झारखंड में अंधविश्वास का सहारा ले बुजुर्ग महिला को डायन बता कुल्हाड़ी से काटा, 10 साल से था जमीन विवाद
आरोपी गोपाल ने वृद्धा को डायन बताते हुए बच्चों को बीमार करने का आरोप भी लगाया था, साथ ही दोनों के बीच बीते 10 साल से जमीन को लेकर भी विवाद कायम था, आशंका है कि गोपाल ने अंधविश्वास को सहारा लेकर वृद्धा को मौत के घाट उतारा...
जनज्वार। भारत एक ऐसा देश है जहां एक तरफ तो देवी की पूजा की जाती है तो वहीं दूसरी ओर अंधविश्वास (Superstition) का सहारा लेकर औरत को हद दर्जे तक न सिर्फ प्रताड़ित किया जाता है, बल्कि मौत के घाट तक उतार दिया जाता है। एक बार फिर झारखंड (Jharkhand) से एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां 65 साल की वृद्धा को डायन (With hunting) बताकर उस पर ताबड़तोड़ कुलहाड़ी से वार कर उसकी हत्या (Murder) कर दी गई।
एक बार फिर ऐसी खबर सामने आई है, जो अंधविश्वास के बहाने औरतों पर किये जाने वाले जुल्म की इंतहा है। दरअसल झारखंड में एक औरत को अंधविश्वास के दलदल में फंसाकर मौत् के घाट उतार दिया गया। गुरुवार 16 सितंबर के दिन एक वृद्धा जलही देवी को डायन बताकर उस पर कुल्हाड़ी से हमला कर जान से मार दिया गया। वारदात की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमोर्टम के लिए भेज दिया।
दरअसल, पूरा मामला झारखंड (Jharkhand) के सरायकेला (Saraikela) थाना क्षेत्र के पांपड़ा गांव का है, जहां 65 साल की वृद्धा जलही देवी (Jalahi Devi) खेत से काम कर के अपने घर लौट रही थी। इसी दौरान पहले से ही घात लगाए बैठे आरोपियों ने वृद्धा पर ताबड़तोड़ कुल्हाड़ी से हमला कर दिया, जिसके चलते औरत खून से लथपथ हो गई और बेसुध होकर जमीन पर जा गिरी, मौके पर ही वृद्धा की मौत हो गई। वहीं वृद्धा की हत्या करने के बाद हत्यारोपी गोपाल गोडसना वहां से मौका देख फरार हो गया।
इस पूरे मामले को लेकर थाना प्रभारी मनोहर कुमार ने मीडिया को बताया, हत्या के मामले को दर्ज कर लिया गया है, वहीं पुलिस आरोपी की तलाश में जुट गई है। पूरे मामले की जांच की जा रही हैं। इसके साथ ही शव को कब्जे में लेकर उसे पोस्टमोर्टम (Postmartem) के लिए भेज दिया गया है।
थाना प्रभारी ने आगे बताया कि आरोपी गोपाल गोडसरा के मृतका के साथ लंबे समय से कई विवाद चल रहे थे। आरोपी गोपाल गोडसरा ने वृद्धा को डायन बताते हुए बच्चों को बीमार करने का आरोप भी लगाया था। साथ ही दोनों के बीच बीते 10 साल से जमीन को लेकर भी विवाद कायम था। मिली जानकारी के अनुसार ऐसी आशंका जताई जा रही है कि गोपाल ने अंधविश्वास को सहारा बनाकर वृद्धा को मौत के घाट उतार दिया है।
वैसे तो हम 21वीं सदी में जी रहे हैं, पर आज भी कांच के टूट जाने को अशुभ माना जाता है, तो वहीं नजर लग जाना बड़ी बीमारी कही जाती है। अगर बिल्ली रास्ता काट ले तो हम उस रास्ते से नहीं जाते हैं और न जाने ऐसे कितने अंधविश्वास है जिसे न सिर्फ गांव के लोग बल्कि अच्छे खासे पढ़े लिखे लोग मानते है। कहा जाता है कि समाज को सिर्फ पढ़ा लिखा व्यक्ति ही बदल सकता है, लेकिन हर कोई आज के इस आधुनिक युग में भी अंधविश्वास का दामन छोड़ने में असमर्थ हैं।
अंधविश्वास पर विश्वास करने से लेकर इसका शिकार होने तक सबसे ज्यादा इसके जाल में औरतें ही फंसती आई हैं। चाहे औरत की माहवारी से जुड़ा अंधविश्वास हो या फिर उसकी गर्भावस्था से जुड़ा हो या फिर उनका सती प्रथा हो, आज भी औरतें अंधविश्वास का पर्यायवाची बनी हुई हैं। नारी को सशक्त बनाने के लिए बीते कई सालों से प्रयास जारी है, पर इसका पॉजिटिव रिजल्ट कम ही देखने को मिल रहा है।
हालांकि अंधविश्वास की आड़ में औरतों के साथ अत्याचार और प्रताड़ना कोई नई बात नहीं है। आए दिन औरत में भूत का साया होने के चलते उसकी हत्या की खबर सुनने को मिल जाती है, जो इंसानियत को शर्मसार कर देती है।