सूडान ने महिला अधिकारों की तरफ बढाया एक और कदम, खतना प्रथा पर लगाया प्रतिबंध, अपराध घोषित

सूडान की नई लोकतांत्रिक सरकार ने महिला अधिकारों के लिए कई पहल की है, इसमें अब खतना प्रथा पर रोक भी जुड़ गया है...

Update: 2020-07-13 11:42 GMT

जनज्वार। सूडान ने महिला अधिकारों को लेकर एक बड़ा निर्णय लिया है। वहां की सरकार ने महिला खतना को प्रतिबंधित कर दिया है और अब इसे अपराध की श्रेणी में डाल दिया है। सूडान के कानून मंत्रालय ने इस फैसल की घोषणा की है। पिछले साल तानाशाह उमर अल बशीर को सत्ता से बाहर करने के बाद इस संबंध में तैयार किए गए मसौदे पर सहमति बनी।

महिला खतना जहां कई देशों में प्रतिबंधित है, वहीं अफ्रीका, मध्यपूर्व और एशिया के करीब 30 देशों में यह प्रथा अब भी प्रचलित है। 2104 में यूएन समर्थित सर्वे में पाया गया था कि सूडान की 87 प्रतिशत महिलाएं और बच्चियां जिनकी उम्र 15 से लेकर 49 साल के बीच है, उन्हें इसका शिकार होना पड़ा। संयुक्त राष्ट्र बाल कल्याण संस्था यूनीसेफ के अनुसार, फीमेल जेनिटल म्यूटीलेशन (एमएमजी) या खतना से आधे से अधिक महिलाएं अफ्रीकी देशों, इंडोनेशिया, मिस्त्र में रहती हैं।

जेनिटल म्यूटीलेशन उस आपरेशन कहा जाता है जिसके जरिए बिना किसी चिकित्सयी जरूरत के लड़कियों और महिलाओं के जनजांग के क्लाइटोरिस कहे जाने वाले हिस्से को पूरी तरह से या आंशिक रूप से काट दिया जाता है। सूडान के नए कानून के अनुसार, अब अगर कोई इस प्रक्रिया को करने का दोषी पाया जाएगा तो उसे तीन साल तक की जेल की सजा हो सकती है।

इस संबंध में कानून मंत्रालय ने जारी अपने बयान में कहा है कि एफएमजी महिला की गरिमा पर प्रहार करता है। सूडान के प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक ने इस फैसले की प्रशंसा की है और इसे न्याय प्रणाली में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

इस कानून के अस्तित्व में आ जाने के बाद दशकों से जारी महिला अधिकार कार्यकर्ताओं की मांग पूरी हो गई और इसे लोकतांत्रिक सुधारों को आगे बढाने के प्रयासों का एक अहम हिस्सा भी माना जा रहा है।

सूडान की नई सरकार ने किए कई सुधार

सूडान की नई हमदोक सरकार ने कई सुधारवादी कदम उठाए हैं। उन्होंने अपनी सरकार में चार महिलाओं को जगह दी है। महिलाओं को अपने बच्चों के साथ बिना पति की अनुमति के विदेश जाने को मंजूरी दी है। गैर मुसलिमों के शराब पीने पर सजा का प्रावधान हटा दिया गया है, हालांकि इस्लाम में अभी भी शराब पीना हराम है। अब वहां इस्लाम का त्याग करना अपराध की श्रेणी में नहीं है, पहले ऐसा करने पर मृत्युदंड का प्रावधान था। सूडान में मुसलिम बहुसंख्यक हैं और ईसाई अल्पसंख्यक हैं।  

भारत में सुप्रीम कोर्ट इस पर जता चुका है नाराजगी

भारत में दाऊदी बोहरा समुदाय की बच्चियों के खतना पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही नाराजगी जता चुका है और यह सवाल पूछा चुका है कि किसी और के जननांग पर किसी और का हक कैसे हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इससे बच्ची के शरीर की संपूर्णता का उल्लंघन होता है।

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