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जनज्वार विशेष

दंगाइयों ने जब घरों को कर दिया खाक तो पीड़ित कागज कहां से लायेंगे

Prema Negi
29 Feb 2020 3:10 PM GMT
दंगाइयों ने जब घरों को कर दिया खाक तो पीड़ित कागज कहां से लायेंगे
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मेरा पूरा परिवार घर के अंदर ही डरा-सहमा बैठा था। जैसे ही मैं अपनी गली की तरफ पहुंचा गली में काफी ज्यादा भय का माहौल था, जिस कारण में अपने परिवार के अन्य सदस्यों को लेकर घर के अंदर बंद हो गया, मगर जब दंगाई घर में घुस गये तो मैंने पड़ोसी के घर में शरण लेकर बचायी अपनी और परिवार की जान...

दंगाग्रस्त इलाकों से लौटकर विकास राणा की ग्राउंड रिपोर्ट

जनज्वार। गाड़ियों में लगी आग, लोगों के घरों में की गयी तोड़फोड़ और आगजनी, पुलिस का कड़ा पहरा, आज ये हालात हैं दिल्ली के खजूरी चौक के मेन रोड के, जहां पर दिल्ली खत्म होकर यूपी शुरू हो जाती है। 27 फरवरी का दिन, यानी दिल्ली में मचे दंगे का तीसरा दिन, योगी के उत्तर प्रदेश से ठीक पहले दिल्ली-यूपी बार्डर के पास करावल नगर के बस स्टेशन के सामने सफेद रंग की एक गाड़ी खड़ी है, जिसको उपद्रवियों ने जलाकर खाक कर दिया था।

मगर ऐसा मंजर सिर्फ यहीं नहीं, बल्कि पूरी सड़क पर यानी खजूरी चौक से लेकर करावल नगर बस स्टेशन तक नजर आता है। पूरी रोड पर उपद्रवियों की जली हुई गाड़ियां, बाईक, दुकानों में लगी आग और लोगों के अंदर का डर साफ दिखा रहा था कि हिंसा में यहां व्यापक पैमाने पर तबाही मची है। लोगों के अंदर भयावहता का आलम साफ-साफ देखा जा सकता है।

सी दौरान नजर करावल नगर के बस स्टेशन की तरफ जाती है और हिंसा में मची तबाही को भांपकर जनज्वार टीम उधर का रुख करती है। ये गली खजूरी के गड्डा स्कूल की तरफ जा रही थी। हिंसा की रात यानी 24 फरवरी को यहां पर उपद्रवियों ने भारी तबाही मचाई थी। गली में जाते समय लोगों के अंदर का भय और घबराहट बताती है कि लोग हिंसा के दौरान कितने डरे हुए थे। कई लोगों के घरों में ताले भी लगे हुए थे, जो हिंसा के बाद अपने रिश्तेदारों के घर पर चले गए थे। इसी में गली नंबर-5 के मकान नंबर-2 पर गड्डे वाले स्कूल के सामने शादाब का घर है, जिसमें 24 की रात को उपद्रवियों ने आग लगा दी थी। जले हुए घर के सामने कुछ लोग खड़े थे, जो घर के अंदर जाकर उपद्रवियों द्वारा किए गए हमले की पड़ताल कर रहे थे।

लोगों से जब हमने जानना चाहा कि इस घर पर कौन रहता था, तो उनमें से एक बच्चा जो उसी गली में रहता है, घर की पहचान के तौर पर केवल मुस्लिम बताता है। वह बोलता है कि इस पूरी गली में एक मुसलमान का घर था, जिसको उपद्रवियों ने रात के समय जला दिया था। साथ में ही खड़े एक व्यक्ति जो गली नंबर-5 में रहते हैं, कहते हैं ये घर शादाब भाई का है, जिनके साथ हमारा बहुत अच्छा रिश्ता था, कभी हिंदू-मुस्लिमों का भेदभाव नहीं जाना, मगर आज दंगाइयों ने हिंदू-मुस्लिम के नाम पर लोगों को बांट दिया है।

मौके पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शी भारी गुस्से में थे। जब उनसे पूछा गया कि अब शादाब कहां हैं? तो उन्होंने गुस्से में कहा कि इतनी बड़ी हिंसा के बाद वो डर के कारण अपने घर से भाग गए हैं। जब उनसे पूछा गया कि हिंसा के दौरान यहां क्या हुआ था, आपको कुछ पता है? तो उन्होंने कुछ भी बताने से साफ मना कर दिया। कहा उस समय ऐसे हालात बन गए थे कि हम लोग अपने घरों को ही बचा लेते तो काफी बड़ी बात थी। हिंसा के समय सभी लोग अपने घरों के अंदर बंद हो गए थे, उपद्रवियों की भीड़ इतने ज्यादा गुस्से में थी कि जो उनके सामने आता वो उसको भी जान से मार देती।

हिंसा के बाद अपने परिवार को बचाकर लोनी में रह रहे शादाब कहते हैं, भीड़ ने हमारे पूरे घर में आग लगा दी थी, जिस कारण हमें अपने घर को छोड़कर भागना पड़ा। पूरी घटना के बारे में शादाब कहते हैं, 24 फरवरी को स्कूल में दोपहर के समय में ड्यूटी पर था, मेरी छुट्टी शाम को 6 बजे होती थी, लेकिन उसी समय 4 बजे की करीब मुझे फोन आया। फोन पर मेरे दोस्त ने खजूरी और भजनपुरा में मच रही तबाही के बारे में बताया, जिसके बाद 6 बजे स्कूल की छुट्टी होने के बाद मैं सीधा ऑफिस से घर की तरफ निकला। मेरा पूरा परिवार घर के अंदर ही डरा—सहमा बैठा था। जैसे ही मैं अपनी गली की तरफ पहुंचा गली में काफी ज्यादा भय का माहौल था, जिस कारण में अपने परिवार के अन्य सदस्यों को लेकर घर के अंदर बंद हो गया।

रात को 8 बजे के करीब किसी ने मुझे फोन करके बताया कि डेढ़ फुटा चौक पर मेरी घड़ी की दुकान पर दंगाइयों ने आग लगा दी है, जिसके बाद मुझे लगा कि चलो दुकान में आग लगाई है लेकिन मेरा घर अभी भी सुरक्षित है। हम अपने घर पर ही रहे, मगर अगले दिन जब अपनी दुकान को देखने के लिए गया तो मेरी पूरी दुकान जलकर खाक हो चुकी थी।

25 फरवरी को 10 बजे के करीब दोबारा से हिंसा का तांडव मचने का फोन मुझे आया, जिसके बाद मुझे लगने लगा कि दुकान के बाद अब मेरा घर भी नहीं बचेगा। जब दंगाई मेरे घर की गली में घुसे, तब मैं अपने घर पर ही था। उपद्रवियों ने घर के अंदर घुसकर हथौड़ों और डंडों से तोड़फोड़ शुरू कर दी, जिसके बाद मैं अपने परिवार के साथ छत की ओर भागा। मेरे और मेरे पड़ोसी की छत आपस में जुड़ी हुई थी।

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ड़ोसी की छत मेरी छत से मिली होने के कारण सुरक्षा महसूस करते हुए मैं अपनी छत के जरिए उनके घर पर चला गया। हमारे पड़ोसी हिंदू परिवार ने हम लोगों की उस समय काफी मदद की ओर सभी को सुरक्षित रख लिया। माहौल शांत नहीं होने तक हम उनके घर में अंदर ही बैठे रहे। इस दौरान हमारे पड़ोसियों ने हमें खाना—पीना भी मुहैया कराया। अगर वो लोग नहीं होते तो शायद हम बच भी नहीं पाते। बाद में माहौल थोड़ा शांत होने के बाद मैंने देखा कि दंगाइयों ने मेरे पूरे घर को लूटकर उसे आग के हवाले कर दिया था। आग में धूं—धूं जलते घर के साथ हमारी जिंदगी भर की कमाई भी जलकर राख हो गयी थी।

र के लकड़ी के सारे सामानों अलमारी, टीवी ट्राली, टीवी, फ्रिज सबपर आग लगा दी गयी थी। दंगाइयों ने मरेी दो बाइकों को भी नहीं छोड़ा। हम भारी दहशत में है और खुद को बचाने के लिए अपने रिश्तेदारों के यहां पर छुपे हुए हैं। हमारे पास पहनने के लिए कपड़े तक नहीं बचे हैं और न दो जून की रोटी का जुगाड़।

शादाब कहते हैं, जिस समय ये हमला हुआ, उस समय दंगाइयों की भीड़ में मुझे मेरी गली का एक लड़का नजर आया था, जिसका नाम मुझे पता तो नहीं था लेकिन वो मेरे इलाके में रहता है।

सके अलावा गड्डे वाले स्कूल की अगली गली में रहने वाले एक मुस्लिम घर को भी उपद्रवियों ने तबाह कर दिया। दंगों के बाद पूरे घर को जला दिया गया था। घर का सामान रोड पर जला हुआ पड़ा था। इस मसले पर गली में रहने वाले रमेश जो मजदूरी करके दो जून की रोटी जुगाड़ते हैं, कहते हैं करीब 200 लोग हाथों में लाठियां लेकर आये थे। उन्होंने घर के अंदर तोड़फोड़ करना शुरू कर दिया था। गनीतम ये है कि उस समय घर में कोई नहीं था। अगर वो मुस्लिम परिवार घर के अंदर होता तो गुस्से में आई ये भीड़ उनको जान से मार देती। खजूरी इलाके में हुई हिंसा में अधिकतर जगहों पर केवल मुस्लिम घरों को ही तबाह किया गया है। मुस्लिमों के घरों को चुन—चुनकर लूटकर स्वाहा किया गया है।

दंगे में अपना सबकुछ गंवा चुके शादाब की तरह सोनू खान भी मस्जिद वाली गली में अपने परिवार के साथ रहते हैं। उपद्रवियों ने इनके घर में भी आग लगाकर तोड़फोड़ की थी। पूरी घटना के बारे में सोनू बताते हैं, 24 फरवरी को उपद्रवियों ने रात को मेरे घर के पास की अल्लाह वाली मस्जिद में आग लगाकर तोड़फोड़ की थी। मस्जिद वाली गली में केवल 4 मुस्लिम परिवारों के घर हैं। 24 फरवरी की अगली सुबह भी उपद्रवियों ने मस्जिद को इन लोगों ने तोड़ दिया था, जिसके बाद मेरे घर पर धावा बोलते हुए इन्होंने पूरे घर में तोड़फोड़ की। भीड़ सिर्फ उन्हीं लोगों पर हमला कर रही थी, जो मुसलमान थे। हमारी पूरी गली में हम 4 मुस्लिम परिवार हैं, और हम सभी के घरों में तोड़फोड़ और लूटपाट की गई है।

file photo

शादाब और सोनू की तरह उत्तरी पूर्वी दिल्ली में ऐसी ही ना जाने कितने घरों को जला दिया गया है। खजूरी, करावल नगर जैसे इलाकों में भड़की हिंसा से अभी तक तकरीबन 50 लोगों की मौत का आंकड़ा सामने आ चुका है, मगर अभी भी 100 से ज्यादा लोग गायब हैं और सैकड़ों लोग अस्पतालों में अंतिम सांसें गिन रहे हैं। नालों से शवों के मिलने का सिलसिला भी अभी जारी है।

बेसहारा, मजबूर और अनिश्चिता के भंवर में खड़े हिंसा प्रभावित लोगों को पैसों की जरूरत के चलते इधर-उधर ना भटकना पड़े, इसके लिए दिल्ली सरकार ने ने मुआवजा देने का काम शुरू कर दिया है। इसके दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने विज्ञापन जारी कर एक फार्म निकाला है। मगर सवाल है कि जिन लोगों का सबकुछ स्वाहा हो चुका है, वो आधार जैसा दस्तावेज कहां से जमा करेंगे, ताकि उन्हें मुआवजा मिल पाये।

दिल्ली सरकार देगी सभी पीड़ितों को मुआवजा

दिल्ली सरकार द्वारा हिंसा में पीड़ित लोगों को राहत देने के लिए मुआवजे का ऐलान किया गया है, जिसमें केजरीवाल सरकार ने विज्ञापन जारी कर एक फार्म निकाला है। इस संबंध में पीड़ित को अपना नाम, परिवार के मुखिया/ दावेदार से संबंध, उम्र, आधार कार्ड/ वोटर संख्या और घायल की स्थिति क्या है वह सब कॉलम में लिखना होगा। इसके साथ ही घायल की स्थिति, स्थाई अक्षमता, गंभीर चोट और मामूली चोट इत्यादि का भी जिक्र करना होगा।

केजरीवाल सरकार द्वारा जारी किये गये फॉर्म में पीड़ितों को अपना पता, प्रकार (दुकान/ रेहड़ी/ इत्यादि) और कितना नुकसान हुआ है, वह सब भरना है। घर को हुए नुकसान का विवरण भी देना होगा। ई रिक्शा/ रिक्शा की क्षति के लिए विवरण देना होगा। वहीं यह भी बताना होगा कि आप मालिक या किराएदार हैं। इसमें आपको अपने घर का पता और कितना नुकसान हुआ है, की भी जानकारी देनी होगी। (घ) मृतक व्यक्ति का विवरण (यदि है): इसमें आपको अपना नाम, उम्र, पता और दावेदार से आपका संबंध किया है वह सब लिखना है।

रविंद केजरीवाल ने पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए मकान के लिए 5 लाख रुपये देने का ऐलान किया है। इसमें से 1 लाख रुपये किरायेदारों के लिए हैं (अगर उस घर में किराएदार रहता था) जबकि 4 लाख रुपये मकान मालिक के लिए हैं। सरकार के मुताबिक व्यावसायिक प्रतिष्ठान के नुकसान के लिए 5 लाख रुपये मुआवजे का प्रावधान किया गया है।

मामूली चोट के लिए 20 हजार रुपये, अनाथ के लिए 3 लाख रुपये की घोषणा की गई है। जानवर की क्षति के लिए 5000 रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। साधारण रिक्शा के लिए 25 हजार रुपये और ई रिक्शा के लिए 50 हजार रुपये देने की घोषणा की गई है, लेकिन फार्म में दो चीजों का सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण देखा जाना है, जिसमें आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड जैसी चीजों को मांगा जा रहा है।

मुआवजे पर क्या कहा पीड़ितों ने?

दिल्ली सरकार के द्वारा निकाली जा रही मुआवजे को लेकर पीड़ित शाहिद कहते हैं केजरीवाल सरकार ने मदद के लिए जो हाथ बढ़ाया है वो काफी ज्यादा सराहनीय है। ऐसे में जिन लोगों को काफी ज्यादा नुकसान हुआ हैं, उन्हें थोड़ी राहत मिलेगी, मगर जो फार्म जारी किया गया है, उसमें आधार कार्ड के साथ ही वोटर आईडी कार्ड भी मांगा गया है। यानी जो पीड़ित किसी वजह से इन प्रमाणों को नहीं दिखा पायेगा वह मुआवजे से वंचित रह जायेगा। लोग बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचा पाये हैं, आखिर इन दस्तावेजों को बचाने की सुध कहां से रहती।

दंगे में तबाह होकर दाने—दाने को मोहताज हो गया है मजदूर वर्ग

शाहिद आगे कहते हैं, मेरे पास आधार कार्ड तो है लेकिन वोटर आईडी कार्ड का कुछ पता नहीं है। सरकार को अगर मदद ही करनी है तो उसे किसी तरह के कागजात की मांग नहीं करनी चाहिए। मेरे पास तो मेरा आधार कार्ड तब भी है लेकिन कई लोगों के पास कुछ नहीं बचा है। संपत्ति और स्कूली दस्तावेज खाक हो चुके हैं। मेरे भी कॉलेज और स्कूल के समय के कागजात पूरी तरह से जलकर खाक हो चुके हैं, जिसके चलते मुझे भविष्य में दिक्कतें होंगी। हमारे कागजात नंदनगरी के डीसीप ऑफिस में जमा कराए जा रहे हैं, जो मेरे रिश्तेदार के घर से काफी दूर है। ऊपर से माहौल के कारण में अभी घर से निकलना नहीं चाहता हूं।

रकार की मदद की पहल पर सोनू खान सरकार से तुरंत मदद मांगने की अपील करते हुए कहते हैं, मैंने सुना है कि केजरीवाल सरकार राहत कैंप के शिविर लगा कर लोगों की मदद कर रही है। कैंपों में शिविर लगाकर लोगों के कागजात भी बनाए जा रहे हैं। लेकिन ये प्रक्रिया काफी लंबी भी चल सकती है और जटिल भी है। लोगों को खासकर मुझ जैसों को रहने और खाने के लिए पैसों की सख्त जरूरत है। ऐसे में मेरे पास ऐसा कोई कागजात नहीं है, जो में दिखा सकूं। घर में आग लगने के बाद मेरे सारे कागजात जल चुके हैं।

हीं मौजपुर के स्थानीय निवासी शहजाद इससे नाराज होते हुए बोलते हैं, सरकार को तत्काल बिना किसी कागजात के लोगों की मदद करनी चाहिए। हिंसा में लोगों की संपत्ति के साथ कागजात भी जल चुके हैं। ऐसे में लोग कहां से आधार कार्ड या वोटर आईडी कार्ड लेकर आएंगे, सरकार के पास सभी लोगों का डेटा होता है वहीं से लोगों की पहचान कर सरकार सबको मदद मुहैया कराए।

केजरीवाल सरकार की मुआवजा स्कीम पर सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी कहती हैं, हिंसा और आगजनी के बाद केजरीवाल सरकार द्वारा काफी अच्छा कदम उठाया जा रहा है। शिविर कैंप लगाकर लोगों के कागजात तत्काल बनाए जा रहे हैं। वहीं पीड़ितों को मुआवजा देकर सरकार उनको सहयोग दे रही है। वोटर आईडी और आधार कार्ड जैसी मूल चीजों की जरूरत इन सब हालातों में सरकारी काम के लिए पड़ती है, जिसके लिए केजरीवाल सरकार द्वारा मदद भी दी जा रही है।

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