300 से ज्यादा मणिपुरी नर्सों ने सामूहिक इस्तीफा, कहा लोग हम पर थूकते हैं, नस्लभेद और भेदभाव से परेशान हैं हम
कोलकाता में काम करने वाली एक मणिपुरी नर्स क्रिस्टेला ने कहा, 'हम इससे खुश नहीं हैं कि हमने अपनी ड्यूटी को छोड़ा। लेकिन हमें भेदभाव, नस्लभेद का सामना करना पड़ा और लोग कभी-कभी हम पर थूकते हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि अस्पतालों में पीपीई किटों की पर्याप्त संख्या नहीं थी...
जनज्वार ब्यूरो। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता और आसपास के अस्पतालों की स्थिति चिंताजनक हो गई है। दरअसल नस्लभेद और भेदभाव से तंग आकर तीन से ज्यादा नर्सों ने 21 मई को सामूहिक तौर पर इस्तीफा दे दिया। नर्सों ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें पीपीई किट नहीं प्रदान किए जाते थे और बिना वेतन काम करने को मजबूर किया जाता था।
'टाइम्स नाउ' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोलकाता में मणिपुर भवन की डेप्युटी रेजीडेंस कमिश्नर जेएस जॉयरिता ने पुष्टि की लगभग 300 नर्सें पश्चिम बंगाल की राजधानी को छोड़कर मणिपुर के निकल गई हैं। एएनआई से बात करते हुए मणिपुरी नर्स क्रिस्टेला ने पुष्टि की कि उनके क्षेत्र के उनके सहयोगियों ने कोलकाता में भेदभाव और नस्लवाद का सामना किया। उन्होंने पीपीई किट की भी कमी की भी शिकायत की।
क्रिस्टेला ने एएनआई को बताया, 'हम इससे खुश नहीं हैं कि हमने अपनी ड्यूटी को छोड़ा। लेकिन हमें भेदभाव, नस्लभेद का सामना करना पड़ा और लोग कभी-कभी हम पर थूकते हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि अस्पतालों में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किटों की पर्याप्त संख्या नहीं थी।
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एक अन्य मणिपुरी नर्स जिन्होंने इस्तीफा दिया और अपने राज्य में पहुंची, उन्होंने फोन पर पीटीआई को बताया, 'हमारे माता-पिता चिंतित हैं और जब यहां हर रोज मामले बढ़ रहे हैं तो हम काफी तनाव में हैं। हमारा राज्य एक हरा राज्य है और हम घर वापस जाने की इच्छा महसूस कर रहे हैं। राज्य सरकार हमारी मदद कर रही है। परिवार और माता-पिता हमारी प्राथमिकता हैं।'
मणिपुरी नर्सों के सामूहिक इस्तीफे पर टिप्पणी करते हुए मुख्यमंत्री एन नोंगथोम्बम बिरेन सिंह ने बताया कि उनकी सरकार ने स्वास्थ्य पेशेवरों को वापस आने के लिए कोई सलाह जारी नहीं की है।
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उन्होंने आगे कहा, 'राज्य सरकार की ओर से ऐसी कोई सलाह नहीं दी गई है, लेकिन अगर नर्स/ डॉक्टर अपने सेवा स्थान में सहज महसूस नहीं करते हैं या जहां वे काम कर रहे हैं, वहां भेदभाव मिलता है, तो यह उनके ऊपर है। मैं उन्हें वहां रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। उनकी इच्छा है।' केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल में 2961 कोरोनोवायरस मामले दर्ज किए गए हैं।