ममता बनर्जी पर अभद्र टिप्पणी कर पीएम मोदी ने जता दिया कि स्त्री विरोधी होते हैं संघी गिरोह के सभी नेता

पीएम मोदी ने कहा कि जब आपकी स्कूटी भवानीपुर जाने की बजाय नंदीग्राम की तरफ मुड़ गई। दीदी, हम तो हर किसी का भला चाहते हैं, हम नहीं चाहते किसी को चोट आए। लेकिन जब स्कूटी ने नंदीग्राम में ही गिरना तय किया, तो हम क्या करें।

Update: 2021-03-10 11:17 GMT

पीएम मोदी के साथ हुई मीटिंग में 30 मिनट में देर से पहुंची ममता बनर्जी ने थमाये कागज, और भी हैं मीटिंग्स कहकर चली गयीं

वरिष्ठ पत्रकार दिनकर कुमार का विश्लेषण

प्रधानमंत्री का पद गरिमापूर्ण पद होता है। इस पद पर चुनकर आने वाले व्यक्ति की विचारधारा चाहे जो भी हो, उससे उम्मीद की जाती है कि वह सार्वजनिक जीवन में न्यूनतम मर्यादा का पालन जरूर करेगा। खास तौर पर प्रधानमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह महिलाओं पर कोई अभद्र टिप्पणी करे। लेकिन संघ परिवार से आए पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर अभद्र टिप्पणी कर जता दिया है कि संघी गिरोह के सभी नेता स्त्री विरोधी होते हैं।

कोलकाता के ऐतिहासिक ब्रिगेड मैदान से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जोरदार हमला बोला। पीएम मोदी ने ममता बनर्जी के स्कूटी चलाने पर तंज कसते हुए कहा कि दीदी, आप बंगाल की ही नहीं आप तो भारत की बेटी हैं। कुछ दिन पहले जब आपने स्कूटी संभाली, तो सभी प्रार्थना कर रहे थे कि आप सकुशल रहें। अच्छा हुआ आप गिरी नहीं, नहीं तो जिस राज्य में वो स्कूटी बनी है, उस राज्य को ही अपना दुश्मन बना लेतीं।

पीएम मोदी ने कहा कि जब आपकी स्कूटी भवानीपुर जाने की बजाय नंदीग्राम की तरफ मुड़ गई। दीदी, हम तो हर किसी का भला चाहते हैं, हम नहीं चाहते किसी को चोट आए। लेकिन जब स्कूटी ने नंदीग्राम में ही गिरना तय किया, तो हम क्या करें।

जब-जब फ़ासीवादी और घोर प्रतिक्रियावादी ताक़तें सत्ता के गलियारों में पहुँचती हैं तो समाज में बर्बर, अमानवीय और पाशविक तत्वों को हौसला मिलता है। फासीवाद जातिवादी व सवर्णवादी मानसिकता को बढ़ावा देने का काम भी करता है तथा साथ ही वह स्त्रियों को उपभोग की वस्तु समझने वाली पितृसत्तात्मक मानसिकता को भी मज़बूती प्रदान करता है। इन फासिस्टों की नज़र में स्त्री का अपना कोई स्वतन्त्र अस्तित्व नहीं होता है; स्त्रियों को महज़ पुत्र पैदा करने वाली मशीन बताया जाता है, जिनका कर्तव्य पुरुषों की सेवा करना है। यही "हिन्दू राष्ट्र" में उनकी जगह है! संघी गिरोह के नेता समय-समय पर खुलकर स्त्री विरोधी टिप्पणी करते हुए अपनी जहालत का इसी तरह परिचय देते रहे हैं।

गौरतलब है कि आरएसएस के संघसरचालक जिन्हें 'परम-पूज्य' कह कर सम्बोधित किया जाता है और जिनकी वाणी को 'देववाणी' जैसा महत्व दिया जाता है, उनके अनुसार नारी को हमेशा पुरुष के ऊपर आश्रित होना चाहिए। संघसरचालक मोहन भागवत के कथनानुसार- 'पति और पत्नी एक अनुबंध में बंधे हैं जिसके तहत पति ने पत्नी को घर संभालने की जिम्मेदारी सौंपी है और वादा किया है कि मैं तुम्हारी सभी जरूरतें पूरी करूंगा, मैं तुम्हें सुरक्षित रखूंगा। अगर पति इस अनुबंध की शर्तों का पालन करता है, और जब तक पत्नी इस अनुबंध की शर्तों को मानती है, पति उसके साथ रहता है, अगर पत्नी अनुबंध को तोड़ती है तो पति उसे छोड़ सकता है।'

भागवत ने कहा कि – 'तलाक के ज्यादातर मामले पढ़े-लिखे और सम्पन्न परिवारों में ही देखने को मिल रहे हैं। इन दिनों शिक्षा और आर्थिक सम्पन्नता के साथ लोगों में घमंड भी आ रहा है, जिसके कारण परिवार टूट रहे हैं।'

भागवत के इस बयान पर पहली प्रतिक्रिया बॉलीवुड अभिनेत्री सोनम कपूर की आयी। सोनम ने ट्विटर पर भागवत की आलोचना करते हुए लिखा, 'कौन समझदार इंसान ऐसी बातें करता है? पिछड़ा हुआ मूर्खतापूर्ण बयान।'

मुख्यमंत्री की निजी वेबसाइट पर योगी आदित्यनाथ ने अपने एक लेख में शास्त्रों की दुहाई देते हुए महिलाओं को संरक्षण देते रहने की बात कही है। मुख्यमंत्री की नजर में जैसे कल-पुर्जे को खुला छोड़ दिये जाने पर वह अनियंत्रित हो जाता है उसी तरह महिलाओं को भी स्वतंत्र नहीं छोड़ा जा सकता और उसे बचपन में पिता, यौवन में पति और बुढ़ापे में पुत्र का संरक्षण होना चाहिए। योगी के मुताबिक स्त्री स्वत: मुक्त छोड़ने योग्य नहीं है।

औरतों से संघ के रिश्ते हमेशा छत्तीस के रहे हैं। संघ में औरतों का प्रवेश वर्जित है क्योंकि संघ का नेतृत्व हमेशा से ब्रह्मचर्य का व्रत लेने वालों के हाथों में रहा है। इन्हें औरतों से खतरा महसूस होता है। उनकी नजरों में औरतें माता या पुत्री हो सकती हैं, जिनका कोई स्वतन्त्र अस्तित्व सम्भव नहीं है। उनके मुताबिक औरतें स्वयंसेवक नहीं हो सकतीं, वे सिर्फ सेविकाएं हो सकती हैं। वे सेवा कर सकती हैं, लेकिन वह भी स्वयं की इच्छा से नहीं, बल्कि अपने पुरुष के कहे अनुसार। संघ का मत है कि पुरुष का कार्य है बाहर जाकर काम करना, धन कमाना, पौरुष दिखाना, जबकि स्त्री का गुण मातृत्व है। स्त्री को साड़ी पहननी चाहिए, शाकाहारी भोजन करना चाहिए, विदेशी संस्कृति का परित्याग करना चाहिए, धार्मिक कार्यों में अपना समय लगाना चाहिए, हिन्दू संस्कृति की रक्षा करनी चाहिए, खेलकूद और राजनीति से बिल्कुल दूर रहना चाहिए।

जब सरकार स्त्री विरोधी ताकतों के हाथों में हो तो देश में स्त्री की सुरक्षा के सामने संकट उत्पन्न होना स्वाभाविक है। मोदी के "रामराज्य" में महिलाओं की स्थिति नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) सालाना रिपोर्ट से जानी जा सकती है। महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। देश में महिलाओं के ख़िलाफ़ 2018 में कुल 3,78,277 मामले हुए जिसमें अकेले यूपी में 59,445 मामले दर्ज किए गये। यानी देश में महिलाओं के साथ हुए कुल अपराध का लगभग 15.8%। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में बलात्कार की 4,322 घटनाएँ सामने आयी। यानी हर दिन बलात्कार की 11 से 12 घटना।

'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' का जुमला उछालने वाली भाजपा सरकार के कार्यकाल में हर 15 मिनट में एक लड़की के साथ बलात्कार होता है। पिछले दिनों महिलाओं के साथ हुए बर्बर उत्पीड़न में अपराधी भाजपा के विधायक और मंत्री थे। इनमें से कुछ भाजपा और न्यायालय के रहमोकरम पर जेल से बाहर हैं जबकि नित्यानन्द की रिहाई के मामले में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने फूल-माला चढ़ाकर मिठाइयाँ भी बाँटी थी।

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