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विमर्श

यूपी बार काउंसिल अध्यक्ष दरवेश हत्याकांड में प्रभावशाली लोगों को क्लीनचिट देने की कोशिश करती पुलिस!

Prema Negi
20 Jun 2019 5:21 PM GMT
यूपी बार काउंसिल अध्यक्ष दरवेश हत्याकांड में प्रभावशाली लोगों को क्लीनचिट देने की कोशिश करती पुलिस!
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यूपी बार काउंसिल की नवनिर्वाचित अध्यक्ष दरवेश यादव हत्याकांड की गुत्थी उस समय सुलझेगा जब पता चलेगा साथी अधिवक्ता मनीष शर्मा से 10 साल की अत्यंत घनिष्ठता के बाद उनसे दूरी का कारण...

जेपी सिंह, वरिष्ठ पत्रकार

यूपी बार काउंसिल की नवनिर्वाचित अध्यक्ष दरवेश यादव हत्याकांड के बाद सवाल उठ रहा है कि दरवेश को गोली मारने के बाद मनीष शर्मा ने खुद को गोली क्यों मारी? कहीं ऐसा तो नहीं कि मनीष को किसी तीसरे व्यक्ति ने गोली मारी और चैम्बर में मौजूद लोग किसी न किसी को बचाने या इज्जत ढांपने के लिए झूठ बोल रहे हैं?

दरवेश कांड की गुत्थी उसी समय सुलझ जाएगी जब मनीष से 10 साल की अत्यंत घनिष्ठता के बाद दूरी का कारण पता चल जायेगा, क्योंकि अभी तक इस काण्ड के मोटिव पर कोई ठोस बात सामने नहीं आई है। अभी तक दरवेश हत्याकांड की जांच में जो बातें सामने आ रही है उससे लगता है कि सच को दबाने और प्रभावशाली लोगों को क्लीनचिट देने की दिशा में बढ़ रही है पुलिस।

परम्परागत और आउटडेटेड इन्वेस्टिगेशन से फ़र्ज़ी लोगों पर चाजर्शीट दाखिल होना तय है। दरअसल इस हाईप्रोफाइल हत्याकांड के वास्तविक सच का खुलासा हाईकोर्ट मॉनीटर्ड सीबीआई या एसआईटी जांच से ही सामने आ सकता है। फिलवक्त इस कांड के प्रथमदृष्टया दोषी अधिवक्ता मनीष बाबू शर्मा मेदांता अस्पताल में जीवन मरण का संघर्ष कर रहे हैं।

मनीष के बयान पर हर किसी की निगाहें टिकी हुई हैं। मनीष के होश में आने का इंतजार किया जा रहा है। यदि मनीष पुलिस को बयान देने लायक हो जाते हैं तो फिर इस कांड के मोटिव का भी खुलासा हो सकता है और यदि इसके पीछे किसी तीसरे का षड्यंत्र और भूमिका हो तो उसका भी पता चल सकता है।

यूपी बार काउंसिल की नव निर्वाचित अध्यक्ष दरवेश यादव की उन्हीं के साथी अधिवक्ता मनीष बाबू शर्मा ने हत्या क्यों की? यह सवाल अभी तक पूरी तरीके से पहेली बना हुआ है। पुलिस की तफ्तीश में कई तरह की बातें सामने आ रही हैं, लेकिन अभी तक सही वजह सामने नहीं आई है। हकीकत तो अब मनीष ही बता सकता है, क्योंकि दरवेश पर गोलियां उसी ने चलाई थीं। पुलिस फिलहाल कड़ियां जोड़ने का काम रही है। जितने प्रत्यक्षदर्शी मौजूद थे, सभी के बयान लिए जा रहे हैं।

गौरतलब है कि 12 जून की दोपहर करीब तीन बजे बार काउंसिल की अध्यक्ष दरवेश यादव की दीवानी परिसर में वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद मिश्रा के चैंबर में साथी अधिवक्ता मनीष बाबू शर्मा ने हत्या कर दी थी। कहा जाता है कि इसके बाद मनीष ने खुद को भी सिर में गोली मार ली थी। दरवेश की तत्काल मौत हो गई थी, जबकि मनीष का गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उपचार चल रहा है।

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दरवेश हत्याकांड में के चार प्रमुख किरदार हैं जिनमें दरवेश, मनीष, सतीश यादव और डॉ अरविंद मिश्र, जिनके चैम्बर में यह कांड घटित हुआ, शामिल हैं। सबसे पहले तो इन चारों के जितने भी मोबाईल फोन हैं उनके पिछले कम से कम चार महीनों के कॉल डिटेल की जांच करना जरूरी है,जो पुलिस ने आज तक नहीं किया है।

बार कौंसिल इलाहाबाद से लेकर आगरा तक विधि क्षेत्र में चल रही चर्चाओं की मानी जाए तो पिछले कुछ महीनों से मनीष और दरवेश की दोस्ती में खटास आ गई थी। दोनों के बीच बातचीत लगभग बंद थी, क्योंकि दोनों के बीच एक ऐसे व्यक्ति की एंट्री हुई थी, जिससे मनीष अपने को ठगा महसूस कर रहा था, नापंसद करता था। चर्चा है कि दरवेश का उठना बैठना बड़े सर्कल में हो गया। उसकी संगत बड़े-बड़े लोगों के साथ होने लगी थी।

दरवेश यादव की हत्या में तीन लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है। दरवेश यादव के भतीजे सनी यादव ने यह एफ़आईआर दर्ज कराई है। एफ़आईआर में दरवेश को गोली मारने वाले मनीष शर्मा, उसकी पत्नी वंदना शर्मा को आरोपी बनाया गया है। तीसरा आरोपी विनीत गुलेचा को बनाया गया है। विनीत ही मनीष शर्मा को स्कूटर पर बैठाकर लेकर आया था।

एफ़आईआर में सनी ने कहा है कि उसकी बुआ दरवेश की गाड़ी, गहनों और चैंबर पर मनीष शर्मा ने क़ब्जा कर रखा था और कई बार कहने के बाद भी वह गाड़ी और गहनों को वापस नहीं कर रहा था। सनी के मुताबिक़, इसी बात को लेकर दोनों के बीच विवाद चल रहा था। लेकिन ये बात न तो पुलिस के न ही किसी और के गले से उतर रही है, क्योंकि संपत्ति या रंजिश में हमलावर खुद को गोली क्यों मारेगा?

मनीष के परिजनों के अनुसार महीने भर पहले इंस्पेक्टर सतीश यादव ने मनीष को उसी के घर में आकर धमकाया था। जिस दिन दरवेश यादव की हत्या हुई थी, उस दिन दरवेश के स्वागत समारोह में इंस्पेक्टर सतीश यादव को मौजूद देखकर अधिवक्ता मनीष बाबू शर्मा ने नाराजगी प्रकट की थी। मनीष शर्मा इंस्पेक्टर सतीश से बहुत खुन्नस खाता था और सतीश यादव मनीष से।

मनीष के परिजनों के अनुसार एक महीने पहले इंस्पेक्टर सतीश यादव अधिवक्ता मनीष के घर आया था। वहां मनीष के सामने उसकी पत्नी वंदना को भी बुलाया और फिर इंस्पेक्टर सतीश यादव ने मनीष को धमकाया कि दरवेश से दूर ही रहे। इंस्पेक्टर सतीश ने यह भी कहा था कि दरवेश से मेरे बारे में बात मत किया कर। दरवेश परेशान चल रही है। दरवेश तेरी वजह से परेशान है। इस पर मनीष ने कहा कि दरवेश मेरे नहीं, तुम्हारी वजह से परेशान है। इसके बाद सतीश यादव धमकी देकर घर से निकल आया था। प्रश्न यह है कि क्या सतीश यादव ही दरवेश यादव और मनीष शर्मा के अति घनिष्ट सम्बन्धों के बीच आ गया था?

परिजनों का कहना है कि इंस्पेक्टर सतीश द्वारा ही दरवेश और मनीष के मित्रता के संबंधों में दरार डाली गई। परिजनों का तो यह भी कहना है कि मनीष द्वारा दरवेश पर गोलियां चलाने के बाद इंस्पेक्टर सतीश यादव ने उसे पकड़ा और फिर बाद में वहां मौजूद एक महिला ने मनीष को गोली मारी। हालांकि इस बात की तो अब मनीष ही पुष्टि कर सकता है।

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि मनीष की बायीं कनपटी पर गोली लगी है। इसका अर्थ यह हु्आ कि यदि मनीष ने खुद को गोली मारी तो बाएं हाथ का इस्तेमाल किया जबकि यह संभव नहीं है क्योंकि मनीष लेफ्टी नहीं था, बल्कि दयहत्था था। ऐसे में बाएं हाथ से कोई पिस्टल कैसे चला सकता है। गोली कनपटी पर बाएं साइड में लगी और दाएं साइड में निकली।

परिजनों का स्पष्ट आरोप है कि उसे गोली मारी गई। अब यह बात भी छनकर सामने आ रही है कि मनीष की पिस्टल पर किसी और की भी उंगलियों के निशान हैं। इससे सवाल उठ रहा है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि दरवेश को मनीष ने गोली मारी और इसके बाद मनीष को किसी और ने गोली मारी हो? मनीष ने स्वयं को गोली नहीं मारी हो? इन सभी बिंदुओं पर भी पुलिस जांच कर रही है। पिस्टल पर जिसके निशान मिलने की बात कही जा रही है, वह दरवेश की परिजन ही है।

दरवेश हत्याकांड के मुकदमे में अधिवक्ता मनीष शर्मा की पत्नी वंदना और अधिवक्ता विनीत गोलेछा को भी आरोपित किया गया था। विनीत गोलेछा पर आरोप है कि वही मनीष को दीवानी में लेकर आया था। पुलिस की जांच में स्पष्ट हुआ है कि मनीष को बुलाने के लिए दरवेश ने विनीत को उसके घर भेजा था।

अब तक की जांच में पुलिस को विनीत और वंदना के खिलाफ कुछ नहीं मिला है। जो अधिवक्ता बयान देने आ रहे हैं, उन्होंने भी विनीत पर कोई आरोप नहीं लगाया है। बयान में कहा जा रहा है कि मनीष को बुलाने के लिए दरवेश ने ही विनीत को भेजा था। वह अपनी तरफ से नहीं गया था।

इस बीच यह भी सामने आया है कि इंस्पेक्टर सतीश यादव बिना छुट्टी लिए ही मैनपुरी से आगरा आया था। यहां दरवेश यादव की हत्या होने के बाद इंस्पेक्टर को लगा कि उसके भी बयान होंगे तब आगरा से लौटने के बाद इंस्पेक्टर सतीश ने मैनपुरी के एसपी के सामने पेश होकर छुट्टी की गुहार लगाई, लेकिन एसपी ने इंस्पेक्टर को न केवल अपनी आफिस से बाहर कर दिया, बल्कि उनके खिलाफ रपट भी लिखा दी। इंस्पेक्टर सतीश यादव बार काउंसिल की अध्यक्ष दरवेश यादव के स्वागत समारोह में दीवानी में मौजूद था। वह मैनपुरी में पुलिस लाइन में तैनात है।

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