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उत्तराखंड से जाने की जिद्द पर अड़े यूपी-बिहार के मजदूरों की काउंसिलिंग कराएगी सरकार
कोरोना के संक्रमण को लेकर हुए लॉकडाउन में उत्तराखंड के कई जिलों में काफी संख्या में उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूर फंसे हैं...
जनज्वार ब्यूरो, देहरादून। मानसिक रूप से बेचैन होने वाले लोगों को पहाड़ों की सैर करने की सलाह देने वाले मनोचिकित्सक की टीम अब यहां काम करने वाले पलायित हो रहे मजदूरों को रोकेगी।
यह टीम न सिर्फ कोरोना संघर्ष में इनके महत्वपूर्ण भूमिका को समझाएगी बल्कि इनकी काउंसलिंग भी करेगी। उत्तराखंड में बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूर फंसे हैं जो अपने गांवों को लौटना चाहते हैं। सीमा से लगे कई हिस्सों के स्कूल-कॉलेजों में सेंटर बनाए गए हैं, जहां कामगारों को रोका गया है।
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देहरादून में करीब 500 लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में रोका गया है। राजा राममोहन राय एकेडमी, लालपुर नगर निगम के रैन बसेरे प्रेम नगर स्थित एक संस्थान में प्रवासी लोगों को रोका गया है। मजदूरों के लिए सामजिक संस्थाओं व सरकार की ओर से खाने-पीने और रहने की व्यवस्था है। इसके बावजूद वह घर जाने की जिद रहे हैं। इसे देखते हुए मोचरें पर मनोचिकित्सकों को लगाया गया है।
देहरादून की सीमएमओ डॉ. मीनाक्षी जोशी ने कहा, 'राजकीय मानसिक चिकित्सालय सेलाकुई के सीएमएस डॉ. अभिषेक गुप्ता, डॉ.प्रतिभा, डॉ. अनुराधा, डॉ. रेखा की टीम ने मजदूरों की काउंसलिंग शुरू कर दी है। कई जगह मजदूर अपने घर जाने की जिद कर रहे हैं। उन्हें समझाया गया है। सभी को कोरोना संक्रमण के बारे में बताया गया है।'
उन्होंने आगे बताया, 'उनसे कहा गया है इस समय अभी यहीं ठहरें, आपको खाना, कपड़ा, प्रशासन की ओर से मुहैया कराया जा रहा है। सभी को सोशल डिस्टेंसिंग अपनाने और मास्क लगाने की अपील करने के साथ उन्हें सैनिटाइजर भी दिया गया है।'
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गौरतलब हो कि कोरोना के संक्रमण को लेकर हुए लॉकडाउन में उत्तराखंड के कई जिलों में काफी संख्या में उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूर फंसे हैं। बीते दिनों यह पैदल ही अपने क्षेत्रों को जाने लगे थे लेकिन सरकार ने संक्रमण न फैले इसके लिए सीमाओं को सील कर उन्हें रोक दिया था। आने -जाने वालों को वहीं आस-पास बने स्कूलों और शेल्टर होम में भी ठहराया गया