PM NATIONAL RELIEF FUND की तरह पारदर्शी क्यों नहीं मोदी का PM CARES FUND ?
केंद्र सरकार ने इस बात का जवाब नहीं दिया है कि पीएम केअर्स फंड में कितने पैसे हैं या कितने पैसे का कैसे इस्तेमाल किया गया है, जानिए दोनों पीएम केअर्स फंड और पीएमएनआरएफ में है कितना अंतर....
जनज्वार ब्यूरो। कोविड-19 जैसी महामारी से निपटने के लिए 28 मार्च को पीएम केअर्स फंड बनाया गया था। एक-डेढ़ महीने में ही फंड में हजारों करोड़ों रुपये दान दिया गया है जिसमें से प्रमुख कॉर्पोर्टेस से असीमित कर मुक्त योगदान भी शामिल है।
फंड को व्यक्तियों और संगठनों से स्वैच्छिक योगदान प्राप्त होता है और उन्हें कोई बजटीय सहायता नहीं मिलती है। दान को कर-मुक्त कर दिया गया है और अब इसे कंपनी की कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (Corporate Social Responsibility) के दायित्वों के खिलाफ माना जा सकता है।
संबंधित खबर : ‘पीएम रिलीफ फंड पहले से है, तो पीएम केयर फंड क्यों? इसमें बड़ा घोटाला दिखता है’- डॉ. उदित राज
इस फंड को विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 से भी छूट प्राप्त है और विदेशी योगदान को स्वीकार करता है। हालांकि केंद्र ने पहले ही केरल बाढ़ जैसी आपदाओं से निपटने के लिए विदेशी सहायता लेने से इनकार किया है।
प्रधानमंत्री अपनी आधिकारिक क्षमता में इस फंड की अध्यक्षता कर सकता है और संबंधित क्षेत्रों के तीन प्रतिष्ठित व्यक्तियों को न्यासी मंडल में नामांकित कर सकता है। रक्षा, गृह मंत्रालय और वित्त मंत्री पद पर रहते हुए इस फंड के ट्रस्टी हैं।
पीएमएनआरएफ को मूल रूप से एक समिति द्वारा प्रबंधित किया गया था जिसमें प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष, टाटा ट्रस्टी के प्रतिनिधि और एक उद्योग प्रतिनिधि शामिल थे। हालांकि 1985 में इस समिति द्वारा फंड का पूरा प्रबंधन प्रधानमंत्री को सौंप दिया गया जिसका वितरण प्रधानमंत्री स्वविवेक से कर सकते थे। पीएमओ का एक संयुक्त सचिव इस निधि की प्रशासनिक देखरेख करता है।
संबंधित खबर : प्रधानमंत्री कार्यालय ने PM-CARES FUND से जुड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक करने से किया इनकार
'द हिंदू की रिपोर्ट' के मुताबिक, दिसंबर 2019 तक पीएमएनआरएफ में 3,800 करोड़ रुपये की राशि शेष थी। विपक्षी नेताओं ने यह कहते हुए पीएम केअर्स फंड की जरूरत पर सवाल उठाए हैं कि इसका उद्देश्य भी वही है। राज्यों में भी इसी तरह के मुख्यमंत्री राहत कोष हैं और राज्य सरकारों ने भी दान के लिए अपील की है कि वे कोविड-19 के राहत कार्यों को लागू करने के इस प्रमुख बोझ वहन करें।
पीएम केअर्स फंड ने 45 दिनों के भीतर बड़ी मात्रा में दान को आकर्षित किया है। 28 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक ट्वीट के पहले आधे घंटे के भीतर आईएएस एसोसिएशन और बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार ने क्रमश: 21 लाख और 25 करोड़ रुपये का योगदान देने का वादा किया था। तब के पहले हफ्ते के समाचार रिपोर्टों में बताया गया कि सार्वजनिक रुप से घोषित दान में कम से कम 6,500 करोड़ रुपये तक जुड़ गए हैं।
तब से इस महीने तक लाखों सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों ने पीएम केअर्स फंड को एक दिन का वेतन दान किया है। कुछ का दावा है कि यह उनकी अनुमति के बिना या उनके संज्ञान में लाए बिना किया गया था।
संबंधित खबर : कोरोना वायरस संकट- PM CARES FUND का ऑडिट नहीं करेगा CAG!
'द हिंदू' की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने इस बात का जवाब नहीं दिया है कि पीएम केअर्स फंड में कितने पैसे हैं या कितने पैसे का कैसे इस्तेमाल किया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि 'एक बार सम्मानजनक राशि एकत्र' कर ली जाएगी तो बाद में उसकी घोषणा की जाएगी।
आरटीआई एक्टिविस्ट विक्रांत तोंगड़ के द्वारा पीएमओ में एक आरटीआई दायर की गई लेकिन पीएम ने सुप्रीम कोर्ट के अवलोकन का हवाला देते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया था कि 'सभी और विविध जानकारी के प्रकटीकरण के लिए आरटीआई अधिनियम के तहत अंधाधुंध और अव्यवहारिक मांगे प्रतिशोधात्मक होंगी।' जबकि अन्य आरटीआई के सवालों का वैधानिक तीस दिन की अवधि के बाद भी जवाब नहीं मिला है।
पीएम केअर्स का वेब पेज एकत्र राशि, दानकर्ताओं के नाम, फंड के अबतक के खर्च या लाभार्थियों के नाम के बारे में अपारदर्शी है। जबकि पीएमएनआरएफ वार्षिक दान और व्यय की जानकारी प्रदान करता है। पीएम केअर्स फंड सार्वजनिक जांच के लिए उपलब्ध नहीं है।