गर्भवती महिला ने सूर्यग्रहण में वह सबकुछ किया जिसके दम पर चलती है अंधविश्वासियों की दुकान

समाज में अंधविश्वास व्याप्त है कि अगर गर्भवती महिला ने गलती से भी सूर्यग्रहण देख लिया तो इसके प्रकोप से नहीं बचा पायेगा कोई भी...

Update: 2020-06-21 12:05 GMT
photo : tv9marathi

जनज्वार। सूर्यग्रहण को लेकर हमारे धर्म-समाज में तरह-तरह के अंधविश्वास व्याप्त हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए तो यह सख्ती और अंधविश्वास और भी ज्यादा है। सूर्यग्रहण से जुड़े मिथक और अंधविश्वास को दूर करने के लिए महाराष्ट्र की एक गर्भवती महिला ने वो सब किया, जिसको लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां हैं और धर्म और भगवान के नाम पर अपनी दुकानदारी चलाने वाले लोगों को इसे लेकर डराते रहते हैं।

टीवी9 मराठी में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक महाराष्ट्र के सांगली स्थित इस्लामपुर में सूर्यग्रहण से जुड़े अंधविश्वास और मिथकों को दूर करने के लिए महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति द्वारा आज 21 जून को एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें गर्भवती महिला समृद्धि चंदन जाधव ने वह सब किया, जो अंधविश्वास के चलते सूर्यग्रहण के दौरान वर्जित माना जाता है। अपशकुन कहकर धर्म और भगवान के नाम पर दुकानदारी कर रहे लोग कहते हैं कि अगर गर्भवती महिला ने सूर्यग्रहण के दौरान कोई भी गतिविधि की तो बहुत बड़ा अनर्थ हो जायेगा।

इस कार्यक्रम में सबके सामने समृद्धि चंदन जाधव ने कई गतिविधियां कीं, जो अंधविश्वास के चलते गर्भवती महिलाओं के लिए वर्जित मानी जाती हैं ताकि समाज जागरुक हो सके। सूर्यग्रहण के दौरान महिला ने सब्जियाँ काटना, फल काटना, फलों के पत्तों को उठाना, खाना खाना, पानी पीना और अपने हाथों को मोड़ना समेत वो सब काम किये, जिन्हें करने को लेकर सख्त मनाही है और कहा जाता है कि इसका असर गर्भ के अंदर पल रहे शिशु पर पड़ने के अलावा घर के लिए भी बहुत बड़ा अपशकुन है। इतना ही नहीं मान्यता है कि अगर गर्भवती महिला ने गलती से भी सूर्यग्रहण देख लिया तो इसके प्रकोप से कोई भी नहीं बचा पायेगा।

समृद्धि चंदन जाधव ने सबके सामने चश्मे से सूर्य ग्रहण देखा और इसका लुत्फ भी उठाया, ताकि लोगों के दिमाग से यह भ्रम और अंधविश्वास दूर हो कि अगर गर्भवती सूर्यग्रहण देख ले तो अनर्थ होगा या इसका होने वाले बच्चे पर गलत असर पड़ेगा।

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इस्लामपुर में महात्मा फुले कॉलोनी में रहने वाली गर्भवती महिला समृद्धि चंदन जाधव ने आज की पीढ़ी के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत कर अंधविश्वास दूर करने का काम किया। महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति द्वारा आयोजित किये गये इस कार्यक्रम में समृद्धि जाधव ने कहा कि "आज के इंटरनेट के युग में, इस तरह का अंधविश्वास होना गलत है। अंधविश्वास विरोधी समिति ने मुझे और मेरे परिवार को इस अंधविश्वास से बाहर निकाला, जिसके बाद मैंने सबके सामने सूर्यग्रहण में गर्भवती महिलाओं के लिए निर्धारित की गयी लक्ष्मण रेखा को पार करने का काम किया, ताकि समाज अंधविश्वास से बाहर निकल जागरुक हो। मेरे परिवार ने भी इस काम में मेरा साथ दिया। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के सासुबाई सिंधुताई जाधव, चंदन जाधव, दीपक जाधव और संजय बंसोड ने इसके लिये मुझे पूरा प्रोत्साहन दिया।'

समृद्धि चंदन कहती हैं, 'अंधविश्वास दूर करने के लिये आयोजित इस कार्यक्रम का अहम हिस्सा बनकर मुझे बहुत खुशी हुई। क्या आप लोग विज्ञान के युग में यह साहसिक कदम नहीं उठाना चाहते हैं?

इस कार्यक्रम में उपस्थित इस्लामपुर मेडिकल एसोसिएशन की अध्यक्ष डॉ. सीमा पोरवाल ने कहा, 'कोई भी ग्रहण गर्भवती महिला या भ्रूण को प्रभावित नहीं करता है। शिशु की वृद्धि पहले तीन महीनों में पूरी होती है। यह शुद्ध अंधविश्वास है कि गर्भावस्था के दौरान ग्रहण देखने और किसी भी शारीरिक गतिविधि को करने से बच्चे को चोट लगती है। अगर हम लोग इस दिशा में लोगों को जागरुक नहीं करेंगे तो यह अंधविश्वास पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होगा, इसे दूर करने के लिए समाज में इस तरह के कार्यक्रम करने की सख्त आवश्यकता है।"

सांगली के इस्लामपुर में अंधविश्वास को मिटाने के आयोजित किये गये इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के प्रधान सचिव संजय बंसोड ने कहा, "खगोलीय घटनाओं का अनुभव होना चाहिए। हम हमेशा इसके लिस कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। सूर्य ग्रहण पर गर्भवती महिलाओं के साथ जो अंधविश्वास जुड़ा है, आज हमने उसे दूर करने की दिशा में पहलकदमी की है। इसके लिए समृद्धि जाधव की जितनी सराहना की जाये, वह बहुत कम होगी।'

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