कोरोना बचाव के नाम पर राजस्थान में गांव के चारों तरफ ​खींची दूध की लक्ष्मण रेखा, कहा महामारी नहीं रख सकती कदम

ग्रामीणों का दावा है कि दूध की जो धार लक्ष्मण रेखा की तरह गांव के चारों ओर डाली गयी है, उससे गांव में कोरोना या अन्य कोई महामारी प्रवेश नहीं कर पायेगी...

Update: 2021-06-13 12:01 GMT

दूध की लक्ष्मण रेखा खींचने के बाद ग्रामीणों का दावा है कि गांव में कोरोना तो छोड़िये कोई भी महामारी नहीं रखेगी कदम (photo : Dainik Bhaskar)

जनज्वार ब्यूरो। जहां कोरोना की भयावहता और मौतों का आंकड़ा अभी भी रोजाना 4 हजार का आंकड़ा छू रहा है, वहीं इसी तादाद में अंधविश्वास भी फैल रहा है। बल्कि यूं कहें कि पहले से भी ज्यादा समाज को अपनी जकड़ में ले रहा है। इसका एक बड़ा कारण पुरानी मान्यतायें और अशिक्षा तो है ही, साथ ही कोविड का समुचित इलाज भी न मिलना है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां हजारों की आबादी पर एक डॉक्टर तक उपलब्ध नहीं हैं, वहां लोग नीम-हकीम झोलाझाप डॉक्टरों के अलावा अपनी इन्हीं पुरानी मान्यताओं के सहारे खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं।

अब कोरोना के नाम पर ही कहीं कोरोना माता का मंदिर बनाया जा रहा है, नदी किनारे पूजा हो रही है, खौलते दूध से स्नान हो रहा है, कहीं लोग गर्दन से लेकर जीभ तक चढ़ा रहे हैं कि कोरोना भाग जायेगा। अब एक नया मामला राजस्थान के पाली जनपद से सामने आया है। यहां के कई गांवों में कोरोना से बचाव के लिए ग्रामीणों की ओर से अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। कोरोना से बचाव के लिए गांव के चारों तरफ कभी रक्षा सूत्र तो कभी दूध की धार खींची जा रही है।

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दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर के मुताबिक खारड़ा, आकेली के बाद अब तखतगढ़ क्षेत्र के जाणा गांव के ग्रामीणों ने शनिवार 12 जून को गांव के चारों तरफ दूध की धार लक्ष्मण रेखा खींची। ग्रामीण अपने इस अंधविश्वास को सही ठहराते हुए दावा करते हैं, हमारे गांवों में सालों से धार्मिक मान्यता चली आ रही है कि दूध की धार से अपने क्षेत्र को रक्षासूत्र से बांधा जाता है। उसी के तहत हमने दूध की धार गांव के चारों तरफ खींची। ग्रामीणों का दावा है कि दूध की जो धार लक्ष्मण रेखा की तरह गांव के चारों ओर डाली गयी है, उससे गांव में कोरोना या अन्य कोई महामारी प्रवेश नहीं कर पायेगी।

गौरतलब है कि पाली राजस्थान का वह जनपद है, जहां सेकेंड वेब में मौतों की भारी तादाद रही है। अभी भी जनपद के हालात बहुत सामान्य नहीं हो पाये हैं। पाली के बांगड़ अस्पताल का तो इतना बुरा हाल रहता था कि कोरोना आउटडोर मरीजों से भरा पड़ा रहता था। अस्पताल में मरीजों को बेड नहीं मिल पाने की तमाम खबरें मीडिया में वायरल हुयी थीं। कोरोना से मरते लोगों को देखकर ग्रामीणों में भारी भय व्याप्त था। अस्पताल में समुचित इलाज न मिलने पर मौतों और उसके अलावा गांव में भी हो रही मौतों से डरकर जाणा गांव के ग्रामीणों ने गांव के चारों तरफ दूध से लक्ष्मण रेखा खींचने का काम किया है। उन्हें विश्वास है कि ऐसा करने से कोरोना उनके गांव से भाग जायेगा, दोबारा दस्तक तक नहीं दे पायेगा।

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ग्रामीणों ने गांव के चारों तरफ दूध की धार देते हुए शनिवार 12 जून को नारियल की ज्योत के साथ देवी मंदिर में पूजा की थी। पूजा करने के बाद नारियल की ज्योत के साथ गांव के चारों तरफ परिक्रमा लगाते हुए ग्रामीणों ने 11 लीटर दूध से धार लगा लक्ष्मण रेखा खींची। इस लक्ष्मण रेखा को श्मशान घाट से अलग रखा गया।

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