Lakhimpur Kheri Violence : 'आप अपनी जिम्मेदारी से बच रहे, 44 में से 4 गवाहों के ही बयान हुए दर्ज', सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को लगायी फटकार
(लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई)
Lakhimpur Kheri Violence : उत्तर प्रदेश की लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Kheri Violence) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर यूपी सरकार (UP Govt) को कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा कि हमें लगता है कि आप अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं। ऐसा न करें। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह इस मामले के बाकी गवाहों के बयान भी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराए। कोर्ट ने यूपी सरकार को बताया कि उसने कुल 44 गवाहों में से केवल 4 के ही बयान दर्ज किए हैं। सीजेआई जस्टिस एनवी रमन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने राज्य सरकार की ओर से पेश की स्टेटस रिपोर्ट को लेकर यह बात कही।
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार (UP Govt) को लखीमपुर खीरी मामले में गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज करने और उन्हें सुरक्षा देने का आदेश दिया। कोर्ट में ये सुनवाई सीजेआई जस्टिस रमना की अध्यक्षता में हुई।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने चीफ जस्टिस सूर्यकांत (Chief Justice Suryakant) और जस्टिस हिमा कोहली (Justice Hima Kohli) की बेंच को बताया कि बाकि गवाहों के बयानों को भी दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है। यूपी सरकार की ओर से गवाहों के बयान जारी करने के लिए वक्त मांगे जाने के बाद कोर्ट ने कार्यवाही को स्थगित कर दिया। शीर्ष अदालत ने अब मामले की अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को करने का फैसला लिया है।
यूपी सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा- ऐसा संदेह था कि वो आरोपियों के साथ नरमी बरत रहे हैं। सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। जेल में आरोपियों की कुल संख्या दस है। साल्वे ने अदालत को आगे बताया कि अबतक दस लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है जिनमें से चार पुलिस हिरासत में हैं।
उन्होंने अदालत को बताया कि दो अपराधों की जांच की जा रही है- पहला जहां कारों ने किसानों पर हमला किया और दूसरा जहां किसानों ने लोगों पर हमला किया।
जस्टिस सूर्यकांत ने सवाल किया कि धारा 164 के तहत ज्यादा गवाहों के बयान क्यों दर्ज नहीं किए गए क्योंकि इसकी संभावना है कि गवाहों को धमकाया जा सकता है। इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि वह गवाहों को सुरक्षा देगी। कोर्ट ने कहा कि जांच एक अंतहीन कहानी नहीं हो सकती।
बता दें कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा समेत दस आरोपियों को अबतक गिरफ्तार किया जा चुका है। दो वकीलों की ओर से इस मामले में याचिका दायर कर उच्च स्तरीय जांच की मांग किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू की थी।
लखीमपुर खीरी जिले में तीन अक्टूबर 2021 को किसान आंदोलन कर रहे थे। इसी दौरान किसानों को एसयूवी से कुचला गया था। इसके बाद हिंसा भड़क उठी तो चार और लोगों की मौत हो गई थी। इन मृतकों में एक स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप और भाजपा के तीन कार्यकर्ता शामिल थे।