बंगाल चुनाव में राकेश टिकैत की एंट्री, नंदीग्राम में किसान महापंचायत को करेंगे संबोधित
राकेश टिकैत ने कहा कि पूरी सरकार दिल्ली छोड़कर बंगाल चुनाव प्रचार में व्यस्त है। इसीलिए हमारे सारे नेता भी यहां पहुंचे हैं। सरकार किसानों से बात नहीं कर रही है। हम आंदोलन को आगे 8 महीने तक चलाने के लिए भी तैयार हैं।
जनज्वार ब्यूरो। कृषि कानूनों के खिलाफ बीते सौ दिनों से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे किसानों ने अपना नया डेरा पश्चिम बंगाल में बना दिया है। दरअसल पश्चिम बंगाल में चल रहे विधानसभा चुनाव के बीच किसान नेता भी पहुंचने लग गए हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भी बंगाल पहुंच चुके हैं। टिकैत नंदीग्राम के लिए रवाना हो चुके हैं। वह नंदीग्राम में किसान पंचायत को संबोधित करेंगे।
इससे पहले टिकैत कोलकाता के भवानीपोरा में आयोजित किसान महापंचायत में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि आप भाजपा को वोट मत दीजिए, भले चाहे किसी और पार्टी को दे दीजिए। हम यहां क्रांतिकारियों की धरती से अपनी लड़ाई आगे बढ़ाने आए हैं। जब तक कानून वापसी नहीं, तब तक घर वापसी नहीं होगी।
भाकियू नेता ने आगे कहा कि पूरी सरकार दिल्ली छोड़कर बंगाल चुनाव प्रचार में व्यस्त है। इसीलिए हमारे सारे नेता भी यहां पहुंचे हैं। सरकार किसानों से बात नहीं कर रही है। हम आंदोलन को आगे 8 महीने तक चलाने के लिए भी तैयार हैं। जब सरकार आंदोलन वापस नहीं ले लेती, हमारा आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि जहां-जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जाएंगे, हम उन्हें फॉलो करेंगे। टिकैत शाम को नंदीग्राम में भी किसानों को संबोधित करेंगे। इसके बाद वे कल यानि रविवार 14 मार्च को सिंगूर और आसनसोल में किसान महापंचायत करें।
कल बंगाल के नंदीग्राम व कोलकाता में आयोजित किसान महापंचायतो संबोधित करूंगा, कल बंगाल किसान, जवान का होगा।
वहीं दूसरी ओर संयुक्त किसान मोर्चा ने भी शुक्रवार 12 मार्च को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम बंगाल के किसानों से अपील करते हैं कि वे भाजपा का बहिष्कार करें और उसे वोट न दें। चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा सरकार को कृषि कानून वापस लेना ही पड़ेगा।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि हम किसी पार्टी का समर्थन नहीं कर रहे हैं और न ही लोगों से किसी पर्टिकुलर पार्टी को वोट देने के लिए कह रहे हैं। हमारा मकसद है कि भाजपा को सबक सिखाया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार के कानों तक हमारी बात पहुंचाने के लिए जरूरी है कि आगामी चुनाव में उसका नुकसान किया जाए।