Bageshwar Dham Dhirendra Shastri Expose :अंधविश्वास फैलाने वाले कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री असल में वोटों के दलाल !
इन दिनों धीरेन्द्र के चेले गाँव की तालाब में मिट्टी भरवा रहे हैं, ताकि वहाँ बाज़ार बना सकें। सबकुछ अवैध है, लेकिन जब राज्य का गृह मंत्री "दरबार" मे आता हो तो किस बात का डर? यहां अवैध निर्माण कार्य जोरों से चालू है, श्मशान में शव जलाने पर रोक लगा दी गई है...
वरिष्ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी की टिप्पणी
मैं उसी छतरपुर जिले का हूँ जहां के धीरेंद्र शास्त्री इन दिनों हिन्दू-सनातन धर्म के रक्षक बने हैं। कोई 20 साल इस जिले के हर गाँव-मजरे तक गया हूँ...गाँव गाँव में मंदिर मढ़ैया देखी हैं।
सन 1994 में छतरपुर छोड़ा और उसके भी दस साल बाद तक वहाँ सीधे जुड़ा रहा- राजनीति से, समाज से, लोगों से... वहाँ कभी भी गढा गाँव या वहाँ के किसी कथावाचक का नाम सुना नहीं गया। वहाँ कोई मंदिर है? इसका कभी उल्लेख हुआ नहीं, बाला जी नाम के भगवान को वहाँ के लोग जानते नहीं थे।
बजरंगबली या हनुमाज जी को बाज़ार ने एक नाम दे दिया "बाला जी" और उस दुकान पर कई ठीये खुल गए। बुंदेलखंड की जनता आस्था में भरोसा रखती है, लेकिन श्रम उसकी ताक़त रहा है। एक बात जान लें देश में कम से कम ऐसे दस कथावाचक, संन्यासी, बाबा पैदा किए गए हैं जो खुद को त्रिकालदर्शी कहते हैं। वास्तव में ये सभी संघ परिवार की अघोषित सेना है, जो धर्म, आस्था, चमत्कार के नाम पर लोगों को जोड़ते हैं।
नागपुर प्रकरण के बाद अचानक हर चैनल पर धीरेन्द्र के साक्षात्कार आने लगे, हर एक ने आधे घंटे का कार्यक्रम कर दिया, दीमक चोर-सिया उनसे लाइव बात कर रहे थे, रजत शर्मा के चैनल का पुत्रकार तो चरणों में बैठा था।
धीरेन्द्र के वक्तव्य गौर करें...
1. दूसरे धर्म पर सवाल क्यों नहीं उठाते, मजार पर क्या तुम्हारा बाप-दादा लेटा है, जो वहाँ नहीं जाते।
2. मुझ पर सवाल करना अर्थात हनुमान जी पर सवाल करना है।
3. मैंने कुछ लोगों की हिन्दू धर्म में वापिसी करवाई, इसलिए विधर्मी मेरे पीछे लगे हैं।
4. वामपंथी हिन्दू और सनातन धर्म के खिलाफ हैं।
ऐसे ही बयान धीरेन्द्र टीवी पर दे रहे हैं... एक तो यह अन्य आस्था के खिलाफ नफरत और विद्वेष फैला रहे हैं, दूसरा केवल खुद को हनुमान जी का भक्त बता रहे हैं। जान लें यह उन सनातन धर्म मानने वालों के खिलाफ भी है, जो हनुमान जी में आस्था रखते हैं। धीरेन्द्र के अनुसार वे केवल बड़े भक्त हैं, बाकी को उनके माध्यम से जाना होगा। सनातन में भगवान और भक्त के बीच किसी मध्यस्थ की जरूरत ही नहीं होती।
असली सवाल चमत्कार की परीक्षा का था, भगवान की शक्ति की डींग भरने वाले धीरेन्द्र जिस तरह से बौखला कर गालियां दे रहे हैं- ठठरी बांधने (अर्थात अंतिम संस्कार की तैयारी) की बात कहर आहें हैं, उसे साफ है कि वह असली प्रश्नों पर उत्तर न देकर भावनात्मक, सांप्रदायिक और गाली-गलौज पर उतरे हैं।
असल कमाई और धंधे का सवाल है - गुमनाम गाँव में हर दिन हजारों लोग आते हैं, हर दिन कई हज़ार तो पानी को बोतलें बिकती हैं, धीरेन्द्र और उनके चेलों ने आधे गाँव की जमीन पर कब्जे किए हैं। सवा लाख रुपए रोज तो दुकानों का किराया है। छतरपुर जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर गढ़ा गांव देखते ही देखते व्यवसाय का एक बड़ा केंद्र बन गया है। शनिवार और मंगलवार को धाम में लाखों की संख्या में लोग आते हैं। यहां लगने वाली दुकानों की बंपर कमाई होती है, जिस वजह से यहां की जमीनों के दाम आसमान छू रहे हैं। गांव की जिस जमीन के दाम कभी हजारों में हुआ करते थे, आज वह करोड़ों में पहुंच गया है। यही वजह कि गांव में जमीन को लेकर संग्राम शुरू हो गया है।
दुकानों का किराया पहुंचा लाखों में
बागेश्वर धाम में लगने वाली दुकानों का किराया हजारों से शुरू होकर लाखों में पहुंच गया है। धाम में दुकान लगाने वाले एक युवा दुकानदार ने बताया कि वह चित्रकूट का रहने वाला है। वह पूजन सामग्री और धाम स्थल की तस्वीरें बेचता है। उसका दुकान महज 10×15 की है जिसका किराया 10 हजार रुपये है। यह किराया दुकान की साइज एवं धाम के नजदीक पहुंचते ही लाखों में पहुंच जाता है। धाम के अंदर रेस्टोरेंट चलाने वाले एक व्यवसाय मेवाराम जाट का कहना है कि वह राजस्थान का रहने वाला है। एक छोटे से रेस्टोरेंट के लिए उसे ₹50000 किराया देना पड़ता है। उसने सोचा है कि यहां पर जमीन खरीद ले। गांव की जमीन की कीमत पता की तो उसके होश उड़ गए। उससे करोड़ों रुपये कीमत मांगी गई।
इन दिनों धीरेन्द्र के चेले गाँव की तालाब में मिट्टी भरवा रहे हैं, ताकि वहाँ बाज़ार बना सकें। सबकुछ अवैध है, लेकिन जब राज्य का गृह मंत्री "दरबार" मे आता हो तो किस बात का डर? मंदिर से सटे खसरा नंबर 485/2, 482, 483, 428 (जो क्रमश: 0.421 हेक्टेयर, 0.388 हेक्टेयर, 0.401 हेक्टेयर और 1.121 हेक्टेयर है) जमीन राजनगर तहसील के सरकारी रिकॉर्ड में श्मशान, तालाब और पहाड़ के रूप में दर्ज है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और उनके सेवादार तालाब काे पाटकर अब दुकान बनवा रहे हैं। निर्माण कार्य जोरों से चालू है। श्मशान में शव जलाने पर रोक लगा दी गई है।
सरकारी जमीन काे चारों ओर से घेरकर कब्जा किया जा रहा है। तहसीलदार ने निर्माण को लेकर एक नोटिस जारी किया है, लेकिन निर्माण जारी है। खसरा नंबर 428 पर अवैध टपरों का निर्माण करके लोगों को किराए पर देकर अवैध वसूली की जा रही है।
वर्तमान में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जहां अपना दरबार लगाते हैं, वह एक सामुदायिक भवन है। सरकारी भवन का पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री निजी उपयोग कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पहले इस भवन का उपयोग ग्रामीण करते थे। इसमें शादियां होती थीं, लेकिन अब इस पर पंडित जी का कब्जा है।
धीरेन्द्र ने एक वेबसाइट भी बनाई है और उस पर वह गरीबी दूर करने का यंत्र बेचता है - मुझे लगता है की देश में हर महीने अस्सी करोड़ को मुफ्त अनाज देने की जगह बाबा का जंतर ही देना चाहिए- ईमानदारी से यह भी अंधविश्वास उन्मूलन कानून के तरह अवैध है...विज्ञापन इस प्रकार है –
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समझना होगा इस तरह के लोग न केवल लोगों को अंधविश्वास में धकेलते हैं, आस्था को व्यापार बना लेते हैं और लोकतंत्र के भी दुश्मन हैं। दुखद है कि कांग्रेस के विधायक भी ऐसे जहरीले बोल वाले धीरेन्द्र को सिर पर बैठाये रहते हैं।