झारखंड में जहरीले जीव के काटने के बाद झाड़फूंक के चक्कर में गई आदिम जनजाति के दंपती की जान

डाॅक्टर के पास जाने के बजाय ग्रामीणों ने सलाह दी कि पहले झाड़-फूंक करवा लिया जाए, जिससे विलंब होने की वजह से आदिम जनजाति दंपती की मौत हो गई। यह दंपती संरक्षित जनजाति कोरवा समुदाय से आता था...

Update: 2020-08-14 04:09 GMT

प्रतीकात्मक फोटो

जनज्वार। झारखंड के पलामू प्रमंडल के गढवा जिले में आदिम जनजाति के एक दंपती की जान जहरीले जीव के काटने के बाद झाड़-फूंक के चक्कर में चली गई। उनकी मौत से उनके पांच छोटे बच्चे अनाथ हो गए और उनका रोकर बुरा हाल है। गढवा जिले के धुरकी थाना क्षेत्र के धोबनी गांव के आदिम जनजाति कोरवा जाति के युवक योगेश्वर कोरवा व उनकी पत्नी सुनीता देवी को किसी जहरीले जीव ने काट लिया।

धोबनी गांव के कोरवा टोला के इस दंपती के ग्रामीणों ने जहरीले जीव द्वारा काटने के बाद इलाज कराने के बजाय झाड़ फूंक का सहारा लिया। यह दंपती खाना खाकर घर मंे जमीन पर सोया हुआ था, तभी किसी जहरीले जीव द्वारा सुबह तीन बजे के करीब काटने जैसा महसूस हुआ। दोनों ने इसके बारे में ग्रामीणों को बताया। इसके बाद परिवार वाले उन्हें इलाज के लिए श्री बंशीधर नगर ले जा रहे थे।

तभी गांव वालों ने सलाह दी कि सगमा में रुक कर झाड़ फूंक करा लिया जाए, इतने में झाड़ फूंक की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही दोनों की मौत हो गई। ग्रामीणों का कहना है कि हमें जानकारी मिली तो हम उन्हें अपनी गाड़ी से झाड़ फूंक के लिए सगमा लेकर पहुंचे थे, लेकिन वहां पहुंचने के साथ दोनों की मौत हो गई।

प्रशासन की ओर से कहा गया है कि परिवार को आपदा राहत योजना से आर्थिक सहायता की जाएगी। 

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