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राजनीति

अवैध वसूली और कछार क्षेत्र में अवैध निर्माणों से ध्वस्त होता प्रयागराज का आधारभूत ढांचा

Prema Negi
2 Dec 2019 6:43 AM GMT
अवैध वसूली और कछार क्षेत्र में अवैध निर्माणों से ध्वस्त होता प्रयागराज का आधारभूत ढांचा
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राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार को गुमराह कर विकास के नाम पर कमीशनखोरी के लिए नागरिकों के निजी फ्रीहोल्ड भूमि पर बने भवन व दुकान को बलपूर्वक अवैध कब्जा करने का प्रयागराज विकास प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा रचा जा रहा षड्यंत्र...

इलाहाबाद से जेपी सिंह की रिपोर्ट

जनज्वार, इलाहाबाद। प्रयागराज विकास प्राधिकरण के सचिव दयानन्द प्रसाद ने एक आरटीआई के जवाब में कहा गया है कि राजापुर म्योर रोड में ट्राफिक जाम की समस्या रहती है, जिस कारण रोड का चौड़ीकरण होना अनिवार्य है। मगर सचिव ने यह नहीं बताया कि ऐसा क्यों हो रहा है।

रअसल ट्रैफिक जाम का मूल कारण प्राधिकरण एवं नगर निगम के अधिकारियों की अवैध वसूली है। म्योर रोड राजापुर, हनुमान मंदिर से पूर्व की तरफ लगभग 300 मीटर तक प्रयागराज विकास प्राधिकरण एवं नगर निगम प्रयागराज के घूसखोर व कमीशनखोर कर्मचारी द्वारा साप्ताहिक वसूली की जाती है, जिसमें लगभग साप्ताहिक 25,000-30,000 तक 250-300 ठेले वालों से वसूला जाता है।

राजापुर व्यापार मण्डल एवं जनहित संघर्ष समिति (रजिस्टर्ड) द्वारा नगर आयुक्त (प्रयागराज), महापौर (प्रयागराज), जिलाधिकारी (प्रयागराज) एवं मण्डलायुक्त को कई प्रत्यावेदन वेंडर जोन बनाने के लिए दिये जा चुके हैं, जिस पर आज तक प्रयागराज प्रशासन और प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा घूस एवं कमीशन खाने के लिए आज तक उस पर प्रत्यावेदन पर विचार नहीं किया गया।

प्रयागराज विकास प्राधिकरण एवं नगर निगम द्वारा राजापुर, गंगानगर, बेली, मऊसरैया, द्रौपदी-घाट इत्यादि प्रयागराज के गंगा तटीय, कछारी एवं मूल बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में भू-माफ़ियाओं से साठ-गांठ करके लगभग एक लाख मकान राजस्व भूमि पर अवैध बनवाये गए हैं, जिससे इस इलाके का सारा आधारभूत ढांचा ध्वस्त हो गया है। इसके दोषी केवल प्राधिकरण एवं नगर निगम से सम्बंधित प्रशासनिक अधिकारी हैं।

गर जनहित में इसकी निष्पक्ष जांच कराई जाए तो सत शुक्ला, आलोक पांडे व दयानंद प्रसाद (सचिव) एवं पूर्व उपाध्यक्ष/वर्तमान जिलाधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी के विरुद्ध नागरिकों को क्षति पहुंचा कर उनके जमीनों पर अवैध कब्जा करने के संबंध में गंभीर मामला बनता है। यह सब अधिकारीगण उत्तर प्रदेश नगर नियोजन और विकास अधिनियम 1973 के धारा 26घ के दोषी हैं।

प्रयागराज के राजापुर म्योर रोड में स्टैनली रोड-म्योर रोड ट्रैफिक चौराहे से पश्चिम की ओर राजापुर मलिन बस्ती से क्लाइव रोड म्योर रोड हनुमान मंदिर चौराहे तक सड़क के दोनों ओर अंग्रेजों के समय से राजस्व अभिलेख 1320 फसली वर्ष के अंतिम बंदोबस्त सन 1913 के तहत सड़क के दोनों ओर निजी फ्रीहोल्ड भूमि पर पुराने भवन एवं दुकानें निर्मित हैं।

न पर नियम विरुद्ध अवैध कब्जा करने के लिए प्रयागराज विकास प्राधिकरण के भ्रष्ट व कमीशन खोर अधिकारियों तथा अभियंताओं द्वारा 2 से 3 मीटर तक अवैध ढंग से लाल निशान लगाने व उक्त क्षेत्र के नागरिकों पर पुलिस बल के साथ नागरिकों में दहशत फैलाकर अपना भवन एवं दुकान खुद से तोड़कर अपनी निजी फ्रीहोल्ड भूमि को प्रयागराज विकास प्राधिकरण को सुपुर्द करने के लिए प्रशासनिक व पुलिसिया दबाव बनाकर मजबूर किया जा रहा है।

स क्षेत्र में महायोजना 2021 में म्योर रोड को यथावत रखने का आदेश मानचित्र नंबर 9 में पारित किया गया है। उक्त क्षेत्र के म्योर रोड के दोनों और बाजार स्ट्रीट घोषित किया गया है। इस क्षेत्र को पुराने निर्माण क्षेत्र की श्रेणी में महायोजना 2021 में घोषित किया जा चुका है तथा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश रिट याचिका सं0 14473 ऑफ 2019 दिनांक 09 मई 2019 में दिए गए आदेश कि अवमानना करते हुए नागरिकों एवं निजी भूमि पर अवैध कब्ज़ा करने पर प्रयागराज विकास प्राधिकरण के अधिकारी उतारू हैं।

यह भी पढ़ें : प्रयागराज में लोक निर्माण विभाग ने जिस रोड को बनाया 50 लाख में, 8 महीने के अंदर उसी रोड को दोबारा पीडीए बनाएगा 7.70 करोड़ में

म्योर रोड राजापुर क्षेत्र की चौड़ाई ट्रैफिक चौराहे से पश्चिम ओर हनुमान मंदिर क्लाइव रोड म्योर रोड चौराहे तक फ़सली वर्ष सन 1320 के अंतिम बंदोबस्त के अनुसार सन 1913 में राजस्व के भू अभिलेखों के अनुसार 7 मीटर—9.5मीटर तक पूर्ण सड़क (सड़क व पटरी) है। फसली वर्ष सन 1320 के अंतिम बंदोबस्त सन 1913 के रोड की खाता संख्या 123 का प्लाट संख्या 374, फसली खसरा व खेवट के अनुसार सड़क की कुल पैमाइश 5 बीघा 6 बिस्वा है, जिसमें आज तक कोई परिवर्तन नहीं किया गया और ना ही किया जा सकता है। उक्त न्यू रोड को पिछले 50 वर्षों से लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाया जाता है, प्रयागराज विकास प्राधिकरण के पास उक्त रोड का कोई भी भूमि राजस्व अभिलेख नहीं है।

राजापुर के उत्तरी क्षेत्र में अति लोलैंड क्षेत्र पर पुरानी बस्ती बसी हुई है और इसके 300 मीटर के बाद उत्तरी क्षेत्र में गंगा का कछारी क्षेत्र पड़ता है। उत्तर क्षेत्र में कोई अधिग्रहण व पूर्नग्रहण नहीं किया जा सकता है। उत्तरी क्षेत्र में समस्त भूमि फ्री होल्ड निजी भूमि पर पुरानी निर्मित घनी बस्ती है।

इसी प्रकार म्योर रोड राजापुर के दक्षिणी क्षेत्र में अंग्रेजों के ढाई सौ वर्ष पुराने कब्रिस्तान व दक्षिण म्योर रोड के बीच में नागरिकों की निजी फ्रीहोल्ड भूमि स्थित है। इस फ्रीहोल्ड भूमि पर नागरिकों के पुराने भवन व दुकान स्थित हैं। दक्षिण में प्राधिकरण के व्यवसाय केंद्र संस्थान, जल निगम कॉलोनी एवं नगर महापालिका/ नगर निगम का ट्यूबवेल व पाक निर्मित है। 1932 का हिंदू हॉस्टल का मूलभूत स्वरूप पुरानी दीवारों सहित स्थित है।

रअसल प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा षड्यंत्र करके नागरिकों में दहशत फैला, राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार को गुमराह करके विकास के नाम पर कमीशनखोरी हेतु नागरिकों के निजी फ्रीहोल्ड भूमि पर बने भवन व दुकान को बलपूर्वक अवैध कब्जा करने का षड्यंत्र किया जा रहा है। इसी प्रकार प्रयागराज विकास प्राधिकरण के प्रशासनिक अधिकारियों एवं अभियंताओं द्वारा प्रयागराज के अन्य क्षेत्रों में नागरिकों के पुराने निर्मित क्षेत्रों में अवैध कब्जा किया गया।

पीएमओ को भेजी गयी शिकायत में आरोप लगाया गया है कि मृतक आश्रित कोटा में नियुक्त ओएसडी सत शुक्ला व आलोक पांडे द्वारा प्रयागराज नगर के गंगा यमुना एवं ससुर खदेरी नदी के तटीय व कछारी एवं मूल बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में राजस्व भूमि व कृषि उपयोग भूमि पर लगभग 400 एकड़ राजस्व भूमि पर अतिक्रमण किया गया है। इस भूमि में भू माफियाओं के साथ मिलकर रुपये 10 व रुपये 100 के स्टांप पेपर पर इकरारनामे से अवैध प्लाटिंग करा अवैध बहुमंजिला निर्माण बनवाकर लाखों भवनों एवं स्कूल कॉलेजों व लॉज इत्यादि का निर्माण कराया गया।

स भूमि पर लगभग 12 हजार करोड़ का राजस्व भूमि घोटाला किया गया है। इसके दोषी यह दोनों अक्षम एवं अवैध तथाकथित नियम विरुद्ध नियुक्त अधिकारी व पूर्व-उपाध्यक्ष/वर्तमान जिलाधिकारी श्री भानु चंद्र गोस्वामी, सचिव, अपर सचिव, अभियंताओं एवं कर्मचारीगण मंडलायुक्त/अध्यक्ष प्रयागराज विकास प्राधिकरण इत्यादि पूर्णतया दोषी हैं।

न लोगों ने अवैध ढंग से अरबों रुपए की चल-अचल नामी-बेनामी संपत्ति अर्जित की है। आज तक किसी भी अधिकारी, अभियंता या कर्मचारी के विरुद्ध नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम 1973 की धारा 26(ध) के अंतर्गत ना कोई कार्यवाही की गयी और ना ही किसी को सजा ही दी गयी? जबकि उक्त धारा में दोषी अधिकारी अभियंताओं एवं कर्मचारियों के विरुद्ध कारावास एवं अर्थदंड का प्रावधान है।

पीएमओ से पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों को दंडित करने का अनुरोध किया गया है और याद दिलाया गया है कि उक्त विषयों एवं इंगित साक्ष्यों के दृष्टिगत नागरिकों ने दिनांक 26 जुलाई 2019, 16 अगस्त 2019, 5 सितंबर 2019, 13 सितंबर 2019 एवं 9 अक्टूबर 2019 को पीएमओ को प्रत्यावेदन भेजे हैं, जिन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है।

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