पौड़ी की अनामिका की गैंगरेप के बाद नृशंस हत्या मामले में फांसी के सजायाफ्ता दोषियों को छोड़े जाने के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल
Chhawla Gangrape Murder Case : अनामिका गैंगरेप के 3 दोषियों को SC ने किया बरी, HC ने हैवान बताकर दी थी फांसी की सजा, देश को दहलाने वाली घटना की पूरी कहानी
Chhawla Rape-Murder Case : अंकिता हत्याकांड के बाद पौड़ी की बेटी अनामिका के साथ दिल्ली में हुई बर्बरता के दोषियों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषमुक्त किए जाने के खिलाफ दिल्ली सरकार इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी। दिल्ली के उपराज्यपाल ने सरकार को इस बात की इजाजत दे दी है। उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की मंजूरी के बाद मामले में सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी कोर्ट के सामने नए तथ्य रखेंगे।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जांच पर सवाल उठाते हुए सबूतों के अभाव में जिन तीनों आरोपियों को बरी कर दिया था, वह 2012 का चर्चित मामला था। छावला इलाके में साल 2012 में हुई इस घटना में हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए तीन युवकों ने इलाके की रहने वाली 19 साल की युवती अनामिका को उस समय कार से अगवा कर सामूहिक दुष्कर्म करने के बाद उसकी आंखों में तेजाब डालकर मार डाला था, जब वह काम खत्म करने के बाद शाम को अपने घर जा रही थी।
देर तक बेटी के घर नहीं पहुंचने पर परिवार वालों को चिंता सताने लगी और वह अपने स्तर पर अपनी बेटी की तलाश शुरू की। उसके बाद परिजनों ने पुलिस को घटना की जानकारी दी थी। पुलिस ने अपहरण का मामला दर्ज कर जांच शुरू की। शुरूआत में पुलिस को पता चला कि तीन युवक पीड़िता को कार से अगवा कर ले गए हैं। पुलिस ने कुछ दिन बाद इस मामले में तीन आरोपी रवि कुमार, राहुल और विनोद को गिरफ्तार कर लिया। जांच में पता चला कि आरोपियों ने युवती को अगवा करने के बाद उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इस दौरान कार में इस्तेमाल होने वाले औजारों से उसे पीटा गया। उसके शरीर को सिगरेट से जलाया गया। बदहवास हो गई युवती की दोनों आंखों में तेजाब डालकर उसकी हत्या कर दी।
इस मामले में निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद दोषियों की तरफ से सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हाईकोर्ट के फैसले के पलटते हुए तीनों दोषियों को बरी कर दिया था। सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ताओं को उनके निष्पक्ष सुनवाई के अधिकारों से वंचित किया गया। अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे आरोपों को साबित करने में विफल रहा।
अनामिका के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही पीड़िता की मां फूट-फूट कर रोने लगीं थीं। रोते हुए वह सिर्फ एक ही बात कह रही थीं कि वह अपनी लाडो को इंसाफ नहीं दिला पाई। बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए 12 साल तक संघर्ष किया, जिसे अदालत ने नजरअंदाज कर दिया। पीड़िता के पिता ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से वह टूट गए हैं, लेकिन कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में अपनी बेटी के साथ हैवानियत करने वाले तीनों आरोपी को बरी किए जाने की जानकारी मिलते ही पीड़िता की मां रोने लगी थीं।
आसपास मौजूद लोग उन्हें चुप करने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने रोते हुए कहा कि 12 साल बाद यह फैसला आया। इंतजार करते करते वह हार गई। वह अपनी लाडो को इंसाफ नहीं दिला पाई। घटना के बाद उनकी जीने की चाह खत्म हो गई थी। इसी इंतजार में जी रही थी कि वह अपनी बेटी को इंसाफ दिला सके।
परिजनों को उम्मीद थी कि द्वारका जिला अदालत ने जिन तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई और फिर हाई कोर्ट ने इसे बरकरार रखा, उसी तरह शीर्ष अदालत से भी हाई कोर्ट के निर्णय को कायम रखा जाएगा, लेकिन परिजनों को सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से इसलिए निराशा हुई कि उन्हें दूर दूर तक इस फैसले की उम्मीद नहीं थी।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ उत्तराखंड में भी उबाल आ गया था। कोटद्वार निवासी एक अधिवक्ता ने इस मामले में जब पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का निर्णय लेते हुए घोषणा की तो राज्य सरकार पर भी इसका दबाव बन गया। सरकार की ओर से भी इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के लिए दिल्ली सरकार से बात की गई, जिसके बाद दिल्ली के उपराज्यपाल ने 2012 में दुष्कर्म और हत्या के एक मामले में तीन दोषियों को बरी करने के खिलाफ दिल्ली सरकार द्वारा एक पुनर्विचार याचिका दायर करने की मंजूरी दे दी है।
दिल्ली सरकार छावला गैंगरेप हत्या में 3 दोषियों की रिहाई और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेगी। इस मामले का प्रतिनिधित्व करने के लिए SG तुषार मेहता और अतिरिक्त SG ऐश्वर्या भाटी की नियुक्ति को भी उपराज्यपाल ने मंजूरी दी है।