अंधविश्वास : छह दिन पहले मरी बच्ची की लाश कब्र से निकाल होती रही जिंदा करने की कोशिश
बच्ची के शव को छह दिन पहले ही दफना दिया गया था, एक महिला भगत उसे जिंदा करने का दावा करती रही, शव को बाहर निकाल काफी देर तक झाड़-फूंक का ड्रामा चला, पर उसे न जिंदा होना था और न ही वह जिंदा हुई...
जनज्वार ब्यूरो, पटना। दुनिया अंतरिक्ष की सैर कर रही है ओर हमारे देश में अंधविश्वास की जड़ें इतनी गहरी हैं कि लगातार इससे जुड़ी खबरें सुर्खियां बन रहीं हैं। खासकर बिहार जैसे अपेक्षाकृत पिछड़े राज्यों में ऐसी घटनाएं ज्यादा ही होतीं हैं। 21वीं सदी में भी लोग झाड़-फूंक, ओझा-गुनी, डायन-विषहरी और भूत-प्रेत के कॉन्सेप्ट से मुक्त नहीं हो सके हैं। अब बिहार के समस्तीपुर जिला में मृत किशोरी के शव को कब्र से निकालकर उसे जिंदा करने की कोशिश का मामला सामने आया है।
बिहार के समस्तीपुर जिला के हरिशंकरपुर बघौनी गांव का यह मामला बताया जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यहां भगत के कहने पर छह दिन पूर्व मृत हुई बालिका के शव को कब्र से बाहर निकाल लिया गया और उसे जीवित करने के लिए देर तक उसके तंत्र-मंत्र का ड्रामा चलता रहा।
इस दौरान वहां लोगों की भारी भीड़ तमाशा देखती रही। बच्ची को न जिंदा होना था, न वह जिंदा हुई।काफी देर के ड्रामे के बाद भी जब वह जिंदा नहीं हुई तो बहाना बनाकर भगत खिसक गया। उसे काफी तलाश किया गया, पर वह गधे के सींग की तरह गायब हो चुका था। इस दौरान ही पुलिस के आने की भनक भी लगी और यह मजमा बिखरने लगा। बाद में लोगों ने शव को फिर से कब्र में दफना दिया।
बताया जाता है कि हरिशनकरपुर बघौनी के सिरिसिया दलित कॉलोनी के वार्ड नम्बर-11 निवासी वासुदेव मांझी की लगभग 12 वर्षीया पुत्री चंदा की विगत 3 अगस्त को मौत हो गई थी। उस दौरान मुहल्ले में चर्चा चली थी कि उसकी मौत सांप के डंसने के कारण हुई थी, हालांकि उसके शरीर पर सर्पदंश का निशान नहीं मिला था। उस समय भी विष झाड़ने वाले को बुलाने की चर्चा हुई थी, पर लोगों ने इन सब बातों पर ध्यान न देकर उसे दफना दिया था।
घटना के छह दिनों के बाद कुछ लोगों द्वारा सलाह देने पर अबाबकरपुर की एक चर्चित महिला भगत को बुलाया गया और झाड़-फूंक की यह कोशिश शुरू कर दी गई। उसके कहे अनुसार लाश को बाहर निकलकर काफी अरसे तक झाड़-फूंक और तंत्र- मंत्र चलता रहा। इसी बीच किसी के द्वारा पुलिस के आने की बात फैलाई गई और सारा मजमा बिखर गया।