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Chhattisgarh News: 'शुभ मुहूर्त' के इंतजार में 10 साल तक ससुराल नहीं गई दुल्हन, हाई कोर्ट ने दी तलाक की मंजूरी

Janjwar Desk
6 Jan 2022 5:11 PM GMT
Chhattisgarh News: शुभ मुहूर्त के इंतजार में 10 साल तक ससुराल नहीं गई दुल्हन, हाई कोर्ट ने दी तलाक को मंजूरी
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'शुभ मुहूर्त' के इंतजार में 10 साल तक ससुराल नहीं गई दुल्हन


Chhattisgarh News: पति के अनुसार, वह दो बार अपनी पत्नी को वापस लेने गया, लेकिन उसने यह कहकर आने से इनकार कर दिया कि यह विदाई का शुभ समय नहीं है। वहीं, पत्नी का कहना था कि जब शुभ मुहूर्त शुरू हुआ तो उसका पति उसे वापस लेने नहीं आया...

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) में तलाक से जुड़ा एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम 1955 (Hindu Marriage Act) के तहत पति पत्नी को इस आधार पर तलाक (Divorce Case) की मंजूरी दे दी है क्योंकि शादी के बाद पत्नी लगभग 10 साल तक अपने ससुराल नहीं गई। शादी के बाद सालों तक दुल्हन के ससुराल न जाने की वजह और भी हैरान करने वाली है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दुल्हन के परिवार वाले 'शुभ मुहूर्त' का इंतजार कर रहे थे। महिला ने बिना शुभ मुहूर्त में ससुराल जाने से मना कर दिया। शादी के बाद पति से इतने लंबे समय तक दूर रहने के मामले को परित्याग का मामला मानते हुए कोर्ट ने इसपर अपना फैसला सुनाया और दंपत्ती को तलाक दिए जाने के फैसले में एक मजबूत आधार माना है।

10 साल की सादी में 11 दिन रहे साथ

जानकारी के अनुसार, याचिकाकर्ता संतोष सिंह ने सबसे पहले फैमिली कोर्ट (Family Court) में तलाक के लिए एक याचिका दायर की थी। मगर फैमिली कोर्ट ने परित्याग के आधार पर तलाक के लिए पति की याचिका को खारिज कर दिया था। बाद में पति ने फैमिली कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट (High Court) में चुनौती दी। अदालत में दिए याचिका के मुताबिक, 10 साल से अलग रह रहे इस जोड़े ने शादी जुलाई 2010 में हुई थी। शादी के बाद यह जोड़ा केवल 11 दिनों तक साथ रहा जिसके बाद महिला के परिवार वाले उसे यह कहकर अपने साथ ले गए कि उन्हें कोई जरूरी काम है।

शुभ मुहूर्त के इंतजार में रही पत्नी

पति के अनुसार, इसके बाद उसने दो बार अपनी पत्नी को वापस लाने की कोशिश की लेकिन महिला और उसके मायके वालों ने यह कहते हुए आने से इनकार कर दिया कि यह विदाई का शुभ समय नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पत्नी का कहना था कि जब शुभ मुहूर्त शुरू हुआ तो वह वापस आने को तैयार थी, मगर तब उसका पति संतोष सिंह उसे वापस लेने नहीं आया। महिला ने कहा, "मैंने संतोष को नहीं छोड़ा, लेकिन वह प्रचलित रिवाज के अनुसार मुझे वापस लेने में विफल रहा।"

इधर, याचिकाकर्ता संतोष सिंह के वकील ने अदालत में कहा कि महिला जानती थी कि वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए डिक्री पारित हो चुकी है, लेकिन उसने अभी भी अपने पति के साथ वैवाहिक जीवन में प्रवेश नहीं किया है। इस पर महिला के वकील ने प्रतिवाद किया कि दोनों पक्षों के बीच प्रचलित प्रथा यह थी कि 'दुवीरागमन' (Duviragaman) के समारोह के दौरान, संतोष को अपनी पत्नी को वापस लेने के लिए आना पड़ता था, लेकिन वह उस अवधि के दौरान आया था जो शुभ नहीं था। उसे वापस शुभ मुहूर्त में आने को कहा गया था, लेकिन वह नहीं आया।

कोर्ट ने तलाक की मंजूरी दी

तलाक के इस अनोखे मामले में हाईकोर्ट ने कहा दिया कि हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act) के तहत तलाक की डिक्री (Decree) द्वारा विवाह को भंग किया जा सकता है। न्यायाधीशों ने कहा कि पत्नी अपने पति को पहले ही छोड़ चुकी थी, इसलिए पति तलाक लेने का हकदार था। उच्च न्यायालय (High Court) ने तलाक की डिक्री को मंजूरी दे दी।

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