किसान आंदोलन को भटकाने की एक और कोशिश, ट्विटर पर ट्रेंड कराया 'हां हम नक्सली हैं'
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जनज्वार। केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन के बीच सोशल मीडिया पर भी तरह-तरह के स्लोगन और नारे वायरल और ट्रेंड हो रहे हैं। एक तरफ तो मेनस्ट्रीम मीडिया का एक बड़ा धड़ा किसान आंदोलन को गलत बताते हुए कई तरह के सही-गलत तथ्य परोस रहा है तो दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर भी पक्ष-विपक्ष में मुहिम चल रही है।
आज ट्विटर पर एक टैगलाइन 'हां हम नक्सली हैं' ट्रेंड कगया जा रहा है। किसान आंदोलन से जोड़ते हुए इस टैगलाइन को ट्रेंड कराया जा रहा है। इन ट्रेंडिंग ट्वीट्स को देखने पर एक बात समझी जा सकती है कि किसान आंदोलन को भटकाने एयर इसे बदनाम करने की हर मुमकिन कोशिश इस आंदोलन के विरोधी कर रहे हैं।
जनज्वार ने अपनी खबरों में पहले ही यह आशंका जता दी थी कि किसान आंदोलन को कमजोर और बदनाम करने के लिए इस आंदोलन को खालिस्तान, पाकिस्तान और नक्सलवाद से जोड़ने की कोशिश भी इसके विरोधियों द्वारा की जा सकती है।
चूंकि जब से किसानों का यह आंदोलन शुरू हुआ है, मीडिया के कुछ वर्ग और सोशल मीडिया पर एक्टिव कुछ समूहों द्वारा इस आंदोलन को कमजोर करने, बदनाम करने और भटकाने की कोशिश की जा रही है। कई तरह की चीजें किसान आंदोलन से जोड़कर वायरल की जा रहीं हैं।
हालांकि किसानों का यह आंदोलन अभी तक अहिंसक और शांतिपूर्ण ही रहा है, पर कभी किसी तरह की नारेबाजी तो कभी कुछ और तरह की फर्जी बातें लगातार वायरल की जा रहीं हैं।
'जनज्वार' किसान आंदोलन को लगातार कवर कर रहा है और आंदोलन से जुड़े हर पहलू से अपने पाठकों और दर्शकों को रूबरू करा रहा है। जनज्वार ने किसान आंदोलन के दौरान कथित मेनस्ट्रीम मीडिया की भूमिका को भी बार बार सामने लाया। एक राष्ट्रीय अखबार और कई न्यूज़ चैनलों द्वारा परोसी गयी तथ्यहीन और मनगढ़ंत खबरों का खुलासा भी जनज्वार ने किया।
अब आज ट्विटर पर 'हां हम नक्सली हैं' ट्रेंड कर रहा है। किसान आंदोलन से जुड़े लोग आरोप लगाते रहे हैं कि यह सब आईटी सेल और स्लीपर सेल द्वारा किया जा रहा है। उनका यह भी आरोप है कि सरकारी तन्त्र और सरकारी पार्टी से जुड़े आईटी सेल शुरुआती दौर से ही किसान आंदोलन को बदनाम करने और एक नैरेटिव सेट करने की कोशिश कर रहा है।
हालांकि किसान आंदोलन के समर्थन में भी इस ट्रेंडिंग टैगलाइन के साथ लोग ट्वीट कर रहे हैं।