Begin typing your search above and press return to search.
उत्तराखंड

Uttarakhand Election 2022: लालकुआं की धरती से कांग्रेस के दोनों महारथियों को मिलेगा "सेफ गलियारा"

Janjwar Desk
23 Jan 2022 3:10 PM GMT
Uttarakhand Election 2022: लालकुआं की धरती से कांग्रेस के दोनों महारथियों को मिलेगा सेफ गलियारा
x
Uttarakhand Election 2022: कांग्रेस पार्टी में टिकट वितरण में चल रही रस्साकशी अब अपने अंतिम दौर में है। पार्टी के प्रमुख चेहरों को चुनाव मैदान में उतारकर कांग्रेस टिकट की रस्साकशी के मैदान में अब दो ही खिलाड़ी बचे रह गए है।

Uttarakhand Election 2022: कांग्रेस पार्टी में टिकट वितरण में चल रही रस्साकशी अब अपने अंतिम दौर में है। पार्टी के प्रमुख चेहरों को चुनाव मैदान में उतारकर कांग्रेस टिकट की रस्साकशी के मैदान में अब दो ही खिलाड़ी बचे रह गए है। प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष, मौजूदा विधायकों, पूर्व मंत्रियों सहित पार्टी अपने तीनों कार्यकारी अध्यक्षों को चुनावी दंगल में झोंक ही चुकी है। ऐसे में टिकट वितरण की लड़ाई के अंतिम चरण में एक समय के गुरु-शिष्य व आज के विरोधी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत व कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत सिंह रावत ही शेष बचे हैं। पार्टी अभी तक जिन सीटों पर कोई फैसला नहीं ले पाई है, उनमें हरक सिंह रावत के अलावा इन्हीं दोनों नेताओं के इंटरेस्ट ज्यादा हैं।

बात करें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की तो प्रदेश में कोई सीट ऐसी नहीं है जिस पर उनका स्वभाविक दावा हो। पिछले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री रहते हुए उनके दो-दो सीटों से हारने की भी यही वजह रही। इस बार हरीश पहले खुद चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं थे। उनकी योजना मुख्यमंत्री बनने की स्थिति में उपचुनाव लड़ने की थी। लेकिन तमाम सर्वे में कांग्रेस के लगातार बढ़त को देखते हुए और चुनाव के बाद मुख्यमंत्री का चुनाव जीते हुए विधायकों में होने वाले पेंच से बचने के लिए हरीश अब चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं।

हालांकि उनका कोई निर्वाचन क्षेत्र न होने की वजह से वह चुनाव कहाँ से लड़ेंगे, यह तय नहीं है। लेकिन इस बहाने हरीश अब अपने पुराने शिष्य रणजीत सिंह रावत से हिसाब चुकता करने के लिए रामनगर सीट से चुनाव लड़ने का माहौल बनवा रहे हैं।

रामनगर सीट से पिछला चुनाव हारने के बाद से ही इस चुनाव की तैयारी में जुटे रणजीत अब किसी हाल यह सीट छोड़ने वाले नहीं हैं। पहले सल्ट से विधायक रह चुके रणजीत पर दबाव बनाने के लिए हरीश ने अभी तक सल्ट से प्रत्याशी घोषित नहीं होने दिया है।

चार कार्यकारी अध्यक्ष में से केवल एक रणजीत के टिकट का ऐलान न होने को रणजीत की कमजोरी के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। जबकि कांग्रेस के सर्वशक्तिमान नेता होने के बाद भी पहली सूची में अपना नाम शामिल न करवा पाने को रणजीत समर्थक हरीश की हार और रणजीत की ताकत के तौर पर देख रहें हैं। साथ ही हरीश के किसी भी परिजन (उनकी पुत्री अनुपमा हरिद्वार ग्रामीण से प्रबल दावेदार हैं) के नाम की घोषणा होने को उनकी कमजोरी बताया जा रहा है।

सीनियर-जूनियर रावतों की इस लड़ाई में पार्टी अभी भी खुले तौर पर किसी के साथ नहीं है। दोनो में से किसी को अपर हैंड न देकर पार्टी चुनाव बाद कि फजीहत से बचने का भी सोच रही है। इसीलिए इन दोनों के इंटरेस्ट से जुड़ी सभी सीटों को वक्ती तौर पर होल्ड कर दिया गया है।

हरीश रावत भले ही उत्तराखंडियत का शोर मचाते हों लेकिन राजनैतिक रूप से वह पहाड़ में असहज रहते हैं। पहाड़ उनके लिए राजनैतिक टूरिज़्म भले हो मगर जब चुनाव की बात आती है वह येन-केन-प्रकारेण मैदान की ही सुरक्षित सीट तलाशते हैं। पार्टी ने उनकी यह नब्ज पकड़ते हुए लालकुआं सीट को भी इसी वजह से होल्ड कर रखा है। टिकट वितरण से उपजे विवाद का सुखांत लालकुआं से होगा।

सूत्रों के अनुसार लालकुआं से टिकट के प्रमुख दावेदार हरीश दुर्गापाल को भी पार्टी ने दिल्ली बुलाकर साध लिया है। अपने आप को सत्ता की दहलीज पर देख रही कांग्रेस टिकट वितरण की आग इतनी भी नहीं सुलगने देगी कि सब कुछ जलकर ही राख हो जाये। ज्यादा संभावना यही है कि उत्तराखंडियत की बात करने वाले हरीश रावत अपने एक परिजन को टिकट के आश्वासन पर लालकुआं सीट से प्रत्याशी बनने को तैयार हो जाएंगे। इसी आपदा की ओट लेकर अपने एक परिवार-एक टिकट के नियम को दरकिनार कर कांग्रेस हरक व उनकी पुत्रवधु को भी टिकट देकर मामले का पटाक्षेप कर देगी। चौबट्टाखाल सीट के चुनावी दंगल में अब हरक निबटे या सतपाल, हरीश के लिए एक ही बात है। हरक के इंटरेस्ट की सीट होल्ड यूँ ही नहीं रखी गई।

Janjwar Desk

Janjwar Desk

    Next Story

    विविध