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प्रधानमंत्री कार्यालय ने फिर कहा, PM CARES FUND के पैसे का नहीं मिलेगा कोई हिसाब

Nirmal kant
30 May 2020 11:12 AM GMT
प्रधानमंत्री कार्यालय ने फिर कहा, PM CARES FUND के पैसे का नहीं मिलेगा कोई हिसाब
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प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 2 (एच) के तहत पीएम केअर्स फंड 'सार्वजनिक प्राधिकरण' (Public Authority) नहीं है...

जनज्वार ब्यूरो। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने आरटीआई एक्ट के तहत मांगी गई पीएम केअर्स फंड (PM CARES Fund) की जानकारी देने से एक बार फिर से इनकार कर दिया है। पीएमओ ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 2 (एच) के तहत पीएम केअर्स फंड 'सार्वजनिक प्राधिकरण' (Public Authority) नहीं है।

रअसल 1 अप्रैल को बेंगुलुरु स्थित अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय में एलएलएम की छात्रा हर्षा ने आरटीआईए के जरिए पीएम केअर्स फंड के ट्रस्ट डीड और इसके गठन और संचालन से संबंदित सभी सरकारी आदेशों, अधिसूचनाओं और परिपत्रों की प्रतियां मांगी थीं।

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कानूनी मामलों की समाचार वेबसाइट 'लाइव लॉ' के मुताबिक इसके जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय के लोकसूचना अधिकारी ने 29 मई को कहा, 'आरटीआई अधिनियम-2005 की धारा 2 (एच) के दायरे में पीएम केअर्स फंड एक 'सार्वजनिक प्राधिकरण' नहीं है। हालांकि पीएम केअर्स फंड के संबंध में प्रासंगिक जानकारी वेबसाइट pmcares.gov.in पर देखी जा सकती है।' जबकि ट्रस्ट डीड की प्रतियां और पीएम केअर्स फंड से संबंधित सरकारी आदेश/अधिसूचनाएं निधि की आधिकारिक वेबसाइट पर नहीं देखने को मिलती हैं।

र्षा ने कहा कि वह पीएमओ के इस फैसले के खिलाफ वैधानिक अपील दायर करेंगी। उन्होंने कहा, 'पीएम केअर्स फंड को 'सार्वजनिक प्राधिकरण' का दर्जा देने से इनकार करते हुए, यह अनुमान लगाना उचित है कि यह सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं है। यदि ऐसा है तो इसे कौन नियंत्रित कर रहा है? ट्रस्ट का नाम, रचना, नियंत्रण, प्रतीक का उपयोग, सरकारी डोमेन नाम सब कुछ दर्शाता है कि यह एक सार्वजनिक प्राधिकरण है।'

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'बस यह फैसला करते हुए कि यह एक सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है और आरटीआई अधिनियम के आवेदन को अस्वीकार करते हुए, सरकार ने इसके चारों ओर गोपनीयता की दीवारों का निर्माण किया है। यह सिर्फ कमी के बारे में नहीं है। पारदर्शिता और निधि के लिए आरटीआई अधिनियम के आवेदन को अस्वीकार करने से, हमें इस बात के बारे में भी चिंतित होना चाहिए कि फंड कैसे संचालित किया जा रहा है। हमें विश्वास और सुरक्षा उपायों की निर्णय लेने की प्रक्रिया के बारे में नहीं पता है, ताकि फंड का दुरुपयोग न हो।'

न्होंने कहा कि एक ट्रस्ट के लिए, जो चार कैबिनेट मंत्रियों द्वारा अपनी पूर्व-सरकारी क्षमताओं में बनाया और चलाया जाता है, 'लोक प्राधिकरण' का दर्जा देने से इनकार करना पारदर्शिता के लिए एक बड़ा झटका है और हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लेख नहीं करना है।

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ससे पहले 27 अप्रैल को प्रधानमंत्री कार्यालय ने विक्रांत तोगड़ द्वारा दायर एक आरटीआई आवेदन के जवाब में पीएम केअर्स फंड की डिटेल देने से इनकार कर दिया था। विक्रांत ने फंड के संबंध में पीएमओ से 12 बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी।

पीएम केअर्स फंड 28 मार्च 2020 को किसी भी तरह की आपातकालीन या संकट की स्थिति जैसे कोविड-19 महामारी से निपटने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ बनाया गया था। प्रधानमंत्री, पीएम केअर्स फंड के पदेन अध्यक्ष और रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री, भारत सरकार निधि के पदेन न्यासी होते हैं। इस फंड के निर्माण के बाद विपक्षी ने सवाल उठाए थे कि जब प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय राहत कोष पहले से ही था तो एक अलग कोष की आवश्यकता क्यों थी।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दो जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया जिसमें पीएम केअर्स फंड के गठन की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा गया था कि याचिकाएं 'गलत' और 'एक राजनीतिक रंग होने के रूप में' थीं। यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या पीएम कार्स फंड को भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक द्वारा लेखा परीक्षा के अधीन किया जा सकता है। एनडीटीवी की एक समाचार रिपोर्ट कैग कार्यालय के सूत्रों के हवाले से कहा गया था, 'चूंकि निधि व्यक्तियों और संगठनों के दान पर आधारित है, हमें धर्मार्थ संगठन का ऑडिट करने का कोई अधिकार नहीं है'।

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