अंधविश्वास : चर्च से जुड़ी ननों ने कहा मृत गर्भवती महिला को जिंदा करने शक्ति हमारे पादरी में, फिर घंटों चला हाई वोल्टेज ड्रामा
Jharkhand Chatra Superstition : गर्भवती महिला की लाश ले जा रहे परिजनों को रास्ते में चर्च से जुड़ी 7-8 महिलाएं मिलीं, जो मृत महिला को झाड़-फूंक के जरिए जिंदा करने का दावा करने लगीं, अंधविश्वास का ये खेल घंटों तक चलता रहा...
झारखंड, जनज्वार। अंधविश्वास (Superstition) के नाम पर प्रताड़ना की ऐसी-ऐसी घटनायें समाज में घटित होती हैं, जिनसे इंसानियत शर्मसार होती है। सोखा-ओझा, तांत्रिक अपने फायदे के लिए भोली-भाली जनता को भरोसे में लेकर ऐसे-ऐसे काम करवा देते हैं, जिन पर सहज यकीन करना मुश्किल होता है। खासकर पिछड़े ग्रामीण इलाकों में अंधविश्वास (Superstition) की गहरी जड़ें पैठी हुयी हैं। जहां महिलायें अंधविश्वास की सबसे ज्यादा शिकार होती हैं, वहीं अंधविश्वास फैलाने में भी उनका सबसे ज्यादा योगदान होता है।
ऐसा ही एक मामला झारखंड से सामने आया है। यहां चतरा जिले में मंगलवार 21 सितंबर को चर्च से जुड़ी कुछ ननों के समूह ने गर्भवती मृत महिला बबीता देवी को जिंदा करने का हवाला देकर उसके शरीर के साथ घंटों तक झाड़-फूंक किया गया। ये नन दावा कर रहीं थीं कि गर्भवती महिला को जिंदा करने की शक्ति हमारी प्रार्थना और पादरी में है, जिसके बाद घंटों तक ये महिला के शव के साथ कमरे में बंद रहीं। बंद कमरे के अंदर से ही नन दावा करती रहीं कि महिला ने पानी पिया और उसकी सांसें चल रही हैं।
दरअसल, अंधविश्वास का यह खेल चतरा जिले के उग्रवाद प्रभावित प्रतापपुर प्रखंड के सिद्दकी पंचायत स्थित सिजुआ गांव का है। शुरुआती जानकारी के मुताबिक गांव के अमरजीत पासवान की गर्भवती पत्नी 23 वर्षीय बबीता देवी ने पेट में दर्द की शिकायत की। परिजनों द्वारा बबीता को इलाज के लिए रानीगंज के एक अस्पताल ले जाया गया। चिकित्सक ने बबीता को खून की कमी बताकर दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया। इसके बाद परिजनों ने उसे बिहार के गया जिला में बेहतर इलाज के लिए ले जाने का सोचा तो अस्पताल ले जाने के दौरान ही बीमार महिला ने दम तोड़ दिया।
परिजनों का आरोप है कि रास्ते में उन्हें चर्च से जुड़ीं 7-8 महिलाएं मिलीं, जो मृत महिला को झाड़-फूंक के जरिए जिंदा करने का दावा करने लगीं। मृत महिला को जिंदा कराने के लिए परिजनों ने भी हामी भर दी। फिर क्या था, चर्च की महिलाओं द्वारा अंधविश्वास का ये खेल घंटों तक चलता रहा।
मृतक गर्भवती महिला बबीता के पिता गणेश पासवान का कहना है, 'बबीता को मंगलवार 21 सितंबर की सुबह अचानक पेट में दर्द होने लगा। उसे तत्काल गांव के ग्रामीण चिकित्सक के पास ले गया, लेकिन उसने इलाज करने में असमर्थता बताते हुए बाहर ले जाने की सलाह दी। बाद में उसे बिहार के गया जिले के रानीगंज में एक डॉक्टर को दिखाया गया। डॉक्टर ने उसे खून की कमी बताया और बेहतर इलाज के लिए मगध मेडिकल कॉलेज गया रेफर कर दिया। गया ले जाने के क्रम में बांकेबाजार के पास बबीता की मौत हो गयी।'
परिजनों द्वारा महिला के शव को घर लाया गया। फिर चर्च की महिलाओं ने मृत शरीर को एक कमरे में बंद कर लिया और घंटों तक झाड़-फूंक करती रहीं। इस बीच परिजनों और ग्रामीणों के पूछे जाने पर चर्च से जुड़ी महिलाएं उन्हें झूठा दिलासा देती रहीं। वे कभी कहतीं कि महिला की सांसें चल रही है तो कभी मृत महिला द्वारा पानी पीने की बात कह रहीं थी। मृत महिला को जिंदा करने का ये ड्रामा घंटों तक चलते रहा, पर परिजनों को महिला के जिंदा होने के झूठे आश्वासन के अलावा और कुछ नहीं मिला।'
इस घटना के बारे में सिदकी पंचायत की मुखिया सरिता देवी कहती हैं, मंगलवार 21 सितंबर को प्रार्थना के जरिए मृतका को जीवित करने का खेल चला। बिहार से कुछ लोग आए थे। जब मुझे इस मामले की जानकारी हुई, तो वहां से उन्हें भगाया गया। प्रार्थना सभा की जानकारी उन्हें नहीं है।' प्रखंड विकास पदाधिकारी मुरली यादव ने इस घटना के बारे में जानकारी नहीं होने की बात कही।
इसी दौरान जब चर्च से जुड़ीं महिलाओं को जब महिला के घर पर डॉक्टरों के पहुंचने की भनक लगी तो वह मौके से फरार हो गयीं। जब डॉक्टर ने महिला की फिर से जांच की और मरे होने की पुष्टि की तो परिजनों को अहसास हुआ कि वह अंधविश्वास के झूठे जाल में फंस गये हैं।