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राजनीति

Uttarakhand Congress : ..तो अब प्रीतम भी चलेंगे किशोर पथ पर, बेटे के लिए लॉन्चिंग पैड बनेगी भाजपा

Janjwar Desk
23 April 2022 8:35 AM GMT
Uttarakhand Congress : ..तो अब प्रीतम भी चलेंगे किशोर पथ पर, बेटे के लिए लॉन्चिंग पैड बनेगी भाजपा
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Uttarakhand Congress : ..तो अब प्रीतम भी चलेंगे किशोर पथ पर, बेटे के लिए लॉन्चिंग पैड बनेगी भाजपा

Uttarakhand Congress : प्रीतम सिंह को लेकर तमाम चर्चाएं चल रही हैं, बताया जा रहा है कि प्रीतम को अब भाजपा में जाना फायदे का सौदा लग रहा है, कांग्रेस में रहकर उन्हें अपने युवा पुत्र को सियासत में आगे बढ़ाने का कोई मौका हासिल नहीं हुआ....

सलीम मलिक की रिपोर्ट

Uttarakhand Congress : उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के बाद भले ही नई सरकार का गठन हो गया हो लेकिन राजनैतिक सनसनी थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं। राजनीति के गलियारों में ताजा खबर के तौर पर इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा जिस खबर की हो रही है, उसमें किसी नेता का नाम लेने से परहेज किया जा रहा है। लेकिन पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, वर्तमान विधायक, पुत्र की राजनीति में एंट्री जैसे जिन शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है, उस छलनी से केवल प्रीतम सिंह (Pritam Singh) का ही नाम निकलकर आ रहा है।

चुनावी हार के बाद उत्तराखंड कांग्रेस (Uttarakhand Congress) में नए सिरे से हुई प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष पर नियुक्तियों के बाद शुरू हुई रार खत्म होती नहीं दिख रही है। सरेआम चर्चा है कि मौजूदा हालात में कांग्रेस में खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे एक और पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह भी किशोर उपाध्याय (Kishor Upadhyay) की राह पर चलकर भाजपा (BJP) का दामन थाम सकते हैं। बताया जा रहा है कि प्रीतम भाजपा के आला नेताओं के संपर्क में हैं। बातचीत अंतिम दौर में हैं और वह किसी भी रोज कांग्रेस को बॉय-बॉय कर सकते हैं।

बता दें कि उत्तराखंड के हालिया विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Election 2022) से पहले ही कांग्रेस पार्टी में सिर-फुट्टोवल शुरू गई थी। जीत के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर चली इस रार के बीच पूरा चुनाव बिताने वाली कांग्रेस में तब सन्नाटा छा गया जब चुनावी रिजल्ट में उसे सत्ता हासिल नहीं हुई। हार के लिए एक गुट दूसरे गुट पर ठीकरा फोड़ने लगा। केंद्रीय आलाकमान ने कांग्रेस को रिसाइकल करने के लिए पुराने लोगों को पदों से हटाकर नई नियुक्तियां की। लेकिन यह नियुक्तियां भी पार्टी की रार को खत्म नहीं कर सकी। नेता-प्रतिपक्ष पद से हाथ धोने के बाद प्रीतम खेमा खासा नाराज हो गया। कांग्रेस पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष व नेता-प्रतिपक्ष जैसे बड़े पदों पर रह चुके प्रीतम वर्तमान में केवल एक विधायक बनकर रह गए हैं। उनकी स्थिति डिग्री कॉलेज से निकालकर प्राइमरी स्कूल में एडमिशन करवाए छात्र सरीखी हो गई है, जिससे वह खासे आहत बताए जा रहे हैं। इसके साथ ही प्रीतम के सामने अपने पुत्र को भी राजनीति में स्थापित करने का दबाव है।

ऐसी बदली स्थिति में प्रीतम को लेकर तमाम चर्चाएं चल रही हैं। बताया जा रहा है कि प्रीतम को अब भाजपा में जाना फायदे का सौदा लग रहा है। कांग्रेस में रहकर उन्हें अपने युवा पुत्र को सियासत में आगे बढ़ाने का कोई मौका हासिल नहीं हुआ। भारतीय जनता पार्टी में उन्हें बेटे का भविष्य भी दिख रहा है।

प्रीतम के अगले गेम प्लान के बारे में जो बताया जा रहा है, उसके अनुसार उनकी बातचीत भाजपा के प्रदेश व केन्द्रीय नेतृत्व से हो चुकी है। जिसमें प्रीतम अपनी चकराता विधानसभा सीट की विधायकी से इस्तीफा देकर अपने पुत्र को भाजपा के टिकट पर पुत्र को विधायक बनवाकर पुत्र को राजनीति में स्थापित करेंगे। इसके अलावा टिहरी लोकसभा सीट के लिए 2024 में चेहरा तलाश कर रही भाजपा की मुश्किल आसान करते हुए भाजपा के टिकट पर लोकसभा के चुनावी समर में उतरेंगे।

प्रीतम को लगता है कि इस गणित से वह न केवल अपने पुत्र को सियासी तौर पर स्थापित कर सकते हैं बल्कि कांग्रेस से अपनी उपेक्षा का बदला भी ले सकते हैं। इससे पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और महिला कांग्रेस की अध्यक्षा रही सरिता आर्य ने जिस तरह से भाजपा का दामन थाम कर अपना सियासी वजूद बचाया है, वह भी प्रीतम को प्रेरणा दे रहा है।

गेम प्लान पर अमल हुआ तो प्रदेश में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) के लिए चम्पावत विधानसभा सीट से होने वाले उपचुनाव के साथ ही एक दूसरा उपचुनाव प्रीतम सिंह के विधानसभा क्षेत्र चकराता में भी होगा। चम्पावत का उपचुनाव मुख्यमंत्री धामी का संवैधानिक संकट दूर करेगा तो चकराता का उपचुनाव प्रीतम सिंह के पुत्र का लॉन्चिग पैड बनेगा। अब सस्पेंस केवल इस बात को लेकर है कि प्रीतम अकेले ही कांग्रेस को झटका देंगे या फिर अपनी पूरी टीम के साथ भाजपा में एंट्री मारेंगे। टीम के साथ प्रीतम भाजपा में गए तो गढ़वाल मण्डल के साथ ही कुमाउं मण्डल की कई विधानसभा सीटों पर राजनैतिक समीकरण बुरी तरह प्रभावित होंगी।

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