परंपरा के नाम पर अंधविश्वास का खेल, मृतक की 'आत्मा' लेने पहुंच गए सैकड़ों लोग

क्षेत्र के आदिवासियों में ऐसी मान्यता है कि जिस जगह पर किसी व्यक्ति की दुर्घटना में अकाल मृत्यु हो जाती है, उसकी आत्मा उसी जगह भटकती रहती है..

Update: 2021-07-27 14:16 GMT

(मध्यप्रदेश से हैरान करने वाली तस्वीर: मृतक की 'आत्मा' लेने पहुंच गए सैकड़ो लोग)

जनज्वार। मध्यप्रदेश के धार जिले से अंधविश्वास की एक हैरान कर देने वाली तस्वीर सामने आई है। 21वीं सदी में भी देश के कई इलाकों में आस्था के नाम पर अंधविश्वास लोगों पर इस कदर हावी है कि वे किसी की मृत्यु हो जाने की बाद उसकी आत्मा लेने ही पहुंच जाते हैं। लोगों की आस्था के नाम पर यह अंधविश्वास कई सवाल खड़े करती है।

इन अपेक्षाकृत पिछड़े इलाकों में आस्था के नाम पर अंधविश्वास का यह खेल लंबे समय से चला आ रहा है। दरअसल क्षेत्र के आदिवासियों में ऐसी मान्यता है कि जिस जगह पर किसी व्यक्ति की दुर्घटना में अकाल मृत्यु हो जाती है, उसकी आत्मा उसी जगह भटकती रहती है।

भटकती आत्मा को शांति मिले इसके लिए उसी स्थान पर जहां उसकी अकाल मृत्यु हुई है, पूजा पाठ किया जाता है। इस अंतिम कर्मकांड को ही स्थानीय स्तर पर 'जीव लेने जाना' कहा जाता है।

राज्य के धार, आलीराजपुर व झाबुआ जिले के आदिवासी इलाकों में इस तरह की अनोखी व अनूठी रस्म को निभाने की परंपरा अब तक चली आ रही है।

इसी परंपरा के तहत विगत शनिवार को जिस जगह सड़क दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हुई थी, उस जगह आलीराजपुर जिले के सैकड़ो लोग 40 किलोमीटर दूर धार जिले में उसकी आत्मा को लेने पहुंच गए।

ग्राम के बड़वा (तांत्रिक क्रियाओं का जानकार) की उपस्थिति में एक घंटे तक दुर्घटना स्थल पर ही विधि-विधान के साथ पूजा की गई। फिर सोमवार को इस मृत व्यक्ति के गांव में मृत्यु भोज की रस्म निभाई गई।

अन्य लोगों के साथ जीव लेने आए हरेसिंह व मोतेसिंह ने कहा, "मृत व्यक्ति की जीव (आत्मा) को लेने आए हैं। मान्यता अनुसार पूजा-पाठ व अन्य रस्म करने से जिस स्थान पर मृत व्यक्ति की आत्मा निकली थी, वह अब यहां नहीं भटकेगी व उसे शांति मिलेगी। आत्मा मृत व्यक्ति के घर पहुंचेगी। फिर दो दिन बाद सोमवार को मृत्यु भोज की रस्म की जाएगी।"

हरेसिंह ने बताया कि दस दिन पहले ट्रैक्टर की टक्कर से बाइक सवार गेमा पुत्र दखनसिंह की यहां मौत हो गई थी। वह 40 किमी दूर ग्राम कुकलट (आलीराजपुर जिला) का रहने वाला था। कुकलट से डही होते हुए कुक्षी जा रहा था, तब यह हादसा हो गया था। अब गांव के कुछ लोग, स्वजन व रिश्तेदार घटनास्थल पर उसकी जीव को लेने आए हैं।

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