आयुर्वेदिक आईड्रॉप से कोरोना ठीक होने का दावा करने वाले आंध्र के पूर्व हेडमास्टर की मौत, वीडियो बनाकर किया था प्रचार
अस्पताल के डॉक्टर द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार दवाई का इस्तेमाल करने के बाद कोटइया की हालत और ज्यादा खराब हो गई थी। डॉक्टर ने बताया है कि अब तक आनंदैया की दवाई इस्तेमाल करने वाले 24 और मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया गया है। इन्होंने आंखों में जलन और आंख आने की शिकायत की है।
जनज्वार ब्यूरो, दिल्ली। आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले के कृष्णापट्टनम में आयुर्वेदिक आई ड्रॉप से कोरोना ठीक होने का दावा करने वाले कोटइया की मृत्यु हो गयी है। नेल्लोर के सरकारी अस्पताल के एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है। कोटइया नेल्लोर जिले के कोटा मंडल के सेवानिवृत्त प्रधान अध्यापक थे। आयुर्वेदिक आई ड्रॉप का इस्तेमाल करने के बाद कोटइया की हालत और ज्यादा बिगड़ गई थी। उनकी आंखों में रासायनिक नेत्रश्लेष्माशोथ (आँख आना) की समस्या भी हो गयी। हालत बिगड़ने पर उन्हें नेल्लोर के अस्पताल के आईसीयू में ऑक्सीजन सपोर्ट पर भर्ती कराया गया था।
कोरोना की कथित जादुई दवाई का हो रहा रिएक्शन
यह आयुर्वेद आई ड्राप बोगिनी आनंदैया नाम के एक देसी दवा व्यवसाई द्वारा बनाई और वितरित की जा रही थी। कोटइया ने इसी दवाई को आनंदैया से लिया था। अस्पताल के डॉक्टर द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार दवाई का इस्तेमाल करने के बाद कोटइया की हालत और ज्यादा खराब हो गई थी। डॉक्टर ने बताया है कि अब तक आनंदैया की दवाई इस्तेमाल करने वाले 24 और मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया गया है। इन्होंने आंखों में जलन और आंख आने की शिकायत की है।
वीडियो के माध्यम से किया गया प्रचार-
कोटइया ने एक वीडियो बनाकर दावा किया था कि आनंदैया की दवाई के इस्तेमाल से उन्हें काफ़ी आराम हुआ। उनकी स्थति बेहतर हुई। इस वीडियो को सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया गया था। कई समाचार चैनलों ने भी इस वीडियो को प्रसारित किया था। बिना किसी परीक्षण और जाँच के स्थानीय विधायक ने भी इस दवाई के इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया। विधायक की अनुमति से इस दवाई का खूब वितरण किया गया। इस आई ड्रॉप को चमत्कारिक, जादुई दवा के रूप में प्रचारित किया गया था।
इसको बेचने के साथ दावा किया गया कि यह आई ड्रॉप कोविड-19 के कारण रक्त के गिरते हुए ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाने में मदद करती है। आनंदैया द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार यह आई ड्रॉप शहद, काली मिर्च और एक निश्चित प्रकार के बैगन के गूदे से बनाई गई थी।
दवाई के दुष्प्रचार के बाद जागरूक विज्ञानवादी लोगों ने राज्य सरकार से कृष्णापट्टनम में इस दवा के द्वारा उपचार की अनुमति तब तक नहीं देने का आग्रह किया जब तक यह प्रभावी साबित ना हो जाये। क्योंकि इस दवाई के उपयोग से लोगों में अंधविश्वास बढ़ रहा था।
प्रदेश सरकार व स्थानीय विधायक की लापरवाही ने लोगों को खतरे में डाल दिया है
पिछले सप्ताह जिला प्रशासन ने इस दवाई के वितरण पर रोक लगा दी थी। इस दवा को आयुर्वेदिक प्रयोगशाला में अध्ययन के लिए भेजा गया था। 21 मई को स्थानीय विधायक ककानी गोवर्धन रेड्डी के समर्थन से इस दवाई का वितरण फिर शुरू कर दिया गया। विधायक इस दवा के इस्तेमाल को प्रोत्साहित कर रहे थे। आंध्र प्रदेश सरकार ने भी इस दवा के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। जिस कारण हजारों लोग इस दवाई से इलाज़ करने हेतु वितरण स्थल पर एकत्रित हो रहे हैं। कोविड-19 के प्रोटोकॉल का भी जमकर उल्लंघन हो रहा है।
इस दवा के इस्तेमाल और अंधविश्वास के कारण गांव के कई लोग अपनी आंखों को भी मुसीबत में डाल चुके हैं। आंखों में समस्या होने के कारण कई लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है।