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स्वास्थ्य

कोरोना मरीजों की सेवा करते हुए मरे इन सफाईकर्मियों ​के परिवारों को नहीं मिला कोई मुआवजा

Janjwar Desk
5 July 2020 11:30 AM IST
कोरोना मरीजों की सेवा करते हुए मरे इन सफाईकर्मियों ​के परिवारों को नहीं मिला कोई मुआवजा
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सरवनन की तरह ही ग्रेटर चेन्नई निगम के 5 अन्य सफाई कर्मचारी भी कोरोना के शिकार हो गए, मगर निगम कर्मचारियों ने एक भी मौत को कोरोनावायरस से हुई मौत के रूप में दर्ज़ नहीं किया...

भारथी एसपी की रिपोर्ट

सरवनन (पहचान छुपाने के लिए बदला हुआ नाम) का परिवार आज भी ज़रुरत की उन्हीं चीज़ों के सहारे ज़िंदा है, जिन्हें वो अपनी मौत से पहले खरीद कर लाया था। इस सफाई कर्मचारी को 4 जून को सांस लेने में तकलीफ होने लगी तो उसने अपना स्वैब जाँच के लिए एक निजी प्रयोगशाला में दिया। 6 जून को उसकी जाँच के परिणाम पॉज़िटिव आये और 11 जून को चेन्नई के Omandurur Government Hospital में उसकी मृत्यु हो गयी।

सरवनन की पत्नी संकरी एक घरेलू महिला है। वो और उसकी दो बेटियां उम्मीद कर रही हैं कि सरवनन के चले जाने से पैदा हुए हालात से निपटने में मदद करने की खातिर चेन्नई नगर निगम उसे या बड़ी बेटी को नौकरी ज़रूर देगा।

सरवनन की तरह ही ग्रेटर चेन्नई निगम के 5 अन्य सफाई कर्मचारी भी कोरोनावायरस के शिकार हो गए। हालाँकि निगम कर्मचारियों की शिकायत है कि एक भी मौत को कोरोनावायरस से हुई मौत के रूप में दर्ज़ नहीं किया गया है।

चेन्नई निगम को 18 जून को लिखे एक खत में Madras Corporation Red Flag Union ने कहा, "हम निगम से 50 लाख की उस सहायता राशि को जल्द से जल्द मृतकों के परिवार तक पहुँचाने का रास्ता प्रशस्त करने की प्रार्थना करते हैं कि जिसकी घोषणा चेन्नई निगम ने ग्रेटर चेन्नई निगम के उन कर्मचारियों के परिवारों को देने के लिए की थी जिनको काम के दौरान संक्रमण हो जाए।"

उस खत में उन चार सफाई कर्मचारियों के नाम लिखे गए थे, जिनकी मौत कोविड-19 के कारण हो गयी थी। दि न्यूज़ मिनट को बताया गया कि एक और कर्मचारी की मौत 18 जून के बाद हो गयी, और संगठन को छठी मौत के बारे में भी पता चला।

मरने वालों में एक मलेरिया विभाग का ठेके का कर्मचारी था, एक स्थाई महिला सफाई कर्मचारी थी, एक स्थाई पुरुष सफाई कर्मचारी था, दो स्थाई बिजली कर्मचारी थे और एक स्थाई Storm Water Drain (SWD) कर्मचारी था।

मरीजों का हॉस्पिटल का ब्यौरा बताता है कि काम के दौरान संक्रमित होने के चलते उनकी रिपोर्ट पॉज़िटिव आई।

हालाँकि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एडप्पी के पलानिस्वामी ने अग्रिम पंक्ति के उन कर्मचारियों को 50 लाख रुपये मुआवजा और परिवार के किसे सदस्य को नौकरी देने की घोषणा के थी जिनकी अगर काम के दौरान संक्रमण होने से मौत हो जाती है। लेकिन 6 परिवारों में से किसी को भी मुआवजा नहीं दिया गया है, क्योंकि उनके नाम निगम की मरने वालों की सूची में नहीं शामिल किये गए हैं।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि जिस किसी भी कामगार को वायरस का संक्रमण हो जाता है उसे 2 लाख रुपया दिया जाएगा। लेकिन कामगारों का आरोप है कि कोविड-19 से संक्रमित बहुत सारे कामगारों को कोई मुआवजा नहीं मिला है।

सरवनन की बड़ी बेटी ग्रेजुएशन करने वाली परिवार की पहली सदस्य है। वो अपने माँ-बाप की उपस्थिति में डिग्री लेने का इंतज़ार कर रही थी, लेकिन महामारी के चलते उसके सारे सपने टूट कर चकनाचूर हो चुके हैं।

अपने पति की चर्चा करते हुए संकरी कहती है, "मैंने उनसे बीमारी की छुट्टी लेकर घर रुक जाने के लिए बहुत बार कहा लेकिन वो काम पर जाने के लिए मुझसे लड़ पड़ते थे। उन्हें अपने काम से बहुत ज़्यादा प्यार था। इसीलिये वो मुझसे कहते थे कि हमें वायरस के बारे में बहुत नहीं सोचना चाहिए। हमें जाकर लोगों की सेवा करनी चाहिए। लेकिन मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि वे इस तरह हमें छोड़ कर चले जायेंगे। मैं अंतिम बार उनका चेहरा भी ठीक से नहीं देख पाई।"

परिवार के एक रिश्तेदार ने The News Minute से कहा कि सरकार को तुरंत राहत पहुंचानी चाहिए। "उसे अपनी ड्यूटी करते वक्त वायरस से संक्रमण हुआ और वो मर गया। इसीलिये हमने निगम से मुआवजा और परिवार के एक सदस्य के लिए नौकरी मांगी। लेकिन उन्होंने हमसे कहा कि सरकारी आदेश अभी तक जारी नहीं हुए हैं, इसीलिये वे सहायता नहीं पहुंचा सकते। "

45 साल का एक अन्य सफाई कर्मचारी 9 मई को कोरोनावायरस से Stanley Medical College Hospital में मर गया। वो कमाने वाला परिवार का एकलौता सदस्य था। वो अपने पीछे पत्नी और दो बेटों को छोड़ गया।

उसकी पत्नी देवनायकी बताने लगी, " मेरे पति हमेशा काम पर जाते थे। उन्होंने कभी भी छुट्टी नहीं ली। वो लोगों की भलाई के लिए काम करते रहे, लेकिन अब मैं और मेरे बेटे कोई मदद ना आने से यतीमों जैसा जीवन बिता रहे हैं।"

उसने आगे बताया," मैंने अधिकारियों को सूचित किया। वे उसे Stanley Hospital ले गए। लेकिन इलाज का कोई असर नहीं हुआ और वो मर गया। मैं अब कहाँ जाउंगी और क्या करूंगी? मुझे अपने बच्चों को पढ़ाना है लेकिन मेरे पास उन्हें देने के लिए खाना तक नहीं है। मुझे निगम से सहायता और धन चाहिए। अगर निगम के कर्मचारी के परिवार की यह हालत है तो पता नहीं दूसरे परिवारों की हालत कितनी खराब होती होगी।"

निगम में कार्यरत एक व्यक्ति ने The News Minute से कहा कि जब हमने अधिकारियों से संपर्क किया तो हमसे कहा गया कि हम मृत्यु का ब्यौरा इकट्ठा करें। उसने बताया, "हमने चेन्नई निगम के अधिकारियों से मृत्यु का लेखा-जोखा तैयार करने और फंड बाटने के लिए कहा। लेकिन उन्होंने हमसे हॉस्पिटल में इलाज और परीक्षण कराने सम्बन्धी जानकारियां मुहैय्या कराने के लिए कहा। हमने जानकारियां इकठ्ठा करनी शुरू कर दीं। अभी तक हमें ऐसे 6 लोगों का लेखा-जोखा मिला है जिनकी कोरोनावायरस की वजह से मृत्यु हुई थी। हालाँकि इन ब्योरों में वे मृत्यु शामिल नहीं हैं जिनका हिसाब-किताब जिला स्तर पर रखा गया था। मरने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो सकती है। हम ऑनलाइन ब्यौरा इकट्ठा करने के रस्ते निकलने की योजना बना रहे हैं।"

The News Minute ने ग्रेटर चेन्नई के अधिकारियों से उनका पक्ष जानने के लिए उनसे संपर्क किया है, लेकिन रिपोर्ट लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं मिल पाया।

(भारथी एसपी की यह रिपोर्ट द न्यूज मिनट से साभार)

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