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बदमाशों ने मुस्लिम परिवारों को दी होली से पहले घरों को खाली करने की धमकी, 6 परिवारों ने छोड़े घर

Nirmal kant
4 March 2020 2:49 PM GMT
बदमाशों ने मुस्लिम परिवारों को दी होली से पहले घरों को खाली करने की धमकी, 6 परिवारों ने छोड़े घर
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अनधिकृत कॉलोनी का एक बड़ा हिस्सा हरियाणा के झज्जर जिले में पड़ता है, लेकिन कुछ घर दिल्ली में हैं। कॉलोनी में मुसलमानों के लगभग 20 घर हैं उनमें से ज्यादातर हरियाणा में हैं..

जनज्वार। निखिल विहार की 34 वर्षीय महिला अपने घर के बाहर नेमप्लेट के साथ खड़ी हैं। उन्हें डर लग है कि कुछ दिन पहले करीब 50 बदमाशों ने उन्हें होली से पहले घर को खाली करने को कहा है। बदमाशों ने होली से पहले दो दर्जन मुस्लिम परिवारों को घर खाली करने को कहा है।

शिकायत मिलने के बाद हरियाणा पुलिस ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कॉलोनी में अपने कर्मियों को तैनात किया है। पुलिस उप-अधीक्षक (बादली) अशोक कुमार ने कहा कि एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी, लेकिन अभी तक आरोपियों की पहचान नहीं की जा सकी है।

पने घर की नेमप्लेट पकड़कर (नेमप्लेट पर हरे रंग का अर्धचंद्राकार चंद्रमा और उसके पति इसरार सैफी का नाम लिखा) बेबी कहती हैं, 'यह घटना 29 फरवरी के दोपहर दोपहर 1 बजे के आसपास को हुई। अधिकांश पुरुष बाहर काम कर पर जा रखे थे। केवल महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग अपने घरों में थे। उन्होंने हमारे दरवाजे पर हिंसक दस्तक दी। जब मैंने बाहर कदम रखा तो उन्होंने मुझे होली से पहले अपने परिवार के साथ जाने के लिए कहा।'

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रिवार सात साल से अपने वर्तमान पते पर रह रहा है और उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने धर्म के कारण पहले कभी किसी मुद्दे का सामना नहीं किया। बेबी आगे बताती हैं, हालांकि वो हथियारों के साथ नहीं थे, लेकिन हमारा जवाब सुनने को तैयार नहीं थे। उन्होंने आगे बताया कि मुझे यह पूछने में भी डर लग रहा था कि वो कौन हैं। जब उन्होंने नेमप्लेट को बाहर निकालने की कोशिश की, तो मैंने इसे अपने खुद ही नेमप्लेट को हटाने की पेशकश की। प्रवेश द्वार के ऊपर संगमरमर की नेमप्लेट में धार्मिक मंत्र लिखे हुए थे जो खुदे हुए थे।

एक 30 वर्षीय पड़ोसी सादिया बताती हैं कि जब वो लोग घर पर आए तो वह अपने कारपेंटर पति के साथ घर से बाहर थीं। वो करीब 20 से 40 साल के बीच के थे। उन्हें देखकर मेरे ससुराल वाले और घर के बच्चे छत पर चढ़ गए। वो हिंसक तरीके से हमारे का दरवाजा पीटते रहे और प्रवेश द्वार पर बंधे एक ताबीज को खींचकर ले गए..ले वे घर के अंदर नहीं आ पाए।

नूर बेगम जो एक मंदिर के पीछे रहती हैं। वह बताती हैं कि पुरुषों ने उन्हें अपने गांव वापस जाने के लिए कहा था। 'उनके चले जाने के बाद मैंने दिल्ली पुलिस नियंत्रण कक्ष को फोन किया। लेकिन बताया गया कि यह क्षेत्र हरियाणा के अंतर्गत आता है। मैंने फिर हरियाणा पुलिस को फोन किया। जल्द ही दो दर्जन से अधिक पुलिस वाहन और वरिष्ठ अधिकारी पहुंचे। हरियाणा पुलिस के जवानों को अब चौबीसों घंटे तैनात किया जाता है। वह कहती हैं कि दिल्ली में दंगों के बावजूद हम हरियाणा में सुरक्षित होने की उम्मीद कर रहे थे।

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बेबी ने 'द हिंदू' को बताया कि अनधिकृत कॉलोनी का एक बड़ा हिस्सा हरियाणा के झज्जर जिले में पड़ता है, लेकिन कुछ घर दिल्ली में हैं। कॉलोनी में मुसलमानों के लगभग 20 घर हैं उनमें से ज्यादातर हरियाणा में हैं। केवल 4-5 घर दिल्ली के नजफगढ़ में हैं। हालांकि हरियाणा पुलिस ने अपने कर्मियों को चौबीसों घंटे तैनात किया है लेकिन दिल्ली पुलिस के कर्मी भी कभी-कभार चक्कर लगाने के लिए आते हैं। भारी पुलिस मौजूदगी के बावजूद मुस्लिम परिवारों (ज्यादातर उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के प्रवासी हैं) ने कहा कि वे डर के साये में जी रहे हैं।

वर्षीय विधवा महिला नजमा खातून बताती हैं कि वह शनिवार से ठीक से सो नहीं पाई हैं। एक अन्य महिला शहनाज बताती हैं कि आधा दर्जन परिवार यह कहते हुए भाग गए हैं कि वे होली से पहले नहीं लौटेंगे। दूसरों ने भी घर में युवा महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा है। हमने इस घर को खरीदने के लिए अपनी सारी बचत लगा दी है। हम जाने का जोखिम नहीं उठा सकते। मेरे पति ने सुझाव दिया कि हमें जाना चाहिए लेकिन डीलर केवल उस घर के लिए केवल 2 लाख रुपये की पेशकश कर रहा है, जिसे हमने 4.50 लाख में खरीदा था। परिवारों ने दावा किया कि उन्हें हिंदू पड़ोसियों से भी समर्थन मिला, प्रवासी भी थे, लेकिन स्थानीय लोगों से थोड़ी मदद मिली।

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