP ) दो तिहाई बहुमत से तो नहीं लेकिन खुद की बहुमत से मेयर बनाने के लिए तैयार बैठी है। भाजपा 15 साल बाद एमसीडी में सत्ता से बेदखल के करीब है तो कांग्रेस ( Congress ) की पिछले ​तीन दशक में इतनी दुर्गति कभी नहीं हुई।

अब सवाल यह है कि भाजपा की इतनी बुरी हार क्यों हुई कि आप अपने दम पर मेयर बनाने में सफल हुई। इसका जवाब भाजपा पार्षदों के इस सोच से मिल जाएगा। यहां पर मैं जिक्र करना चाहूंगा एक भाजपा पार्षद बबीता संतराम अग्रवाल का। पांच साल पहले यानि साल 2017 में दक्षिण दिल्ली नगर निगम की मोहन गार्डन साउथ सीट से भाजपा टिकट पर बबीता संतराम अग्रवाल ने चुनावी जीत हासिल की थी। चुनावी जीत के बाद जनज्वार डॉट कॉम के प्रतिनिधि धीरेंद्र कुमार मिश्र से उनके दफ्तर कम रेजिडेंस पर लोकल समस्याओं को लेकर बातचीत हुई थी। उस दौरान पार्षद पति यानि बबीता संतराम अग्रवाल के पति संतराम अग्रवाल से जो बातचीत हुई उसे अगर ताजा दिल्ली नगर निगम चुनाव परिणामों से जोड़कर देखते हुए तो आपको साफ साफ दिखने लगता है कि भ्रष्टाचार के आरोपों की भाजपा की ओर से बारिश के बावजूद आम आदमी पार्टी एमसीडी की सत्ता पर कैसे काबिज हो गई। यहां पर ये भी बता दें कि भाजपा को एमसीडी से बाहर करना असंभव माना जा रहा था। इसके बावजूद आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की है।

यहां पर यह जानना जरूरी है कि आखिर भाजपा पार्षद बबीता के पति संतराम अग्रवाल ने क्या कहा था, जिसकी चर्चा मैं आज कर रहा हूं। पांच साल पहले जब जनज्वार डॉट कॉम के प्रतिनिधि ने पूछा था कि आपके वार्ड में स्ट्रीट लाइट की हालत बहुत खराब है, साफ सफाई की व्यवस्था भी चरमराई हुई, नालियों को लोगों ने मलवों से भर दिया, बूंदाबांदी होने भर से गलियों में पानी जमा हो जाता है। बरसाती पानी की नालिया जो शीला दीक्षित के कार्यकाल में बनाई गईं थी वो बंद पड़ी हैं।

इन सवालों का जवाब जानकर आप चौंक जाएंगे कि क्या दिल्ली नगर निगम का पार्षद पति वो भी भाजपा का पार्षद अपने क्षेत्र के लोगों के बारे ये सोच रखता है। पार्षद पति संतराम अग्रवाल ने कहा था कि मिश्रा जी विकास का काम कर क्या करेंगे, विकास के नाम पर वोट नहीं मिलते। वोट तो मोदी जी के नाम पर मिलता है। मैंने अपने पत्नी यानि बबीता को जैसे-तैसे टिकट दिलवा दिया। मोदी जी के नाम वो जीत भी गई। दिल्ली सरकार में अरविंद केजरीवाल बैठा है। काम करवाएंगे तो वो उसका क्रेडिट ले जाएगा। हमें उसका कोई लाभ नहीं मिलेगा। इसलिए काम करने की कोई जरूतर नहीं है। हां, संतराम अग्रवाल ने पिछले पांच सालों में इतना जरूर किया कि उसने अपने वार्ड के हर गली के कॉर्नर पर स्टीम का कीमती वो भी बड़ा और मजबूत बोर्ड जरूर लगवा दिए। ताकि लोग इस बात को न भी जानना चाहें तो जान जाएं कि क्षेत्र का पार्षद कौन है। यहां तक कि कोविड के दौरान भी ये पार्षद कहीं और किसी भी स्तर पर सक्रिय नहीं दिखे।

इतना ही नहीं, कुछ महीनों बाद संतराम अग्रवाल ने एक कार्यक्रम में जिसमें भाजपा नेता पवन शर्मा मुख्य अतिथि थे शामिल होने के लिए बुलाया था। मैं, भी उस समय संयोग से घर पर था और फ्री भी था। फिर कार्यक्रम भी घर से आधे किलोमीटर की दूरी था। इसलिए उसमें शामिल होने भी चला गया। वहां पर लोग बहुत कम आये थे। बातचीत में पार्षद पति ने कहा कि वोट तो मोदी जी के नाम पर मिल गया लेकिन बुलाने पर भी लोग कार्यक्रम में नहीं आये। मिश्रा जी आप आपने दोस्तों और करीबियों को ​बुला लीजिए। पवन शर्मा जी आ रहे हैं वो क्यों सोचेंगे।

वहीं कोविड के दौरान स्थानीय विधायक नरेश बालियान सक्रिय थे। कोरोना के दूसरी डोज के दौरान जब आक्सीजन के अभाव में दिल्ली वाले दर—दर भटक रहे थे। सैकड़ों लोगों की जान आक्सीजन के अभाव में चली गईं, उस दौर में एक करीबी को कोरोना हो जाने की स्थिति में जब जनज्वार डॉट कॉम के प्रतिनिधि आप विधायक नरेश बाल्यान का फोन मिलाया तो उन्होंने कॉल रिसिव किया। बात की। आप विधायक ने अपने करीबी शुक्ला जी का मोबाइल नंबर दिया और कहा उनसे मेरा नाम लेकर बात कीजिए, आपको आक्सीजन मिल जाएगा। शुक्ला जी को फोन मिलाया तो उन्होंने रिसिव किया और डॉक्टर अहमद से बात करने को कहा। डॉ. अहमद ने बात करने पर कहा कि आप मेरे क्लिनिक पर मरीज को ले आईए, उसका इलाज हो जाएगा और आक्सीजन भी मिल जाएगा। इस हालात में मेरे करीबी और बाप के इकलौते बेटे युवक की जान बच गई। खास बात यह है कि उसके शादी को करीब एक से डेढ़ साल ही हुए थे और उसकी पत्नी गृहिणी थी। अब आप समझ गए होंगे कि आप और भाजपा नेताओं की कार्यशैली में अंतर क्या है। मुझे पता है कि आप विधायक की छवि अच्छी नहीं है, लेकिन वो बहुतों का काम मौके पर आते हैं, इसकी भी होती है।

संतराम अग्रवाल जैसे दिल्ली में भाजपा के केवल एक पार्षद नहीं हैं, उनकी जैसी सोच के कई पार्षद ऐसे होंगे। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकता हैं कि भाजपा के जमीनी नेता चुनावी जीत को लेकर क्या सोचते हैं। वो जनता के कितने करीब है। वो जनहित में क्या करते हैं और क्या नहीं करते हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि बबीता संतराम अग्रवाल को भाजपा ने इस बार टिकट नहीं दिया। उसकी जगह श्याम मिश्रा, जिसकी छवि इलाके में अच्छी है, उसे टिकट दिया, लेकिन वो भी आप प्रत्याशी कौशिक से चुनाव हार गए। यानि जनता जानती है कि किसे जिताना है और किसे हराना है। मतदाता वही करते हैं, जो उन्हें अच्छा लगता है, इसलिए ये कहने से काम नहीं चलेगा कि मोदी जी के नाम पर वोट मिल जाता है, विकास का काम करे से कोई वोट नहीं देता।

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